नई दिल्ली/इस्लामाबाद: हाल ही में ईरान द्वारा इज़राइल पर दागी गई मिसाइलों की विनाशकारी क्षमता ने यह साफ कर दिया है कि आधुनिक बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलें किसी भी देश की सुरक्षा के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकती हैं. इस घटनाक्रम ने भारत के रणनीतिक हलकों में भी हलचल पैदा की है, क्योंकि पाकिस्तान के पास भी इसी प्रकार की खतरनाक मिसाइलों का जखीरा मौजूद है – और अब चीन से मिलने वाले J-35A स्टेल्थ फाइटर जेट्स उसके एयर पावर में नई धार जोड़ने जा रहे हैं.
इस परिदृश्य में एक बड़ा प्रश्न यह है – क्या भारत को अब रूस का अगली पीढ़ी का S-500 ‘Prometheus’ एयर डिफेंस सिस्टम अपनाना चाहिए? विशेषज्ञों की मानें तो यह भारत की वायु सुरक्षा को अभेद्य बना सकता है.
पाकिस्तान की बढ़ती मिसाइल और क्षमता
पाकिस्तान पहले से ही एक विश्वसनीय परमाणु-सक्षम मिसाइल सिस्टम रखता है. इसकी प्रमुख मिसाइल प्रणालियों में गौरी, शाहीन-III (2500 किमी), अब्दाली, गजनवी, अदाबील (2200 किमी) शामिल हैं. ये सभी हाई-स्पीड, कम नोटिस पर लॉन्च होने योग्य हथियार हैं, जिन्हें इंटरसेप्ट करना आसान नहीं है – खासकर जब इन्हें मल्टीपल टारगेट या डिकोय सिस्टम के साथ प्रयोग किया जाए.
अब, चीन से संभावित J-35A स्टेल्थ फाइटर जेट्स की डिलीवरी इस पूरे समीकरण को और जटिल बना रही है. यह विमान न केवल स्टेल्थ तकनीक से लैस है, बल्कि इसमें BVR मिसाइलें (PL-15 / PL-17) और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमताएं भी शामिल हैं, जिससे यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकता है.
संभावित तैनाती स्थान:
भारत के पास जवाब क्या है?
भारत वर्तमान में रूस से प्राप्त S-400 ट्रायंफ एयर डिफेंस सिस्टम पर निर्भर है, जिसने हाल ही में अपनी क्षमता का प्रदर्शन पाकिस्तान सीमा के भीतर 300 किमी तक उड़ रहे एक AWACS एयरक्राफ्ट को सफलतापूर्वक निशाना बनाकर किया था.
लेकिन J-35A जैसे पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ प्लेटफॉर्म, और लंबी दूरी तक पहुंचने वाली सुपरसोनिक मिसाइलों को ध्यान में रखते हुए, अब भारत को इससे भी एक कदम आगे जाना होगा.
S-500 Prometheus: भारत के लिए क्यों जरूरी?
रूस में विकसित S-500 ‘Prometheus’ मौजूदा S-400 प्रणाली की तुलना में कहीं ज्यादा परिष्कृत और बहुस्तरीय रक्षा प्रणाली है, जो एक साथ हाइपरसोनिक मिसाइलों, स्टेल्थ एयरक्राफ्ट, सैटेलाइट्स और UAVs को ट्रैक व नष्ट करने में सक्षम है.

S-500 सिस्टम, भारत की मौजूदा S-400 यूनिट्स के साथ मिलकर एक बहुस्तरीय वायु रक्षा कवच तैयार कर सकता है। इसे दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, जयपुर, अहमदाबाद और पठानकोट जैसे रणनीतिक ठिकानों के आसपास तैनात किया जा सकता है।
चीन-पाकिस्तान सामरिक साझेदारी की चुनौती
चीन और पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य साझेदारी भारत के लिए एक डुअल फ्रंट खतरा बन चुकी है. जहां एक ओर पाकिस्तान को J-10C और भविष्य में J-35A जैसे स्टेल्थ विमान मिल रहे हैं, वहीं चीन अपने J-20 और ड्रोन स्क्वाड्रनों को LAC के पास तैनात कर रहा है. यह परिदृश्य भारत को मजबूर करता है कि वह ऐसी प्रणाली विकसित करे जो इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस नेटवर्क (IADS) के माध्यम से दोनों सीमाओं पर प्रभावी सुरक्षा दे सके.
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