13 जून की रात, पश्चिम एशिया के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ बन गई. महीनों से चले आ रहे तनाव और धमकियों का अंत हुआ एक सीधे सैन्य टकराव से. इज़रायल और ईरान के बीच अब केवल बयानबाज़ी नहीं, बल्कि मिसाइलों और ड्रोन की बमबारी के ज़रिए खुला युद्ध छिड़ चुका है.
इज़रायल ने सबसे पहले हमला किया. ‘ऑपरेशन राइजिंग लाइन’ के तहत उसने ईरान में सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाते हुए कई शीर्ष सैन्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों को मार गिराया. इसके कुछ ही घंटों बाद, ईरान ने जबरदस्त जवाबी हमला किया—एक ऐसा पलटवार जिसने तेल अवीव की नींद उड़ा दी.
ईरान का जवाब: ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस की शुरुआत
ईरान ने अपने ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस’ के तहत इज़रायल की राजधानी तेल अवीव और यरूशलेम पर 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे. यह हमला इतनी तीव्रता और रणनीति से हुआ कि इज़रायल का गर्व—आयरन डोम और डेविड स्लिंग—भी बेअसर होते नजर आए.
रातभर आसमान में धमाके, मिसाइलों की चमक और सायरनों की आवाज़ गूंजती रही. तेल अवीव का आकाश किसी युद्धक्षेत्र जैसा लग रहा था, जहां नागरिक बम शेल्टरों में छिपने को मजबूर थे.
क्या फेल हो गया आयरन डोम?
इज़रायल का एयर डिफेंस सिस्टम ‘आयरन डोम’ और ‘डेविड स्लिंग’ दुनिया के सबसे उन्नत माने जाते हैं. लेकिन ईरान के इस समन्वित और तेज़ हमले के सामने दोनों आंशिक रूप से असफल साबित हुए.
क्या हुआ था:
क्यों नहीं रोका जा सका हमला?
सोशल मीडिया पर युद्ध
सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें दिख रहा है कि:
यह साफ है कि ईरान ने इस हमले में बड़ी तैयारी और सही वक्त का इस्तेमाल किया.
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