जापान इस समय एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है. मौसम से पहले ही देशभर में इन्फ्लूएंजा के मामलों में तेज़ी से उछाल आने के बाद सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से महामारी घोषित कर दिया है. आमतौर पर सर्दियों के मध्य में बढ़ने वाला फ्लू इस बार समय से करीब पांच हफ्ते पहले ही व्यापक रूप से फैलने लगा है, जिससे अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई है और सैकड़ों स्कूल अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार वायरस न केवल अधिक संक्रामक है, बल्कि यह बेहद तेज़ी से रूप बदलकर इलाज के पारंपरिक तरीकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित कर रहा है. होक्काइडो स्थित हेल्थ साइंसेज़ यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर योको त्सुकामोटो का कहना है कि, "इस बार फ्लू सीज़न की शुरुआत काफी पहले हो गई है और अगर वैश्विक माहौल यूं ही बना रहा तो यह आगे भी एक सामान्य प्रवृत्ति बन सकती है."
दुनियाभर में दिख रहा है वायरस का बदला हुआ व्यवहार
जापान की स्थिति कोई अकेला मामला नहीं है. दुनिया के अन्य हिस्सों में भी शोधकर्ताओं ने फ्लू के वायरस में ऐसी ही तेजी और जटिलताओं की पहचान की है. वायरस की यह वैश्विक चाल वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है, क्योंकि यह न केवल अधिक लोगों को संक्रमित कर रहा है, बल्कि अधिक गंभीर लक्षण भी उत्पन्न कर रहा है.
यात्रा और संपर्क में वृद्धि ने बढ़ाई परेशानी
विशेषज्ञ मानते हैं कि महामारी के बाद अंतरराष्ट्रीय यात्रा और पर्यटकों की वापसी ने वायरस के प्रसार को और तेज़ कर दिया है. लोग एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं और अनजाने में वायरस को नए इलाकों में पहुंचा रहे हैं, जिससे वह नए वातावरण के हिसाब से खुद को ढालने में और सक्षम हो रहा है.
आंकड़े चिंताजनक, बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 22 से 28 सितंबर के बीच 4,030 मामले सामने आए, जो पिछले सप्ताह से करीब 957 ज़्यादा हैं. यह संख्या महामारी की सीमा को पार कर चुकी है. औसतन, हर निर्दिष्ट चिकित्सा संस्थान में 1.04 मामले दर्ज किए गए हैं. बच्चों में संक्रमण के फैलाव को देखते हुए 135 स्कूलों, किंडरगार्टन और चाइल्डकैअर केंद्रों को बंद करना पड़ा है, जो पिछले साल के मुकाबले तीन गुना अधिक है.
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