नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस होने का दावा करने वाली इंडिगो, यात्रियों के धैर्य की सबसे बड़ी परीक्षा बन गई. सवाल यह है कि जब उड़ान धरती पर हो तो किस तरीके से विश्वास आसमान पर पहुंचता हुआ नजर आएगा. सवाल यह भी है कि यात्री जो घंटों तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे, उनकी फ्लाइट्स डिले हुई, उनकी फ्लाइट्स कैंसिल हुई. क्या सिर्फ यह कह देने से कि इनकन्वीनियंस इस रिग्रेटेड काफी होता है. बिल्कुल नहीं होता. जरूरत यह है कि अकाउंटेबिलिटी तय हो. जरूरत यह है कि नियमों का पालन ठीक तरीके से हो और जरूरत यह है कि यात्रियों के लिए जब कहा जाता है कि हैसिल फ्री ट्रैवल तो उस वायदे को यह एयरलाइंस पूरा करें.
इस बार के भारत 24 के खास कार्यक्रम The JC Show में 'इंडिगो फ्लाइट्स कैंसिल' पर खास बातचीत हुई. इस खास कार्यक्रम में भारत 24 के एडिटर एंड चीफ और सीईओ डॉ. जगदीश चंद्र के साथ Indigo क्राइसिस को डीकोड किया गया. कार्यक्रम में इससे जुड़े सवाल और जवाब हुए. आइए विस्तार से जानते हैं.
सवालः इंडिगो क्राइसिस आखिर सरकार ने कैसे किया डैमेज कंट्रोल? इसके मायने क्या हैं?
जवाबः ऑफकोर्स इंडिगो हैड क्रिएटेड ए मेजर मेस और ए नेशनल डिजास्टर बाय पुलिंग आउट 100्स ऑफ फ्लाइट्स विदाउट एनी प्रायर नोटिस बट वि द टाइमली इंटरवेंशन ऑफ द प्राइम मिनिस्टर द सिचुएशन वाज़ बोट अंडर कंट्रोल लुकिंग टू द मूड ऑफ़ द नेशन ए कंसर्न एंड सेंसिटिव प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी स्पोक टू हिस ट्रस्टेड होम मिनिस्टर अमित शाह एंड आस्क्ड हिम टू टेक अप द इशू वि सिविलाइजेशन मिनिस्टर एंड टू ओवरसी ऑल द रिलीफ ऑपरेशंस द रिजल्ट इज़ विज़िबल ऑल इंडिगो ऑपरेशंस आर नाउ बैक टू नॉर्मल विद मोर देन 2000 फ्लाइट्स ए डे. सो इन दिस वे द एंटायर डैमेज कंट्रोल एक्सरसाइज इज़ ओवर विद ए मेजर वोट ऑफ़ थैंक्स टू नरेंद्र मोदी बाय द नेशन. सर पर जब एक बार सिचुएशन हाथ से निकल गई तो अल्टीमेटली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उसमें हस्तक्षेप करना पड़ा. क्या कहा था प्रधानमंत्री ने सर? देखो जब चीजें हाथ से बाहर निकल जाती हैं, सिचुएशन आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती हैं या सीवियर क्राइसिस होता है तो देश की जनता सारी हैरार्की को छोड़ के सीधे टॉप पे नरेंद्र मोदी की ओर देखती है. और यही इस केस में एग्जैक्टली हुआ. नरेंद्र मोदी ने इंटरवीन किया और उन्होंने दो टू शब्दों में कहा बिल्कुल इंडिपेंडेंटली और ये कहा कि नियम और एक्ट अपनी जगह हैं. लेकिन कानून जनता को परेशान करने वाला नहीं होना चाहिए. कानून से जनता को राहत मिलनी चाहिए, सुविधा मिलनी चाहिए, परेशानी नहीं होनी चाहिए. और उन्होंने दो टुक निर्देश दिए कि आप तुरंत स्थिति को ठीक करिए और यह देखिए कि किसी भी सरकारी कानून से जनता को कोई पीड़ा या दुख नहीं हो. इन दिस वे ही एंटर्ड द सिनेरियो ही डिड वंडरफुल जॉब एंड द नेशन पे ह ग्रेटट्यूड टू द प्राइम मिनिस्टर.
सवालः आपको ऐसा नहीं लगता है कि जब भी कोई बड़ा क्राइसिस होता है, लोग प्रधानमंत्री मोदी की तरफ देखते हैं. हाउ डू यू डिफाइन दिस फिनोमिन?
