जब धरती जलने लगे, ईरान की गर्मी और प्यास से जूझती जिंदगी; लोग बोले- लगता है हवा भी अंगारे फेंक रही!

    ईरान में इस वक्त जो गर्मी पड़ रही है, वो सिर्फ मौसम नहीं, एक आपदा है.

    Iran struggles with heat and thirst
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    तेहरान के एक मोहल्ले में रहने वाले हुसैन हसन हर सुबह अपने चेहरे पर पानी के छींटे मारते हैं, लेकिन ठंडक नहीं मिलती. “ऐसा लगता है जैसे हवा भी अंगारे फेंक रही हो,” वो कहते हैं. 50 साल के हुसैन अब दिन में दो बार नहाने को मजबूर हैं, लेकिन राहत कुछ देर की होती है. यह सिर्फ हुसैन की कहानी नहीं है, बल्कि इस वक़्त पूरा ईरान गर्मी और प्यास से बेहाल है.

    50 डिग्री के पार, और हालात और बिगड़ रहे हैं

    ईरान में इस वक्त जो गर्मी पड़ रही है, वो सिर्फ मौसम नहीं, एक आपदा है. नेशनल मेट्रोलॉजिकल सर्विस ने साफ किया है कि यह साल का सबसे गर्म हफ्ता है. कई शहरों में तापमान 50°C के पार जा चुका है. शबनकरेह जैसे शहरों में पारा 52.8°C तक पहुंच गया. तेहरान में दिन का तापमान भले 41°C रिकॉर्ड किया गया हो, लेकिन लोगों को ये 45°C से भी ज्यादा महसूस हो रहा है.

    सूखा ऐसा कि डैम भी जवाब दे गए

    पानी की किल्लत ईरान की सबसे गंभीर समस्या बन चुकी है. बीते पांच साल से देश सूखे से जूझ रहा है, लेकिन इस बार बारिश ना के बराबर हुई है. हाल ये है कि 1950 के बाद बनाए गए सैकड़ों डैम अब अपनी क्षमता खो चुके हैं. ऊर्जा मंत्री अब्बास अलीअबादी ने बताया है कि ईरान अब तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान से पानी लाने की कोशिश कर रहा है.

    12 घंटे बिजली-पानी गायब

    देश के कई इलाकों में लोग रोजाना 9 से 12 घंटे तक बिजली और पानी के बिना जी रहे हैं. मशहद में रहने वाले एहसान अली बताते हैं, “अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में बने डैम की वजह से यहां की सप्लाई ठप हो गई है. लोडशेडिंग आम बात है. लोग डरे हुए हैं.”

    जलसंकट जितना दिखता है, उससे कहीं गहरा है

    ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने कैबिनेट में दो टूक कहा है, “जलसंकट जितना दिखता है, उससे कहीं बड़ा है. अगर अभी कदम नहीं उठाए, तो हम एक ऐसे मोड़ पर पहुंच सकते हैं जहां से वापसी संभव नहीं होगी.” क्लाइमेट एक्सपर्ट मैक्सिमिलियानो हरेरा भी इस डर को सही ठहराते हैं. उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने हीटवेव को न सिर्फ तीव्र बनाया है, बल्कि इसकी आवृत्ति भी बढ़ा दी है.

    अब आगे क्या?

    सवाल सिर्फ गर्मी का नहीं है. सवाल है पानी, बिजली, और बचे हुए संसाधनों का. सवाल है कि जब ज़मीन तप रही हो, तो जीने का क्या तरीका बचता है? ईरान के लिए ये सिर्फ एक मौसम नहीं. ये चेतावनी है.

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