नई दिल्ली: इजरायली डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने लेबनान में स्थित एक प्रमुख मनी एक्सचेंज नेटवर्क पर सटीक हमला कर हिज़्बुल्लाह की आर्थिक रीढ़ को कमजोर करने का दावा किया है. इस हमले में अल-सादिक करेंसी एक्सचेंज के मुखिया हायतम अब्दुल्ला बकरी मारे गए. बकरी, ईरान से हिज़्बुल्लाह तक फंड पहुंचाने की प्रणाली का अहम हिस्सा माने जाते थे.
इजरायली सेना के अनुसार, इस ऑपरेशन का उद्देश्य हिज़्बुल्लाह की फाइनेंशियल सप्लाई चेन को बाधित करना था. बकरी की हत्या के बाद IDF ने कहा कि यह हमला ईरान की कुद्स फोर्स द्वारा हिज़्बुल्लाह को भेजे जा रहे फंड के प्रवाह को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा.
भारत की भी रणनीति समान रही है
भारत ने भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए फंडिंग नेटवर्क्स पर चोट की रणनीति अपनाई थी. आतंकी संगठनों की फाइनेंशियल सप्लाई चेन को तोड़ने के लिए भारत ने कई छापे मारे, दर्जनों गिरफ्तारियां की और पाकिस्तान से फंडिंग के रास्तों को निष्क्रिय किया. विशेषज्ञों का मानना है कि हथियारबंद आतंकियों की तुलना में उनके फंडिंग नेटवर्क पर प्रहार कहीं अधिक प्रभावशाली होता है.
हिज़्बुल्लाह फंड का कहां करता है इस्तेमाल?
हिज़्बुल्लाह इन फंड्स का उपयोग हथियारों की खरीद, ट्रेनिंग, अपने लड़ाकों की सैलरी और संचालन खर्चों में करता है. इसी कड़ी में पिछले सप्ताह IDF ने ईरान के कुद्स फोर्स की यूनिट 190 के कमांडर बेहनाम शाहियारी को भी मार गिराया. शाहियारी, पश्चिम एशिया में फैले फाइनेंशियल नेटवर्क का नेतृत्व कर रहा था, जो तुर्किये, इराक और यूएई के मनी एक्सचेंजों के माध्यम से हिज़्बुल्लाह तक फंड पहुंचाता था.
कुद्स फोर्स: ईरान की छाया सेना
कुद्स फोर्स, ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर (IRGC) की एक गुप्त और शक्तिशाली शाखा है. यह सीधे ईरान के सर्वोच्च नेता को रिपोर्ट करती है और पश्चिम एशिया में ईरान के रणनीतिक हितों को बढ़ाने के लिए काम करती है. इसके ज़रिए ईरान, हिज़्बुल्लाह, हमास, हूती और इराकी शिया मिलिशियाओं जैसे संगठनों को हथियार, ट्रेनिंग और फंडिंग प्रदान करता है.
ये भी पढ़ें- इजरायल ने बताया अच्छा दोस्त, ईरान बोला जय हिन्द... मिडिल ईस्ट के तनाव में भारत की गजब डिप्लोमेसी