गाज़ा पट्टी में जारी संघर्ष के बीच हमास ने एक बार फिर युद्धविराम की इच्छा जताई है, लेकिन इज़रायल के असहयोग के चलते यह प्रयास एक बार फिर नाकाम होता दिख रहा है. हमास की सशस्त्र शाखा अल क़सम ब्रिगेड के प्रवक्ता अबू ओबैदा ने शुक्रवार को एक वीडियो संदेश जारी कर साफ किया कि इज़रायल ने बंदियों की रिहाई संबंधी व्यापक युद्धविराम प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.
अबू ओबैदा का यह बयान चार महीने बाद सामने आया है. मार्च में उन्होंने अंतिम बार आधिकारिक रूप से कोई सार्वजनिक टिप्पणी की थी. इस ताज़ा बयान में उन्होंने न सिर्फ इज़रायल, बल्कि अरब और इस्लामी देशों की चुप्पी पर भी तीखा हमला बोला.
इज़रायल चाहता है युद्ध चलता रहे
अबू ओबैदा ने कहा, “हमने बार-बार इज़रायल को यह पेशकश दी कि युद्धविराम के बदले सभी बंदियों को एक साथ रिहा किया जा सकता है, लेकिन नेतन्याहू सरकार ने इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया.” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इज़रायल के नेता अपनी जनता को इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं कि वे शायद अपने सभी बंधकों को खो बैठेंगे. उनका दावा है कि हमास की ओर से की जा रही गंभीर कोशिशों के बावजूद इज़रायल का रुख पूरी तरह टकराव वाला है और वह बातचीत से ज्यादा सैन्य दबाव पर भरोसा कर रहा है.
कतर में ठप पड़ी शांति वार्ता
कतर में चल रही वार्ताओं को लेकर हमास ने साफ संकेत दिए हैं कि यदि इज़रायल मौजूदा बातचीत को आगे बढ़ाने से इनकार करता है, तो पहले किए गए 10 बंदियों की रिहाई के प्रस्ताव पर दोबारा लौटना संभव नहीं होगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमास के वरिष्ठ नेताओं ने इज़रायली बंधकों के परिवारों तक यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की है कि वह समझौते के लिए तैयार है, लेकिन रुकावट इज़रायल की ओर से आ रही है.
गाज़ा की तबाही के लिए अरब देशों को भी जिम्मेदार ठहराया
अपने संदेश में अबू ओबैदा ने उन देशों और लोगों का शुक्रिया अदा किया जो गाज़ा में फिलिस्तीनियों के साथ खड़े हैं. उन्होंने विशेष रूप से यमन के हूती विद्रोहियों की सराहना करते हुए उन्हें “सच्चा भाई” कहा. इसके उलट, उन्होंने अरब देशों की कड़ी आलोचना की, जिन्होंने गाज़ा के मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. अबू ओबैदा ने कहा, “हम किसी को दोषमुक्त नहीं कर सकते. जो चुप हैं, वे इस नरसंहार में भागीदार हैं. अरब देशों की निष्क्रियता ने इज़रायल को और अधिक निडर बना दिया है. उनके सिर पर हज़ारों मासूमों के खून का बोझ है.”
जनवरी के युद्धविराम के बाद फिर बिगड़े हालात
इस साल जनवरी में इज़रायल और हमास के बीच जो युद्धविराम हुआ था, वह मार्च में टूट गया. इसके बाद इज़रायल ने दोबारा गाज़ा पर बमबारी शुरू कर दी, जिससे मानवीय संकट और गहरा गया. तब से अब तक युद्धविराम की कई कोशिशें की गईं, लेकिन हर बार प्रयास असफल रहे हैं.
संघर्ष के बीच गाज़ा के लोगों की उम्मीदें टूटती हुईं
जहां एक ओर हमास युद्ध विराम के लिए अपनी तत्परता जता रहा है, वहीं गाज़ा के नागरिक हर दिन युद्ध की मार झेल रहे हैं. स्कूल, अस्पताल और रिहायशी इलाकों पर हुए हमलों ने हालात को और भी भयावह बना दिया है. फिलहाल, समाधान की कोई स्पष्ट दिशा नहीं दिख रही, लेकिन यह साफ है कि इस संघर्ष की कीमत सबसे ज़्यादा गाज़ा के आम लोग चुका रहे हैं.
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