जवाब: इट इज़ पीपल्स ट्रस्ट एंड कॉन्फिडेंस इन द लीडरशिप ऑफ़ नरेंद्र मोदी. इसीलिए तो जनता कहती है ना कि मोदी है तो मुमकिन है. और वो भी क्राइसिस में कहते हैं कि मैं हूं ना जी. अभी दो दिन पहले एक बीजेपी एमपी के फंक्शन में उन्होंने कहा कि ये मजदूर आपके पीछे खड़ा है. आप आगे बढ़िए. कितनी बड़ी बात है तो सारा देश देखता है. देश का एक भरोसा है उनके अंदर. इसीलिए लोग उनसे अपेक्षा करते हैं और वो डिलीवर करते हैं बकायदा. तो उससे अपेक्षा और बढ़ती है लोगों की. एंड इट डजंट माइंड टू टेक एक्स्ट्रा रेस्पोंसिबिलिटी एज एंड व्हेन रिक्वायर्ड. सो दिस इज़ ऑल नरेंद्र मोदी पॉपुलरिटी एंड करिश्मा इन द कंट्री.
सवालः इस सारे डैमेज कंट्रोल में गृह मंत्री अमित शाह का रोल कैसे देखते हैं? एक यू नो जब सिचुएशन हाथ से निकलती है किसी केस में तो प्राइम मिनिस्टर उस काम को अमित शाह को सौंप के निश्चिंत हो जाते हैं. तो इस केस में एक्सजेक्टली यही हुआ.
जवाब: यू नो ही इज़ अ बोर्न ट्रबल शूटर फॉर द प्राइम मिनिस्टर. अमित शाह के पिक्चर में आते ही उन्होंने मिस्टर नायडू से बातचीत की. एक स्ट्रेटजी बनी और मॉनिटरिंग का एक सिस्टम बना और देखते ही देखते तीन-चार दिन में सारी स्थिति कंट्रोल में आ गई. तो क्या है मॉनिटरिंग और एक्शन ओरिएंटेड जो प्लान है यह कुदरत की देन है अमित शाह को एंड अमित शाह आल्सो डिलीवर इन दिस केस ये सारे देश ने देखा हालांकि फिर वो साइलेंटली बैक रूम पर्दे के पीछे रहे नायडू आगे रहे लेकिन जो सारी डायरेक्शन थी, सारा सुपरविजन था नरेंद्र मोदी के इंस्ट्रक्शंस का. वो सारा अमित शाह के लेवल पे एग्जीक्यूट हुआ और बहुत अच्छे से फिर ये जो डैमेज कंट्रोल ऑपरेशन है वो चला और सक्सेस हुआ.
सवालः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद में नागरिक उड्डन मंत्री की ओर से 12 सूत्री गाइडलाइंस जारी की जाती हैं. पहले तो उनका सार क्या था? और फिर दूसरा सवाल सर ये है कि इन इनको फॉलो कितना किया इंडिगो ने?
जवाब: जहां तक फॉलो का सवाल है तो अब की बार तो गवर्नमेंट वाज़ वेरी इफेक्टिव. प्राइम मिनिस्टर का डंडा था ऊपर. तो हर आदमी हर मिनिस्टर इवन इंडिगो वाज़ वेरी कोशियस ऑन द कंप्लायंस फ्रंट कि दोबारा से गलती नहीं हुई हमारी जो है और आपने कहा कि सार क्या था उसका? तो सार सबसे बड़ा तो उन्होंने यह कहा उस समय कि इस कानून को स्थगित करो जिससे प्रॉब्लम आ रही है सेफ्टी रूल्स को 10 फरवरी तक स्थगित करो फिर देखेंगे तो इमीडिएट रिलीफ तो उससे आया वहां जो है फिर उन्होंने कहा कि इमीडिएटली रिफंड करो पैसा लोगों का फिर ये कहा कि लगेज जहां खो गया उनको वापस लौटाओ फिर ये कहा कोई लोग फंसे हुए हैं तो उनको होटलों में सरकारी खर्चे पे एयरलाइंस के खर्चे पे उनको लेके जाओ फिर ये कहा कि जो टिकटों का जो रेट है जो आसमान को छू रहा है उसको कैप करो एक लिमिट करो फिर ये कहा कि इनका 10% शेयर काट लो जो है और फिर एक हाई लेवल इंक्वायरी भी ऑर्डर कर दी. तो उनका रोल काफी इफेक्टिव था. ऑफकोर्स अंडर द सुपरविज़न ऑफ़ नरेंद्र मोदी एंड अमित शाह रहा वो. बट मिनिस्टर्स रोल वाज़ वैरी इफेक्टिव. जी.
