इस मंदिर में आज भी धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल, विज्ञान भी है हैरान, रहस्य जानकर रह जाएंगे दंग

    पुराणों के अनुसार, द्वापर युग में जब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण का अवतार लिया तो उनका मानव रूप भी जन्म और मृत्यु के नियमों से बंधा हुआ था. महाभारत युद्ध के लगभग 36 वर्ष बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग दिया.

    Janmashtami 2025 Mystery of Jagannath Temple Lord Krishna s heart still beats here
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    Janmashtami 2025: भारत रहस्यों और आस्थाओं की भूमि है. यहां ऐसे-ऐसे मंदिर मौजूद हैं जिनके चमत्कार और रहस्य आज भी विज्ञान से परे हैं. इन्हीं में से एक है ओडिशा का जगन्नाथ मंदिर, जो न सिर्फ अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि उस अद्भुत रहस्य के लिए भी जाना जाता है, जिसे जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का हृदय आज भी धड़क रहा है.

    भगवान श्रीकृष्ण का हृदय कैसे बचा रहा?

    पुराणों के अनुसार, द्वापर युग में जब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण का अवतार लिया तो उनका मानव रूप भी जन्म और मृत्यु के नियमों से बंधा हुआ था. महाभारत युद्ध के लगभग 36 वर्ष बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग दिया. पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उनका हृदय अग्नि में जल नहीं पाया. वह लगातार धड़कता रहा. यह देखकर पांडव अचंभित रह गए. कहा जाता है कि तभी आकाशवाणी हुई कि यह कोई साधारण हृदय नहीं, बल्कि ब्रह्म का हृदय है. इसे समुद्र में प्रवाहित करने का आदेश दिया गया. पांडवों ने वैसा ही किया और भगवान का हृदय समुद्र में प्रवाहित कर दिया.

    जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा रहस्य

    पुरी का जगन्नाथ मंदिर आज भी उस चमत्कार को संजोए हुए है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं. लेकिन इनके पीछे छिपा रहस्य भक्तों और विद्वानों को आश्चर्यचकित करता है. कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में वही हृदय विराजमान है जिसे ब्रह्म पदार्थ कहा जाता है. यही कारण है कि भक्त मानते हैं, मंदिर के गर्भगृह में आज भी भगवान कृष्ण का हृदय धड़कता है.

    हर 12 साल में होने वाला ‘नवकलेवर’

    जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियाँ नीम की लकड़ी से बनाई जाती हैं. हर 12 वर्ष में ‘नवकलेवर’ नामक रस्म के तहत भगवान की मूर्तियों को बदला जाता है. इस दौरान सबसे रहस्यमय प्रक्रिया होती है. ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में स्थापित करना.

    कहा जाता है कि जब यह रस्म निभाई जाती है, उस दौरान पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है. मूर्ति बदलने वाले पुजारियों की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है और हाथों में दस्ताने पहना दिए जाते हैं. मान्यता है कि अगर किसी ने गलती से भी इस रहस्य को देख लिया तो उसकी मृत्यु हो सकती है.

    मूर्ति बदलने के समय की रहस्यमयी अनुभूति

    रस्म निभाने वाले पुजारी बताते हैं कि जब भगवान का कलेवर बदला जाता है, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो मूर्ति के अंदर खरगोश फुदक रहा हो. यह अनुभव भक्तों के विश्वास को और गहरा कर देता है कि मूर्ति में आज भी श्रीकृष्ण का हृदय जीवित है और धड़कता है.

    मंदिर से जुड़े अन्य रहस्य

    जगन्नाथ मंदिर से कई और रहस्य भी जुड़े हैं. कहा जाता है कि मंदिर के सामने आते ही समुद्र की लहरों की आवाज़ सुनाई नहीं देती. यहां तक कि मंदिर का ध्वज भी हमेशा हवा की उलटी दिशा में लहराता है. ये घटनाएं इस मंदिर को और भी अद्भुत और रहस्यमयी बना देती हैं.

    आस्था का अद्भुत प्रतीक

    जगन्नाथ मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह उस विश्वास का प्रतीक है जो युगों से लोगों को भगवान से जोड़ता आया है. विज्ञान भले ही इन रहस्यों की सच्चाई खोजने में असमर्थ रहा हो, लेकिन श्रद्धालु मानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का हृदय आज भी पुरी के इस पवित्र मंदिर में धड़कता है.  

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