9वीं पास लड़का बना फर्जी महिला IPS, फोन पर अफसरों को हड़काया; लड़की की आवाज में 50 लोगों को चूना लगाया

    आरोपी की पहचान जबलपुर जिले के पाटन थाना क्षेत्र स्थित थापक मोहल्ला निवासी संकेत यादव के रूप में हुई है. हैरानी की बात यह है कि संकेत महज 19 साल का है, लेकिन शातिर दिमाग और तकनीकी समझ के दम पर वो कई पुलिस अधिकारियों और बैंक संचालकों को गुमराह कर चुका है.

    jabalpur Cyber fraud 19 year old fake IPS officer arrested
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    जबलपुर: आज की डिजिटल दुनिया में ठगी के तरीके जितने हाईटेक हो गए हैं, उतनी ही ठगों की कहानियां चौंकाने वाली होती जा रही हैं. कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के जबलपुर से, जहां एक 19 साल के लड़के ने पुलिस तक को चकमा दे दिया. महज 9वीं पास इस युवक ने खुद को महिला आईपीएस अधिकारी बताकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में साइबर ठगी को अंजाम दिया. 

    आरोपी की पहचान जबलपुर जिले के पाटन थाना क्षेत्र स्थित थापक मोहल्ला निवासी संकेत यादव के रूप में हुई है. हैरानी की बात यह है कि संकेत महज 19 साल का है, लेकिन शातिर दिमाग और तकनीकी समझ के दम पर वो कई पुलिस अधिकारियों और बैंक संचालकों को गुमराह कर चुका है.

    ऐसे रचता था ‘IPS’ का ड्रामा

    संकेत लड़कियों की आवाज में इतनी सफाई से बात करता था कि कोई शक ही नहीं करता. वह अलग-अलग थानों में कॉल करके खुद को किसी सीनियर महिला आईपीएस अधिकारी के रूप में पेश करता और कहता कि इलाके में चल रहे एक ग्राहक सेवा केंद्र (CSP) में अवैध लेन-देन हो रहा है. थाना प्रभारी से वह CSP संचालक से बात करवाने को कहता और फिर खुद को IPS बताते हुए संचालक को डरा-धमका कर QR कोड भेजने के बहाने 10 हजार रुपये ट्रांसफर करवा लेता.

    कैसे आया इस जुर्म का आइडिया?

    संकेत 15 साल की उम्र में ही घर छोड़कर उज्जैन चला गया था. वहां महाकाल मंदिर में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करते हुए उसने VIP मूवमेंट के दौरान पुलिस अधिकारियों की भाषा और अंदाज़ को गौर से देखा और सीखा. फिर CSP में काम कर उसे ट्रांजैक्शन से जुड़ी तकनीकी जानकारी भी मिल गई. एक बार मजाक में लड़की की आवाज में बात करने पर जब सामने वाले को शक नहीं हुआ, तो उसे इस ठगी का तरीका सूझा.

    गिरफ्तारी और आगे की जांच

    संकेत को यूपी पुलिस ने कासगंज रेलवे स्टेशन से 15 जुलाई को गिरफ्तार किया, जब वह महिला IPS अंकिता शर्मा के नाम का इस्तेमाल कर मथुरा पुलिस को गुमराह कर रहा था. जांच में सामने आया कि वह इससे पहले भी साइबर ठगी के मामलों में जेल जा चुका है और हाल ही में 25 जून को बदायूं जेल से रिहा हुआ था. फिलहाल यूपी और एमपी की साइबर सेल आरोपी से गहन पूछताछ कर रही है. पुलिस को संदेह है कि संकेत ने अकेले नहीं, बल्कि किसी गिरोह के साथ मिलकर यह सब किया है. QR कोड और बैंक ट्रांजैक्शन की जानकारी के आधार पर पुलिस इस मामले की परतें खोलने में जुटी है.

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