तेल अवीव समेत इजराइल के कई शहरों में शनिवार शाम को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, जब प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने गाजा शहर पर नियंत्रण की योजना को मंजूरी देने की पुष्टि की. इस फैसले के खिलाफ न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है, बल्कि इजराइल के भीतर भी तीखा विरोध देखने को मिल रहा है.
बंधकों के परिजनों ने इस योजना को अपने प्रियजनों के लिए "मौत का खतरा" बताते हुए आम हड़ताल का आह्वान किया है. उनका कहना है कि इस तरह के सैन्य अभियान से बंदियों की जान खतरे में पड़ सकती है. संयुक्त राष्ट्र ने भी चेताया है कि गाजा पर पूर्ण सैन्य कब्जा वहां फंसे फिलिस्तीनी नागरिकों और इजराइली बंधकों दोनों के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है. ब्रिटेन के इजराइल में राजदूत ने इसे "गंभीर गलती" करार दिया.
सेना और सरकार में मतभेद
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजा पर कब्जे की इस योजना को लेकर इजराइली सेना और सरकार के बीच मतभेद हैं. सेना का मानना है कि इस कदम से न सिर्फ बंधकों की जान खतरे में होगी, बल्कि सैनिक भी अनावश्यक जोखिम में पड़ेंगे और गाजा में मानवीय संकट गहराएगा.
प्रदर्शनकारियों की मांग
प्रदर्शन से पहले बंधक और लापता परिवार फ़ोरम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सरकार हमारे प्रियजनों की बलि चढ़ाने का निर्णय ले रही है, हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते.” फोरम ने अपील की कि युद्ध रोका जाए, व्यापक बंधक समझौता किया जाए और सभी को सुरक्षित वापस लाया जाए.
योजना के पांच मुख्य उद्देश्य
सरकार की इस योजना में पांच प्रमुख लक्ष्य तय किए गए हैं. हमास को पूरी तरह से निरस्त्र करना. सभी बंधकों को सुरक्षित वापस लाना. गाजा पट्टी का पूर्ण विसैन्यीकरण.क्षेत्र का सुरक्षा नियंत्रण इजराइल के हाथ में लेना.ऐसा नागरिक प्रशासन स्थापित करना जो न तो हमास हो और न ही फिलिस्तीनी प्राधिकरण. इजराइली सेना का कहना है कि वे गाजा शहर पर नियंत्रण की तैयारी के साथ-साथ युद्ध क्षेत्रों के बाहर नागरिकों को मानवीय सहायता भी उपलब्ध कराएंगे.
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