वॉशिंगटन डीसी: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं और उनके इस दौरे के दौरान एक अहम मुद्दा चर्चा में आ गया है – अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम का प्रस्तावित विधेयक, जो भारत सहित कई देशों के लिए चिंता का विषय बन सकता है.एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब जयशंकर से इस विधेयक के संभावित प्रभाव पर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा, “हम इस मसले पर पूरी तरह सतर्क हैं. भारतीय राजदूत लगातार संपर्क में हैं और जैसे ही विधेयक पर अंतिम निर्णय होगा, हम उसके मुताबिक कदम उठाएंगे.”
क्या है लिंडसे ग्राहम का बिल, जिससे भारत को खतरा?
अमेरिकी सीनेट में सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा लाया गया यह विधेयक रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और अन्य उत्पाद आयात करने वाले देशों पर आर्थिक दबाव बनाने के इरादे से सामने आया है. इस विधेयक में प्रावधान है कि ऐसे देशों से आने वाले उत्पादों पर अमेरिका 500% तक टैरिफ (शुल्क) लगा सकता है. भारत के लिए यह बिल खास तौर पर चिंता का विषय है, क्योंकि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से तेल आयात को कई गुना बढ़ा दिया है. अब स्थिति यह है कि भारत की रूस से तेल खरीद खाड़ी देशों से खरीद की तुलना में कहीं ज्यादा हो गई है.
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया: संवाद और कूटनीति
डॉ. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर गंभीर है, और यही संदेश अमेरिका को भी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा, हमारे राजदूत लगातार सीनेटर लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं. उन्हें हमने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और नीतिगत स्थिति की जानकारी दे दी है. बता दें कि इस विधेयक को सीनेट में अब तक 80 से ज्यादा सीनेटरों का समर्थन मिल चुका है, जिससे इसके पारित होने की संभावना बढ़ गई है.
रूस से तेल खरीद पर भारत की स्थिति
यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक और कूटनीतिक प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत ने अपनी राष्ट्रीय ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए रूस से तेल आयात जारी रखा. भारत का यह रुख न सिर्फ रणनीतिक रूप से मजबूती दिखाता है, बल्कि उसने अमेरिका, यूरोप और रूस – तीनों से संतुलन बनाए रखा है. लेकिन अब अगर अमेरिकी विधेयक पारित होता है तो भारत के लिए यह संतुलन बनाए रखना और कठिन हो सकता है. खासकर तब, जब अमेरिका से होने वाला निर्यात महंगा हो जाए.
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