1 अरब के गहनों से सजे हैं राधा-कृष्ण, इस मंदिर का अद्भुत खजाना जान रह जाएंगे दंग, 100 साल पहले किसने करवाया था निर्माण?

    Janmashtami 2025: देश भर में आज जन्माष्टमी का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. कृष्ण भक्त अपने आराध्य के दर्शन और श्रृंगार का आनंद लेने मंदिरों की ओर उमड़ रहे हैं.

    Janmashtami 2025 Gwalior Gopal Mandir radha krishna adorned with jewelry worth 1 billion
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    Janmashtami 2025: देश भर में आज जन्माष्टमी का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. कृष्ण भक्त अपने आराध्य के दर्शन और श्रृंगार का आनंद लेने मंदिरों की ओर उमड़ रहे हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के ग्वालियर का प्राचीन गोपाल मंदिर इस बार भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण बना हुआ है. यहां जन्माष्टमी पर हर साल एक ऐसा दृश्य देखने को मिलता है, जो भक्तों के दिलों को आस्था और भक्ति से भर देता है.

    1921 में हुई थी मंदिर की स्थापना

    ग्वालियर के फूलबाग इलाके में स्थित इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1921 में तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने कराया था. इस मंदिर में भगवान राधाकृष्ण विराजमान हैं. यहां जन्माष्टमी का पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन मंदिर में रखे बहुमूल्य गहनों का खजाना खोला जाता है.

    100 करोड़ से अधिक मूल्य के गहनों से होता है श्रृंगार

    इस मंदिर की सबसे अनूठी परंपरा यह है कि जन्माष्टमी के दिन भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार रत्नजड़ित आभूषणों से किया जाता है. इन आभूषणों की कीमत 100 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी जाती है. इन गहनों को कभी सिंधिया शासकों ने भगवान को भेंट किया था. इनमें हीरे, पन्ना, माणिक, नीलम, मोती और सोने की बारीक नक्काशी से बने आभूषण शामिल हैं.

    चमकते हैं भगवान के दुर्लभ गहने

    श्रृंगार में भगवान को हीरे-मोती जड़े मुकुट, पन्ना और सोने से बना सात लड़ी का हार, 249 मोतियों की माला, सोने की बांसुरी, हीरे जड़े कंगन और चांदी का विशाल छत्र धारण कराया जाता है. जन्माष्टमी पर नगर निगम और प्रशासन की देखरेख में इन गहनों को सुरक्षित रूप से लाकर मंदिर में सजाया जाता है.

    दर्शन को पहुंचते हैं लाखों भक्त

    जन्माष्टमी के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. अनुमान है कि इस वर्ष भी लाखों भक्त भगवान के दिव्य श्रृंगार के दर्शन के लिए आएंगे. मंदिर प्रबंधन के मुताबिक, पूरे वर्ष में केवल जन्माष्टमी के दिन ही इन बहुमूल्य आभूषणों से भगवान का श्रृंगार किया जाता है. सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहते हैं और भक्तों की लंबी कतारें मंदिर परिसर में देखने को मिलती हैं.  

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