सवालः सभी एयरलाइंस के आसमान छूते किराए को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने इंडिगो सहित सभी एयरलाइंस के जो अधिकतम किराए की दर है उसे निर्धारित किया. तो क्या सच में ऐसा हो पाएगा?
जवाब: इट्स वेरी डिफिकल्ट यू सी. और मंत्री ने खुद ने कहा है कि साल भर तक इन रेट्स को लागू नहीं किया जा सकता. इट मे बी टेंपरेरी सशन. इट मे बी टेंपरेरी अरेंजमेंट जो है और दूसरा फिर उन्होंने कहा कि मौसम का बदलाव है. डिमांड सप्लाई की सिचुएशन है. साल भर एक रेट कैसे रह सकते हैं. फिर एक शब्द और आगे गए और उन्होंने कहा कि जो डीरेगुलेशन है इट इज़ आल्सो ए मस्ट फॉर डेवलपमेंट. और डी रेगुलेशन ऑफ गैप का प्राइसेस का अगर हम नहीं करेंगे तो इट विल अफेक्ट द वायबिलिटी ऑफ द एयरलाइंस. तो यह जरूरी है. तो कुल मिला के क्या है कि मिनिस्टर ने बड़ा प्रगमेटिक फील्ड लिया इसके अंदर जो है और इस इशू को इस तरह से सॉर्ट आउट किया और ये भी उन्होंने कहा कि इट इज़ नॉट अ सिंगल वे स्यूशन. दोनों को मिलके काम करना होगा. और यह आप जानते हैं कि मृग मारीचिका है ये फेयर का जो कैपिंग है एंड एयरलाइंस है मास्टर माइंडेड दिस आर्ट विषय सर्किल है तो कितना उनका कंट्रोल कर पाएंगे कितना नहीं कर पाएंगे तो प्रैक्टिकली फिर ये व्यू बना उसके अंदर कि ठीक है एक टेंपरेरी अरेंजमेंट हो सकता है ये और मिनिस्ट्री रेगुलरली जो है ना इसको मॉनिटर करेगी आगे जाके दिस इज द ओनली सशन लेकिन आप साल भर के लिए किसी एक रेट को डिसाइड नहीं कर सकते
सवालः क्या आपको लगता है कि कृषि क्षेत्र और किसानों को जिस तरीके से सब्सिडी ही दी जाती है. वैसे ही एयरलाइंस को टिकट प्राइस कंट्रोल के लिए एक सब्सिडी पैकेज दिया जाना चाहिए.
जवाब: वैसे तो ब्रिलियंट आईडिया है. गवर्नमेंट कंसीडर करे तो आप देखिए कृषक सम्मान योजना कितना पैसा जाता है उसमें अच्छा प्रयोग है. और फिर आप देखिए रेलवे में यात्रियों की सुविधा के लिए 43% सब्सिडी रेलवे टिकट पे जाती है. तो इसी पैटर्न पे यात्रियों की सुविधा के लिए ओवरऑल पब्लिक के इंटरेस्ट में अगर सरकार 1 लाख करोड़ का एक पैकेज कंपनसेशन पैकेज एयरलाइंस को दे दे तो कोई बुराई नहीं है. जिस तरह सरकार ने यश कमाया है इनकम टैक्स एक्ट के अमेंडमेंट से जिस तरह उन्होंने प्रशंसा कमाई है जीएसटी टू में और जैसा वह कस्टम रेगुलेशन करने जा रहे हैं. उसी तरह से अगर देश का जो यात्री है खासकर मिडिल क्लास का जो यात्री है उसके राहत के लिए सरकार अगर कोई बड़ा कंपनसेशन पैकेज एयरलाइंस को देती है तो उसका सीधा लाभ जो है वो यात्री को मिलेगा तब यह कैप तय हो सकता है, रेगुलर भी हो सकता है कि इस रूट पे इससे ज्यादा किराया नहीं लिया जाएगा. पर ट्रेजडी क्या है? अभी भी सरकार ने जो किराया तय आप देखिए 7500 पहले आप करते हैं फिर 12000 करते हैं 15000 करते हैं 18000 करते हैं जो है इशू क्या है और ट्रेजडी क्या है एयरलाइंस फिर क्या करती हैं वो जो मैक्सिमम किराया है. कैप उसको मिनिमम किराया मान लेती है फिर बिलिंग उसी हिसाब से होना शुरू हो जाता है तो बड़ा ये क्या कहना चाहिए कि एक टिक्लेश इशू है और इसको जब तक आप कोई रिलीफ एयरलाइंस को नहीं देंगे कंपनसेशन नहीं देंगे तब तक तो आम आदमी को कोई हम कैप कर सकें टिकट को उसको राहत दे सकें और पॉसिबल नहीं दिखाई देता है.
