'जब तक खून बहेगा, पानी नहीं बहेगा', सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान को जयशंकर ने दिया कड़ा संदेश

    Jaishankar on Operation Sindoor Rajyasabha: पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों के खिलाफ अब भारत ने निर्णायक रुख अपना लिया है. संसद के उच्च सदन राज्यसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि को फिलहाल स्थगित कर दिया है.

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    Jaishankar on Operation Sindoor Rajyasabha: पाकिस्तान की तरफ से लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों के खिलाफ अब भारत ने निर्णायक रुख अपना लिया है. संसद के उच्च सदन राज्यसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि को फिलहाल स्थगित कर दिया है. इस सख्त फैसले के पीछे कारण है कश्मीर के पहलगाम में हुआ वह आतंकी हमला जिसने पूरे देश को झकझोर दिया.

    जयशंकर ने साफ कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब “खून और पानी साथ नहीं बह सकते.” पाकिस्तान को चेतावनी देने के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया और इसमें निर्धारित सभी सैन्य लक्ष्यों को सफलता पूर्वक हासिल किया गया.

    पाकिस्तान को दो टूक: अब नहीं चलेगा दोहरा रवैया

    जयशंकर ने सदन में कहा कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि जब तक वह सीमा पार आतंकवाद पर रोक नहीं लगाता, भारत सिंधु जल संधि को वापस शुरू नहीं करेगा. उन्होंने जोर देकर कहा, “यह समझौता कभी शांति की कीमत नहीं था, यह तुष्टीकरण की कीमत थी.”

    हमें अपने किसानों की चिंता है, पाकिस्तान के नहीं

    बयान के दौरान कांग्रेस पर हमला बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि “जहां कांग्रेस सरकार को पाकिस्तानी किसानों की चिंता थी, वहीं मोदी सरकार को हिमाचल और राजस्थान के किसानों की चिंता है.” उन्होंने विपक्ष पर पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया.

    भारत की जवाबी रणनीति

    जयशंकर ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओजेके में स्थित आतंकवादी ठिकानों को बेहद सटीकता से निशाना बनाया गया. यह ऑपरेशन केवल आतंकी संगठनों पर केंद्रित था और इसमें आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाए बिना कार्रवाई की गई. यह पूरी कार्रवाई महज आधे घंटे में पूरी हो गई थी.

    ऐतिहासिक संदर्भ में भारत की पीड़ा

    जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि भारत 1947 से ही सीमा पार से हो रहे आतंकवाद का शिकार रहा है. दुनिया में शायद ही कोई दूसरा ऐसा देश होगा जिसे इतनी निरंतरता से आतंकवाद झेलना पड़ा हो.

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