भारत और इजरायल के बीच रक्षा सहयोग अब एक नए स्तर पर पहुंच रहा है. लंबे समय तक केवल हथियारों की खरीद-फरोख्त वाला रिश्ता रहा है, वह अब ज्वाइंट डेवलपमेंट और भारत में उत्पादन की दिशा में बदल रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल अपनी उच्च तकनीक वाली रक्षा उत्पादक इकाइयों को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में शिफ्ट करने की योजना बना रहा है. इसके तहत ड्रोन, मिसाइल और अन्य एडवांस हथियार प्लेटफॉर्म भारत में ही निर्मित होंगे.
इस बदलाव की नींव पिछले महीने रखी गई, जब भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इजरायल का दौरा किया. इस दौरान भारत-इजरायल जॉइंट वर्किंग ग्रुप (JWG) की बैठक हुई और दोनों देशों ने नए MoU पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते का उद्देश्य एडवांस हथियारों का संयुक्त विकास, डिफेंस सिस्टम में को-प्रोडक्शन, AI और साइबर टेक्नोलॉजी, प्रशिक्षण, अनुसंधान और विकास (R&D) के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना है.
भारत में हाई-टेक हथियार उत्पादन
इजरायली अधिकारियों और भारतीय दूतावास के सूत्रों के अनुसार, इजरायल के इनोवेशन और टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम को भारत की इंजीनियरिंग क्षमता के साथ मिलाकर विश्व स्तर के हथियारों का उत्पादन किया जाएगा. यह उत्पादन ‘मेक इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड’ के सिद्धांत के तहत होगा.
भारतीय सीनियर डिप्लोमैट ने कहा कि यह बदलाव अगले 6 महीने से एक साल के भीतर नजर आने लगेगा. भारत के लिए यह कदम ऐतिहासिक महत्व का है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में इजरायल ने भारत को कई क्रिटिकल डिफेंस टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराई हैं. उदाहरण के लिए, भारत में बराक-8 एयर डिफेंस सिस्टम और एडवांस ड्रोन इजरायल के सहयोग से ही बनाए जा रहे हैं.
भारत की रक्षा नीति में बदलाव
भारत अब केवल हथियार खरीदने तक सीमित नहीं रहना चाहता. देश की नई रक्षा नीति ‘टेक्नोलॉजी ट्रांसफर’ और लोकल प्रोडक्शन पर केंद्रित है. भारत ने अपने हथियार उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं को लागू किया है, जैसे:
इस नीति का उद्देश्य है कि भारत भविष्य में एडवांस हथियारों को खुद विकसित और निर्यात कर सके, जैसा कि ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश डिफेंस सिस्टम में पहले ही देखा जा चुका है.
इजरायल के उद्देश्य और सुरक्षा कारण
इजरायल के लिए यह कदम रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. इजरायल एक छोटा देश है और उसे अपने हथियार उद्योग को युद्ध में नुकसान पहुँचने का डर रहता है. ऐसे में भारत जैसे भरोसेमंद देश में हथियार उत्पादन करने से इजरायल को यह सुनिश्चित करने का अवसर मिलेगा कि आवश्यक हथियारों की कमी न हो और वे सुरक्षा में आत्मनिर्भर बने रहें.
इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि वे UAV, मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम, रडार और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के लिए भारतीय भागीदार की तलाश कर रहे हैं. इजरायली कंपनी एल्बिट के कॉर्पोरेट ऑफसेट मैनेजर ने भारतीय निवेश को ‘एलिस इन वंडरलैंड’ से तुलना की, जहां भारत की नीतियां और प्रक्रिया हथियार उत्पादन और टेक्नोलॉजी साझेदारी के लिए अनुकूल साबित हो रही हैं.
भविष्य के अवसर और भारत की तैयारियाँ
अगले दस वर्षों में भारतीय सेना 250 अरब डॉलर से अधिक के हथियार और रक्षा सिस्टम खरीदने वाली है. इस विशाल मांग को पूरा करने के लिए भारत को व्यापक एक्शन प्लान की आवश्यकता है. जबकि इस सदी के पहले दशक में इजरायल ने भारत को करीब 10 अरब डॉलर के मिलिट्री इक्विपमेंट और सिस्टम ट्रांसफर किए थे.
विशेषज्ञ मानते हैं कि इजरायल का यह कदम पाकिस्तान और तुर्की को भी संदेश देगा. पाकिस्तान और तुर्की अपने कुछ ड्रोन उत्पादन हिस्सों को विदेश में स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन यदि इजरायल भारत में ही अपने हाई-टेक हथियारों का उत्पादन शुरू करता है, तो यह क्षेत्रीय संतुलन पर बड़ा प्रभाव डालेगा.
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