सवालः सर उडन मंत्री नायडू ने कहा कि सरकार इंडिगो के खिलाफ में कड़ी कारवाई करने वाली है. इफ प्रूव नेग्लिजेंट. सरकार के पास विकल्प क्या-क्या हैं?
जवाब: सरकार तो सरकार होती है. सरकार खुदा होती है. सरकार के पास बहुत विकल्प हैं. सबसे पहला विकल्प तो यह है कि इंडिगो का लाइसेंस कैंसिल कर दें, सस्पेंड कर दें. इज नॉट पॉसिबल नॉट प्रैक्टिकल. दूसरा विकल्प यह है कि इंडिगो पे एक एफआईआर हो. ठीक? एफआईआर मे लीड टू अरेस्ट ऑफ़ द पीपल आल्सो. तीसरा विकल्प उनके पास में यह है कि एक बड़ा जुर्माना जैसे सुन रहे हैं कि 500 करोड़ का जुर्माना लगा दें. चौथा है कि उनके सीओ को हटा दें. कुछ एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को हटा दें. उसको चेंज कर दें. तो सरकार के हाथ बहुत लंबे हैं. लेकिन सरकार क्या अभी धैर्य और संयम से काम ले रही है. सरकार देख रही है कि फिर इंडिगो कहीं रिवोल्ट नहीं करे. वापस हमारे किसी एक्शन से काउंटर एक्शन नहीं हो. फिर यह सेवाएं बंद नहीं हो जाए कहीं. तो सरकार बहुत केयरफुली इंडिगो का जो बार्गेन पावर है या इंडिगो का जो व्यू रहा है मोनोपोलेस्टिक उसको सरकार एग्जामिन कर रही है. सरकार के पास विकल्प तो बहुत खुले हैं लेकिन अभी सरकार केवल सिविलियन तरीके से काम कर रही है. क्रिमिनल आस्पेक्ट है इंक्वायरी का उस पे सरकार अभी नहीं गई है.
सवालः आप एक्शन की बात करें तो चार फ्लाइट ऑपरेशन जो इंस्पेक्टर हैं डीजीसी ने उनको टर्मिनेट कर दिया. यह जो मूव है आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: इट इज़ अ वेलकम मूव. देखिए इट इज़ अ सर्टेनली वेलकम मूव. एक मैसेज गया इंडस्ट्री के अंदर कि गवर्नमेंट इज़ कीन एंड गवर्नमेंट इज़ कंसर्न अबाउट दिस. तो एक अच्छा प्रयास है सरकार का. इससे अच्छा मैसेज गया है और डीजीसी की भी एक क्रेडिबिलिटी बनी है बाजार में कि हां डीजीसीए ने इसमें एक्शन लिया है. तो इट इज़ अ वेलकम मूव फॉर एवरीबॉडी.
सवालः क्या किसी कॉर्पोरेट कंपनी के सीईओ को हटाने का जो अधिकार है वो नागरिक उड्डन मंत्रालय या फिर डीजीसीए के पास है क्या?
जवाब: आमतौर पे तो क्या होता है? सीओ को हटाने का अधिकार जो है बोर्ड और डायरेक्टर्स के पास होता है. लेकिन एक्सेप्शनल सरकमस्ट्ससेस में गवर्नमेंट कैन रिवोक एनी एनी लॉ एनी ऑर्डर एंड कैन नॉट ओनली सस्पेंड दे कैन अरेस्ट आल्सो दे कैन लॉज एफआईआर आल्सो अनलिमिटेड पावर्स होती हैं गवर्नमेंट की. अभी जो कानून है उसमें आप कह दीजिए कोई 19A और 133 एक धारा है कानून में अभी जो है उसके तहत क्या है कि आप 50% उनकी सीटों को जो है एक तरह से खट्टेल कर सकते हैं. लेकिन डायरेक्टली आप उसको टर्मिनेट करेंगे. ऐसा क्लियर प्रावधान नहीं है. आमतौर पे नहीं होता. लेकिन जो क्राइसिस अनप्रेसिटेड जैसे यह जो केस है इस केस में गवर्नमेंट अगर एक्सक्लूसिव पावर्स को एक्सरसाइज करते हुए उनको अगर टर्मिनेट करती है तो गवर्नमेंट विल बी वेल विद इन इट्स राइट्स.
