Jaish al-Adl Attack On Iran: कुछ समय की शांति के बाद ईरान फिर से आतंक की आग में झुलस गया है. सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत के ज़ाहेदान शहर में गुरुवार को हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर इस इलाके की संवेदनशीलता और अस्थिरता को उजागर कर दिया है. सरकारी न्यूज एजेंसी महर के अनुसार, यह हमला ज़ाहेदान की एक अदालत में हुआ, जहां आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इस हमले में अब तक 5 लोगों की मौत और 13 लोग घायल बताए जा रहे हैं.
जैश अल-अदल नाम का सुन्नी आतंकी संगठन, जो पाकिस्तान सीमा के करीब स्थित इलाकों में सक्रिय है, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. खास बात यह है कि इस बार न अमेरिका, न इज़राइल बल्कि एक कट्टरपंथी क्षेत्रीय संगठन ने इस हिंसा को अंजाम दिया है.
कितना खतरनाक है जैश अल-अदल?
जैश अल-अदल (Jaysh al-Adl) की स्थापना 2012 में जुंदुल्लाह नामक संगठन के टूटने के बाद हुई थी. यह संगठन बेहद सक्रिय है और ईरान के सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर कई घातक हमले कर चुका है. इसकी सदस्य संख्या भले ही 500-600 के आसपास हो, लेकिन इसका नेटवर्क सीमापार फैला हुआ है.
ईरान की नजर में यह संगठन एक बड़ा आतंकी खतरा है क्योंकि यह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान को अलग करने की मांग करता है. संगठन के लड़ाके सलाफी-वहाबी विचारधारा को मानते हैं और शिया बहुल ईरानी शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में लगे हैं.
पाकिस्तान से मिलती है मदद?
संगठन की गतिविधियों का मुख्य आधार पाकिस्तान का बलूचिस्तान क्षेत्र है. यहां की सीमाएं ईरान से सटी हैं और सुरक्षा की कमजोरी का फायदा उठाकर जैश अल-अदल सीमापार आतंकी हमलों को अंजाम देता है. ईरान ने कई बार पाकिस्तान पर इस संगठन को पनाह देने का आरोप लगाया है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण बने रहते हैं.
हमले का उद्देश्य क्या?
यह हमला सिर्फ दहशत फैलाने का प्रयास नहीं था, बल्कि ईरान की न्याय प्रणाली, प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा तंत्र को सीधी चुनौती भी है. आतंकी संगठन जैश अल-अदल यह संदेश देना चाहता है कि वह अभी भी ताकतवर है और सीमावर्ती क्षेत्रों में उसका नियंत्रण बना हुआ है.
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