मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर चरम पर है. इजरायल की निगाहें अब ईरान के उस न्यूक्लियर प्लांट पर टिकी हैं, जिसे दुनिया के सबसे सुरक्षित स्थलों में गिना जाता है. फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी. यह प्लांट ईरान के कोम शहर के पास एक पहाड़ के भीतर 90 मीटर गहराई में स्थित है, जिसे न सिर्फ छिपाया गया है, बल्कि इतना सुरक्षित बनाया गया है कि इस पर हमला करना लगभग असंभव माना जाता है. लेकिन इजरायल, जो दुनिया के सबसे जटिल सैन्य ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए कुख्यात है, इस मिशन को लेकर गंभीर दिख रहा है.
फोर्डो: ईरान का अचूक किला
फोर्डो प्लांट को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का सबसे अहम आधार माना जाता है. यह एक ऐसी जगह है जहां सेंट्रीफ्यूज के ज़रिए यूरेनियम संवर्धन (enrichment) किया जाता है. पहाड़ों के भीतर स्थित यह प्लांट इतना सुरक्षित है कि आम बम इसे छू भी नहीं सकते. यही वजह है कि इजरायल के लिए यह मिशन एक बड़ी चुनौती बन चुका है.
इजरायल के सामने दो रास्ते: आसमान या ज़मीन?
1. अमेरिका के GBU-57 बंकर बस्टर बम की जरूरत
अगर इजरायल हवाई हमला करना चाहे, तो उसे अमेरिका के पास मौजूद 13,600 किलो वजनी GBU-57 बम की आवश्यकता होगी, जिसे B-2 स्टील्थ बॉम्बर से ही गिराया जा सकता है. लेकिन अमेरिका से इस स्तर की सैन्य सहायता पाना राजनीतिक और रणनीतिक रूप से आसान नहीं है.
2. स्पेशल फोर्सेस का ज़मीनी हमला
इजरायल की खास फोर्सेज सायरेट मटकाल और शालदाग यूनिट्स दुश्मन की सीमा में घुसकर बेहद जटिल मिशन अंजाम देने के लिए मशहूर हैं. लेकिन फोर्डो में ग्राउंड ऑपरेशन का जोखिम बेहद ऊंचा है. क्योंकि यह एक अत्यधिक संरक्षित, दुर्गम और खतरनाक ज़ोन है.
इतिहास गवाह है: इजरायल ऑपरेशन में माहिर
इजरायल का अतीत ऐसे मिशनों से भरा पड़ा है जहां उसने दुश्मन की जमीन पर घुसकर बंधकों को छुड़ाया या दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त किया. 1976 का ऑपरेशन थंडरबोल्ट (एंटेबे, युगांडा): इजरायली कमांडो ने 102 बंधकों को छुड़ाया. 2023 का ऑपरेशन ‘मेनी वेज’ (मसयाफ, सीरिया): इजरायली कमांडो ने हेलिकॉप्टर से उतरकर ईरानी मिसाइल साइट को तबाह कर दिया. इनमें इजरायल ने जोखिम तो उठाया, लेकिन नतीजे हमेशा उसके पक्ष में रहे.
फोर्डो ऑपरेशन: ये हैं सबसे बड़ी चुनौतियां
भौगोलिक दूरी: फोर्डो इजरायल से 1,000 किलोमीटर से भी अधिक दूर है. वहां तक C-130 या हेलिकॉप्टर भेजना तकनीकी रूप से कठिन और जोखिम भरा होगा.
ईरान की सख्त सुरक्षा व्यवस्था: फोर्डो के आसपास हवाई और जमीनी दोनों तरह की कड़ी निगरानी है. ईरान किसी भी वक्त हमले की आशंका के चलते तैयार है.
भारी विस्फोटक की ज़रूरत: वहां मौजूद सेंट्रीफ्यूज और परमाणु सामग्री को पूरी तरह खत्म करने के लिए बड़ी मात्रा में विस्फोटक चाहिए होगा—जो एक ग्राउंड मिशन में ले जाना आसान नहीं.
राजनीतिक परिणाम: अगर ऑपरेशन असफल होता है, तो यह सीधे तौर पर इजरायल-ईरान युद्ध को जन्म दे सकता है, जिसमें हिज़्बुल्लाह और अन्य सहयोगी भी शामिल हो सकते हैं.
यह भी पढ़ें: इजरायल के हमलों के बीच हिज्बुल्लाह की चुप्पी, ईरान के सबसे ताकतवर सहयोगी की रणनीति क्या है?