सवालः चंद्रबाबू नायडू की तरह एनडीए के दूसरे महत्वपूर्ण घटक यानी कि जेडीयू ने कहा है कि इंडिगो के दिन दहाड़े डकैती के खिलाफ सरकार सख्त और तुरंत कार्यवाही करे. इस डेवलपमेंट को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: इट हैज़ नो मेरिट नो रेलेवेंस. केसी त्यागी बहुत सीनियर आदमी अनुभवी व्यक्ति हैं. अब जीवन के इस मोड़ पर उनकी बेटी का कोई टिकट हुआ मैंने पढ़ा 41,000 में टिकट हुआ दिल्ली मुंबई का वो दिलित हुए तो उन्होंने कह दिया क्या लूट है ये इन्हें वे जो है ये और बाकी क्या राज्यसभा के इलेक्शन आ रहे हैं दो सीट जेडीयू को मिल रही हैं तो लोग दुआ करते हैं कि वो फिर से लाइमलाइट में आए और राज्यसभा में जाएं. कुल मिलाकर ना जेडीयू का सवाल है तो नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के संबंध बहुत अच्छे हैं. अभी जब शपथ हुई थी पटना में नीतीश कुमार की तो चंद्रबाबू नायडू का बड़ा लड़का जो है वहां गया था उन्हें बधाई देने के लिए. तो ऑल इज वेल बिटवीन द टू पार्टीज एंड नथिंग मचेंस रादर नो मचेंस शुड बी गिवन टू दिस स्मॉल इंसिडेंट.
सवालः इस पूरे इंडिगो क्राइसिस में आप एविएशन मिनिस्टर जो कि यंगेस्ट कैबिनेट में हैं मिनिस्टर के रूप में उनको राममोहन नायडू के परफॉर्मेंस को कैसे देखते हैं?
जवाब: हिज परफॉर्मेंस हैज़ बीन वेरी इंप्रेसिव ए कॉम्पिटेंट पर्सन विथ अ क्लेरिटी एंड ए विज़न ही हैड ए करेज एंड कन्विक्शन टू ओपनली से एंड एडमिट दिस इज़ माय फेलियर. आई टेक द एंटायर रेस्पोंसिबिलिटी एंड आई अपोलाइज टू द नेशन. कितनी बड़ी बात है. मीडिया की जो प्रेस कॉन्फ्रेंस करी उन्होंने बिल्कुल कतराए नहीं. कई मीडिया चैनल्स ने उनको ग्रिल किया. घबराए नहीं और उन्होंने हर सवाल का जवाब दिया जो लोगों ने पूछा उन्होंने कहा कि मैं सवालों से भागूंगा नहीं जिसे कहते हैं. और अपनी एक लीडरशिप जो है वो उन्होंने वहां पे दिखाई. हालांकि कुछ लोगों ने कहा कि भाजपा उसी ग्रुप में जो चंद्रबाबू नायडू की पार्टी है आपकी उसी में एक दो लोगों ने कहा कि सरकार ने यंग मिनिस्टर को उतना सपोर्ट नहीं किया जितना करना चाहिए था. भाजपा का कोई बड़ा नेता उनके पक्ष में नहीं आया. बट आई डोंट एग्री दिस. प्राइम मिनिस्टर ने खुद इंटरवीन किया. अमित शाह को लगाया. इससे बड़ा क्या सपोर्ट और क्या इन्वॉल्वमेंट हो सकता था? दैट वे जो है तो मिनिस्टर हैज़ डन वेल इन दिस एंटायर एक्सरसाइज.
सवालः सर ये जो इंडिगो और बाकी के एयरलाइंस हैं इनके लिए डीजीसी के जो सेफ्टी नॉर्म्स हैं वो सेफ्टी नॉर्म्स क्या है सर?
जवाब: मोटे तौर पे ये है कि आपकी जो है हेल्थ का ध्यान रहे इन अ वे जैसे पायलट के लिए कह दिया उन्होंने कि हर हफ्ते में जो है ना दो दिन का अवकाश होना चाहिए 48 घंटे का और इसमें जो आपकी लीव है वो इसमें काउंट नहीं होंगी. इसी तरह से उनके लिए कह दिया कि नाइट लैंडिंग आपकी जो है छ से घट के दो होनी चाहिए. लगातार नाइट ड्यूटी नहीं करनी चाहिए. क्रियों के लिए कह दिया पहले 36 घंटे का था रेस्ट. अब उनको भी कह दिया कि 48 घंटे रेस्ट आपका एक वीक में होना चाहिए. लगातार नई ड्यूटी नहीं लगनी चाहिए. तो बेसिकली जो नॉर्म्स हैं वो इस तरह के हैं कि नींद की कमी के कारण जो घटनाएं हो जाती हैं सो नहीं पाते हैं जिस तरह से 810 घंटे होता है तो वो उनको रोका जा सके और जो नींद की कमी है उसको दूर किया जा सके. दुर्घटनाओं की रोकथाम की जा सके. दिस इज ऑल.
