क्या भारत में होगी टिकटॉक की वापसी? आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया सरकार का रुख, जानें क्या कहा

    शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक की भारत में वापसी को लेकर हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ रिपोर्ट्स में अटकलें तेज़ हो गई थीं.

    IT Minister told whether TikTok will return to India or not
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक की भारत में वापसी को लेकर हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ रिपोर्ट्स में अटकलें तेज़ हो गई थीं. हालांकि, इन चर्चाओं को आईटी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पूरी तरह खारिज कर दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार के पास टिकटॉक पर लगाए गए बैन को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है, और इस दिशा में फिलहाल कोई चर्चा भी नहीं चल रही है.

    हाल ही में कुछ इंटरनेट यूज़र्स ने देखा कि टिकटॉक की वेबसाइट कुछ नेटवर्क्स पर थोड़े समय के लिए खुल रही है. इससे यह कयास लगाए जाने लगे कि शायद टिकटॉक भारत में फिर से लॉन्च होने वाला है. हालांकि, मंत्री के बयान के बाद यह साफ हो गया कि वेबसाइट का खुलना तकनीकी गलती या सर्वर सेटिंग्स का हिस्सा हो सकता है और इसका मतलब यह नहीं कि टिकटॉक भारत में लौट रहा है.

    टिकटॉक पर बैन क्यों लगा था?

    टिकटॉक को भारत में जून 2020 में बैन कर दिया गया था. यह फैसला उस समय भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र लिया गया था. सरकार ने टिकटॉक समेत कुल 59 चीनी ऐप्स को यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया कि ये ऐप्स यूज़र्स का डाटा असुरक्षित रूप से एक्सेस कर रहे हैं और यह देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा हो सकता है.

    इन ऐप्स को भारत के आईटी एक्ट की धारा 69A के तहत ब्लॉक किया गया था. टिकटॉक के अलावा Helo, Likee, CamScanner, WeChat, और बाद में CapCut और Resso जैसे ऐप्स पर भी कार्रवाई की गई. जनवरी 2021 में टिकटॉक का बैन स्थायी कर दिया गया.

    बैन से पहले भारत टिकटॉक के लिए सबसे बड़ा मार्केट था, जहां इसके लगभग 20 करोड़ सक्रिय उपयोगकर्ता थे. कई क्रिएटर्स और डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स की पहचान इसी प्लेटफॉर्म के जरिए बनी थी.

    चीनी निवेश पर भी नियंत्रण

    टिकटॉक जैसे चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ भारत सरकार ने चीनी निवेश पर भी सख्ती बढ़ा दी. अप्रैल 2020 में केंद्र सरकार ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) नीति में बदलाव करते हुए कहा कि भारत से लगती सीमाओं वाले देशों से आने वाला कोई भी निवेश सरकारी अनुमति के बिना नहीं हो सकेगा.

    इस नीति के बाद Tencent, Alibaba, Ant Financial जैसे बड़े चीनी निवेशकों के लिए भारत में निवेश करना मुश्किल हो गया. नतीजतन, कई भारतीय स्टार्टअप्स जैसे कि Paytm, Zomato और BigBasket ने अपने शेयरहोल्डिंग पैटर्न में बदलाव किए और चीनी निवेशकों की हिस्सेदारी घटाई या पूरी तरह खत्म करने की कोशिश की.

    तकनीकी साझेदारी के सीमित अवसर

    हालांकि भारत और चीन के बीच राजनीतिक और डिजिटल टकराव की स्थिति बनी हुई है, फिर भी सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और हार्डवेयर सप्लाई चेन जैसे क्षेत्रों में कुछ हद तक बातचीत चल रही है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वीकार किया कि इन क्षेत्रों में ग्लोबल सहयोग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, खासकर जब भारत मेक इन इंडिया और सेमीकंडक्टर मिशन जैसी योजनाओं को गति दे रहा है.

    कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के क्षेत्र में भारत और चीन की कुछ कंपनियों के बीच संयुक्त उपक्रमों (Joint Ventures) की बातचीत चल रही है. लेकिन यह स्पष्ट है कि यह सहयोग केवल मैन्युफैक्चरिंग और हार्डवेयर तक सीमित है, ना कि सॉफ्टवेयर या ऐप्स जैसे संवेदनशील डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक.

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