ईरान और इजराइल के बीच चल रही जंग अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है. एक ओर जहां दोनों देशों के बीच मिसाइलों और ड्रोन से हमला जारी है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिसने पूरे ईरान को दहला दिया है.
ट्रंप का बड़ा दावा, फिर दी धमकी
G7 समिट में शामिल होने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर सबको चौंका दिया. उन्होंने कहा, “ईरान को उस समझौते पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए था, जो मैंने दिया था. यह शर्मनाक है और मानव जीवन की बेकार बर्बादी है. सीधी बात — ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते. मैंने ये बात बार-बार दोहराई है. अब सभी को तुरंत तेहरान छोड़ देना चाहिए!”
इस पोस्ट को एक खुली धमकी के रूप में देखा जा रहा है, और इसके बाद से तेहरान में दहशत का माहौल है. ट्रंप पहले भी कई बार ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर सख्त बयान दे चुके हैं, लेकिन इस बार उन्होंने आम लोगों से राजधानी छोड़ने को कहकर एक नई स्तर की चेतावनी दे दी है.
तेहरान में पलायन, सड़कों पर हंगामा
इस बयान के कुछ घंटों के भीतर ही तेहरान के हालात बदलने लगे. सैकड़ों लोग शहर छोड़ने लगे, जिससे कई प्रमुख सड़कों पर जाम की स्थिति बन गई. पहले से ही इजराइल के हमलों से डरे लोग अब और ज्यादा डरे हुए हैं और दूसरे शहरों की ओर भाग रहे हैं.
अमेरिका की भूमिका को लेकर भ्रम
हालांकि ट्रंप के बयान से यह संकेत मिलता है कि अमेरिका कोई बड़ा कदम उठाने जा रहा है, लेकिन अमेरिकी प्रशासन ने साफ किया है कि अमेरिका इजरायली हमले में शामिल नहीं है. CBS की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ने भले ही राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की बैठक बुलाई हो, लेकिन यह सिर्फ हालात की समीक्षा के लिए है, न कि किसी सैन्य हस्तक्षेप की तैयारी.
युद्ध का पांचवां दिन: बढ़ते नुकसान
13 जून को इजराइल की ओर से ईरान की सैन्य और न्यूक्लियर साइट्स पर बड़े हमले के साथ शुरू हुई इस लड़ाई ने अब पांच दिन पूरे कर लिए हैं. दोनों देशों के बीच जवाबी हमलों का सिलसिला जारी है और अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं.
ईरान में 30 से ज्यादा सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए हैं और कुल मृतकों की संख्या लगभग 230 तक पहुंच चुकी है. वहीं, घायलों की संख्या 1200 से ऊपर बताई जा रही है. इजराइल की तरफ भी 24 लोगों की मौत और करीब 250 घायल होने की खबर है.
अब आगे क्या?
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान केवल शब्द नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत माना जा रहा है. क्या यह केवल दबाव की नीति है या फिर कोई असली सैन्य कार्रवाई की तैयारी? फिलहाल, तेहरान में डर का माहौल गहराता जा रहा है, और हर गुजरते घंटे के साथ मध्य पूर्व में युद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है.
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