सवालः 1 दिसंबर से 5 दिसंबर के दौरान जो एयरपोर्ट्स पर अफरातफरी का माहौल रहा, इसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब: ये बहुत अनफॉर्चूनेट था. बहुत संवेदनशील था. एक अखबार ने लिखा कि आकाश में मुसीबत और धरती पर चिल्लर चीख और वेदना लोगों की है. एक जगह शादी थी दूल्हा दुल्हन नहीं पहुंची. आप देखिए हजारों शादियां रुक गई लोगों की. प्रदर्शनियां रुक गई लोगों की. होटल रेस्टोरेंट बुकिंग थी वो सारी कैंसिल हो गई. तो एक एनार्की की सिचुएशन जो है वहां पे बनी इस सारे माहौल में. तो सारा दृश्य बहुत दुखद था. कई लोगों को कोरोना की भी याद आई और राष्ट्र में ऐसा पहली बार हुआ. केवल एक एयरलाइंस के मिसमनेजमेंट के कारण पूरे राष्ट्र को यह दुख और पीड़ा भुगतनी पड़ी.
सवालः क्या यह सच है कि चारों तरफ एयरपोर्ट पर अफरातफरी थी और जो मैनेजमेंट था मैनेजमेंट ने लोगों के सवाल का जवाब देने के लिए उनके आक्रोश का सामना करने के लिए जो वहां पर जूनियर लोग थे उनके ऊपर जिम्मेदारी सौंप दी.
जवाब: यू आर अब्सोलुटली करेक्ट. दे वर्सली अबंडेंट देयर स्टाफ, देयर लोअर स्टाफ, दे लेफ्ट देम शेटर्ड, दे लेफ्ट देम अलोन. और 202 साल की उम्र के लड़के लड़कियां जो है जिनकी ऐसे सैलरी थी 25 ₹00 वो आक्रोशित लोगों की जो भीड़ है उन पर टूट पड़ी है. एक तरह से उनके सवाल और कई दफा मैंने एक दो सीन में देखा कि पुरुष लोग और लोग लड़कियों की तरफ से टूट के पड़ रहे हैं सवाल जानने के लिए. देयर इज़ नो सेफ्टी दैट वाज़ है. इनफैक्ट इट वाज़ इट वाज़ अ मोमेंट ऑफ़ शेम फॉर द एयरलाइंस. कि कोई सीनियर आदमी उसमें हैंडल करने के लिए नहीं आया. और एंटायर सिचुएशन जो है यंग और इनएक्सपीरियंस जो स्टाफ था उसके भरोसे उन्होंने छोड़ दिया. ए क्रिमिनल एक्ट
सवालः व्हाट वर द बेसिक रीजन फॉर दिस मेजर अनप्रेसिडेंटेड इंडिगो सर्विस डिसरप्शन?
जवाब: बेसिक रीजन ये था कि डेढ़ साल सेफ्टी रूल बने हुए थे. सरकार ने इंडिगो से कहा कि लागू करो. इंडिगो डेढ़ साल तक जो है उसको टालता रहा. एक दिन ऐसा आया सरकार ने डंडा घुमाया. तो फिर इंडिगो ने अचानक सुबह से जो है अपनी सारी फ्लाइट्स और सारी सेवाएं जो है स्थगित कर दी वहां पर जो है तो हुआ क्या परिणाम कि ऑल ऑफ सडन हुआ बिना नोटिस के हुआ तो अराजकता की स्थिति बनी और ये केस क्रिएट हुए तो बेसिक रीज़न ये है इसके अंदर जो है कि सीरियस फेलर ऑफ़ मैनेजमेंट सुपरवाइज़री फेलर ऑफ़ मैनेजमेंट जिसमें कि क्लेरिटी नहीं थी किसी लेवल पे कि करना क्या है और उसके बाद में फिर क्या होता है चैन रिएक्शन और पैनिकिक एक माहौल बनता है बट इंडिगो हैज़ एमर्ज एस अ मेन कल्पेट एस फ एस दिस क्वेश्चन इज कंसर्न.
सवालः इस पूरे क्राइसिस के बीच में एक सवाल यह भी है कि 31 मई 2024 से लेकर 1 नवंबर 2025 यानी इस पूरे डेढ़ साल के अंतराल के बीच में इंडिगो के टॉप मैनेजमेंट ने नई गाइडलाइंस एफटीडीएल को लागू करने के लिए जरूरी कदम क्यों नहीं उठाए और दूसरी तरफ रिजल्ट ये हुआ कि 1 दिसंबर की सुबह से हमने देखा कि इंडिगो की सारी की सारी सर्विज अस्त-व्यस्त हो गई.
