तेहरान: ईरान के रक्षा मंत्री अजीज नासिरजादेह ने एक टीवी साक्षात्कार में बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि ईरान ने विश्व के कई देशों में हथियार निर्माण इकाइयां स्थापित की हैं. उन्होंने इस बात की पुष्टि की, लेकिन उन देशों के नाम गोपनीय रखने का निर्णय लिया.
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब ईरान और इजरायल के बीच हुए 12 दिन के युद्ध को दो महीने बीत चुके हैं और क्षेत्रीय तनाव अभी भी बरकरार है.
ईरान की रणनीति: छिपे तौर पर फैली सैन्य ताकत
नासिरजादेह ने स्पष्ट रूप से कहा, “हमने कुछ देशों में हथियारों के कारखाने लगाए हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से हम इनके स्थान का खुलासा नहीं कर सकते.” साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ईरानी सेना ने बीते वर्ष कई उन्नत हथियारों का परीक्षण किया है, जो स्मार्ट, युद्धक रणनीति के अनुकूल और आधुनिक तकनीकों से लैस हैं. उनका यह बयान यंग जर्नलिस्ट क्लब को दिए एक विशेष टीवी इंटरव्यू में सामने आया, जहां उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ईरानी सेना की प्राथमिकता फिलहाल मिसाइल डिवेलपमेंट है.
“15 दिन चलता युद्ध, तो इजरायल थम जाता”
इंटरव्यू के दौरान नासिरजादेह ने दावा किया कि यदि जून में हुआ युद्ध कुछ दिन और खिंचता, तो इजरायली सुरक्षा तंत्र पूरी तरह नाकाम हो जाता. उनके शब्दों में, “अगर लड़ाई 15 दिनों तक जाती, तो आखिरी तीन दिनों में इजरायल हमारी मिसाइलों को रोकने में पूरी तरह विफल रहता.” उन्होंने यह भी कहा कि इस स्थिति को भांपते हुए ही इजरायल ने अमेरिका से हस्तक्षेप करवाकर संघर्षविराम की पहल की.
कासिम बसीर मिसाइल: सबसे सटीक हथियार
ईरानी रक्षा मंत्री ने इस मौके पर "कासिम बसीर" नामक मिसाइल का विशेष ज़िक्र किया, जिसे उन्होंने ईरान की सबसे आधुनिक और सटीक मिसाइल बताया. यह मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 1200 किलोमीटर तक बताई गई है. इसमें एडवांस गाइडेंस सिस्टम और काउंटरमेज़र-रेज़िस्टेंट तकनीक लगी है, जो इसे दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप से बचाती है.
90% मिसाइलें पहुंचीं लक्ष्य तक: ईरानी दावा
ईरानी सेना का कहना है कि युद्ध के शुरुआती चरण में भले ही कुछ मिसाइलें रोक ली गई थीं, लेकिन जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ा, उनकी सटीकता बढ़ती चली गई. नासिरजादेह के अनुसार, “पहले कुछ दिनों में करीब 40% मिसाइलें नाकाम रहीं, लेकिन आखिरी चरण में 90% मिसाइलें सफलतापूर्वक अपने लक्ष्यों तक पहुंचीं.” उन्होंने इजरायल की रक्षा प्रणाली — जिसमें अमेरिका का THAAD सिस्टम, पैट्रियट बैटरियां, आयरन डोम और एरो डिफेंस शामिल हैं पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि ये सिस्टम ईरानी मिसाइलों के सामने कमजोर साबित हुए.हालांकि, इजरायल ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी सेना ने युद्ध के दौरान लगभग 90% ईरानी मिसाइलों और ड्रोन को निष्क्रिय किया.
क्या बदलेगी क्षेत्रीय सुरक्षा की दिशा?
ईरान के इन खुलासों और दावों से साफ है कि तेहरान अब केवल पारंपरिक युद्ध नहीं, बल्कि ग्लोबल सैन्य नेटवर्क और निगरानी क्षमताओं को भी मजबूत कर रहा है. हथियारों की फैक्ट्रियां गुप्त रूप से बाहर स्थापित करना, और मिसाइल तकनीक में लगातार सुधार — यह संकेत हैं कि ईरान अब भू-राजनीतिक रणनीति में ‘छाया शक्ति’ के रूप में उभरना चाहता है.
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