बातें, बकवास और क्रेडिटबाजी में रह गए ट्रंप! सीरिया से नजदीकियां बढ़ाने का था इरादा; इजराइल ने की एयरस्ट्राइक

    पश्चिम एशिया में शांति की कोशिशों को उस समय झटका लगा, जब इजरायल ने हाल ही में सीरिया के पश्चिमी हिस्सों में जोरदार हवाई हमले किए. इन हमलों में एक आम नागरिक की मौत हो गई और कई सैन्य ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा.

    Israel airstrike on syria while trump busy making relationship
    Image Source: Social Media

    पश्चिम एशिया में शांति की कोशिशों को उस समय झटका लगा, जब इजरायल ने हाल ही में सीरिया के पश्चिमी हिस्सों में जोरदार हवाई हमले किए. इन हमलों में एक आम नागरिक की मौत हो गई और कई सैन्य ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा. इजरायल की ओर से किए गए इन हमलों ने क्षेत्रीय तनाव को फिर से हवा दे दी है, जबकि हाल के दिनों में अमेरिकी कूटनीति से कुछ नरमी की उम्मीद जगी थी.

    इजरायल के तटीय हमले और उनका मकसद

    सीरियाई सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली युद्धक विमानों ने लताकिया और तारतूस के आसपास के इलाकों को निशाना बनाया, खासकर जाबलेह के पास जामा गांव को. इजरायली सेना का दावा है कि उन्होंने उन हथियार डिपो और मिसाइल सिस्टम्स को नष्ट किया, जो उनकी सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय नौवहन मार्गों के लिए खतरा बन सकते थे.

    साथ ही, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के ठिकानों को भी तबाह किया गया. सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, यह हमला करीब एक महीने में सीरिया पर इजरायल का सबसे बड़ा सैन्य अभियान था, जो मुख्य रूप से रणनीतिक सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के उद्देश्य से किया गया था.

    अमेरिकी प्रयासों के बीच आया हमला

    यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका मिडिल ईस्ट में तनाव को कम करने की कोशिशों में लगा हुआ है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल शरा से मुलाकात कर सहायता का आश्वासन दिया था. माना जा रहा था कि इस पहल से इजरायल और सीरिया के संबंधों में भी नरमी आ सकती है, लेकिन इजरायल की हालिया कार्रवाई से यह संभावनाएं धूमिल होती नजर आ रही हैं.

    इजरायल और सऊदी अरब के बीच कूटनीतिक खिंचाव

    एक और अहम घटनाक्रम में, इजरायल ने सऊदी अरब के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को वेस्ट बैंक के रमल्लाह जाने से रोक दिया. प्रतिनिधिमंडल में सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, जॉर्डन, कतर और तुर्की के विदेश मंत्री शामिल थे. यह दौरा 1967 के बाद का सबसे बड़ा प्रयास माना जा रहा था, जिसका उद्देश्य फिलिस्तीनी स्वायत्तता और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना था.

    इजरायल ने इस दौरे को "उकसावे" की संज्ञा दी और इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया. इसके साथ ही इजरायल ने फिलिस्तीनी अथॉरिटी पर समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाया, हालांकि स्पष्ट नहीं किया कि कौन से समझौते तोड़े गए.

    फिलिस्तीन को मान्यता और नरसंहार के आरोप

    फिलहाल सऊदी अरब फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन जुटाने में सक्रिय है. सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गाजा पट्टी में इजरायली कार्रवाइयों को ‘नरसंहार’ बताया है, जिसे इजरायल ने खारिज करते हुए कहा है कि यह सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने के तहत की गई कार्रवाई है.

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