जवाब: इसमें एक्चुअली क्या हुआ कि 1 नवंबर को यह लागू होनी थी सारी और कहा हुआ था मिनिस्ट्री की तरफ से डीजीसी की तरफ से ये लास्ट डेट है 1 नवंबर तो लागू नहीं की इंडिगो ने एक्स्ट्रा कॉन्फिडेंट थे या जो भी थे डीजीसीए ने डायलॉग का प्रोसेस शुरू किया एंड देयर वाज़ अ चेन ऑफ़ मीटिंग्स बिटवीन इंडिगो डीजीसी एंड अदर मिनिस्ट्री ऑफिशियल्स और हर बार इंडिगो ने कोई ना कोई नई क्वेरी खड़ी करी एक क्वेरी का जवाब दिया दूसरी क्वेरी आ गई दूसरी तीसरी कर दिया, तीसरी क्वेरी आ गई और ऐसे करते-करते दिसंबर आ गया और दिसंबर के बाद फिर जो कुछ हुआ वो आपके सामने है. तो इट हैज़ बीन अ टोटल नॉन कोऑपरेशन या नॉन अंडरस्टैंडिंग ऑन द पार्ट ऑफ़ इंडिगो विजा डीजीसीए एंड द गवर्नमेंट.
सवालः क्या ये सच है कि 1 दिसंबर को वाया डीजीसीए इंडिगो ने सरकार को आश्वस्त किया कि वो नए कानून को लागू करने के लिए तैयार है और फिर दो दिन बाद यानी कि 3 दिसंबर को बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिल होना शुरू हो गई. इस पूरे घटनाक्रम को सर आप कैसे देखते हैं?
जवाब: इट्स अ क्रिमिनल बीच ऑफ ट्रस्ट ए बिटल व्हिच वुड नॉट हैव बीन डन एट दिस लेवल. मिनिस्टर ने बकायदा पार्लियामेंट में कहा यह कि 1 दिसंबर को इंडिगो और डीजीसीआई के ऑफिशियल्स के बीच चर्चा हुई. उनसे फिर से पूछा गया कि आपको लागू करना है सेफ्टी रूल्स को. आर यू श्योर टू कंप्लाई द ऑपरेशंस विद सेफ्टी रूल्स? आर यू कॉन्फिडेंट? तो सामने से जवाब आया यस वी आर कॉन्फिडेंट. तो पूछा एनी क्लेरिफिकेशन तो उन लोगों ने कुछ क्लेरिफिकेशंस मांगे व्हिच वर प्रोवाइडेड बाय द मिनिस्ट्री बाय डीजीसीए टू देम. दे आर ऑल सेटिस्फाइड. और उन्होंने कहा कि एवरीथिंग इज नॉर्मल. ठीक है? और अगले दिन सुबह से ही फ्लाइटों का कैंसिल होने का दौर शुरू हो गया. पहले दिन 150 फिर 250 550 800 1700 कुल मिलाकर 7 दिन के अंदर 5000 फ्लाइट कैंसिल हो गई. ठीक है? इट इज़ ए बिटल एक झूठा आश्वासन जो है इतनी बड़ी कंपनी ने सरकार में इस स्तर पे दिया. इट इज़ अ मैटर ऑफ़ सीरियस कंसर्न इट नीड्स टू बी लुक्ड इनू एंड सम सॉर्ट ऑफ ए पिटिव एक्शन नीड्स टू बी टेकन. ये देश में पहली बार हुआ. मंत्रालय के स्तर पर इंडिगो के टॉप लेवल के स्तर पर जो आश्वासन दिया इंडिगो ने वह पूरा नहीं किया और अचानक एक कोहराम मच गया तो इससे उनकी इंटेंशन पे भी सवाल खड़े होते हैं. लेट्स सी.
सवालः जब इंडिगो के टॉप मैनेजमेंट को ये क्लियरली पता था कि वो 3 दिसंबर को नहीं फ्लाइट्स चल पाएंगी. फ्लाइट्स कैंसिल होंगी ज्यादा होंगी 3 दिसंबर वाले दिन. तब भी बोर्डिंग पास इशू होते हैं. तब भी जो एयरपोर्ट के अंदर काउंटर्स हैं इंडिगो के वहां पर चेक एंड लगेज ले लिए जाते हैं. इसके पीछे की वजह क्या है सर?
जवाब: इसकी वजह बहुत आश्चर्य है. वैसे तो क्या इट्स अ मैटर ऑफ़ पुलिस इन्वेस्टिगेशन देखा जाए तो डीप इन्वेस्टिगेशन ये सिविल इन्वेस्टिगेशन का सब्जेक्ट नहीं है. और ये सिंपल जिसे कहना चाहिए एडमिनिस्ट्रेटिव लापरवाही भी नहीं है. आप देखिए आई हैव डेफिनेट इन कि 3 तारीख को सुबह सब एयरपोर्ट्स पे इंडिगो का स्टाफ आया. सारे यात्री आ गए. तो स्टाफ का जो सिस्टम था उसमें लाइव बोल रही थी सारी फ्लाइटें. टॉप लीडरशिप से इंस्ट्रशंस नहीं थे कि मैंने फ्लाइटें कैंसिल कर दी है. डोंट एक्सेप्ट लगेज. डोंट इशू बोर्डिंग पास इंस्ट्रक्शन नहीं थे. तो नीचे वाले इसी ख्याल में थे कि सिस्टम पे लाइव दिख रही है ऑल फ्लाइट्स. तो बोर्डिंग पास दो लगेज लो. जी. उन्होंने वही किया. बाद में जब फ्लाइटें टलती गई टलती गई शाम होते होते उनको मालूम पड़ा कि यह तो स्कैंडल हो गया एक तरह से तो बोर्डिंग पास इशू हुआ बिकॉज़ ऑफ़ लैक ऑफ़ कोऑर्डिनेशन बिटवीन द टॉप लीडरशिप एंड द ग्राउंड स्टाफ और देयर मे बी सम कास्परेसी एट द टॉप लेवल वी कांट रूल इट आउट कि इस तरह से किया गया दबाव क्रिएट करने के लिए किया गया या कैसे किया गया दिस इज़ टू बी सीन बट बी वेरी अनफॉर्चूनेट के बोर्डिंग पास इशू होने के बाद लोग भटकते रहे घंटों वहां एयरपोर्ट से पड़े रहे उनको फ्लाइट्स नहीं मिली.
सवालः क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि इंडिगो की एोगेंस ओवर और जो ओवर कॉन्फिडेंस है वो इस सब की एक बड़ी वजह रहा.
जवाब: ऑफकोर्स एोगेंस तो लोग कहते हैं कि सम पार्ट ऑफ एोगेंस इज़ इनबिल्ट इन द कल्चर ऑफ इंडिगो इन द सिस्टम ऑफ इंडिगो जो है मन में उनके शायद यह भाव रहा होगा कि हम 65% शेयर वाले हैं. हमें किसका डर है? हमें कौन रोक सकता है? देश हमारे से चलता है और यह एोगेंस जो है मृत्यु का कारण बनी इस बार जो है ऐसा माना जाता है लोगों का जो है और कॉन्फिडेंस इस बात का कि नहीं कोई बात नहीं डेढ़ साल खींच लिया है ना फिर खींच लेंगे मिनिस्ट्री से एक्सटेंशन ले लेंगे पॉलिटिकल फुल प्रेशर यूज़ कर लेंगे अपनी बारगेन पावर है अपनी मोनोपोली है इसको यूज़ कर लेंगे तो इस तरह से फैक्ट है कि टू सम एक्सटेंड एोगेंस और ये जो ओवर कॉन्फिडेंस है ये इसका रीज़ था अपार्ट अपार्ट फ्रॉम डेलीबेट नॉन कंप्लायंस व्हिच इज सब्जेक्ट ऑफ इन्वेस्टिगेशन नाउ.
सवालः इस सारे संकट पर डीजीसीए के नोटिस के जवाब में इंडिगो ने ये कहा कि इस समय कोई स्पेसिफिक या स्पीक कारण बताना संभव नहीं है. सर ये इंडिगो की कैसे एोगेंस है?
जवाब: वो एक इनिशियल रिएक्शन था उनका बट बाय नाउ दे हैव रेक्टिफाइड देयर एोगेंस और देयर इनएपिएट जो रिप्लाई था उसको उन्होंने कर लिया. ठीक अभी उन्होंने क्या है एक जो विार्ड है एक जो एक्सपर्ट हैं सिविल एिएशन के मिस्टर जॉन जो है उनको अपॉइंट किया है एज एन एक्सपर्ट और यह कहा है उनको कि यू काइंडली फाइंड आउट द रियल कोज ग्रास रूट कोज जो है तो ग्रास रूट कोज एनालिसिस के लिए उनको जो है लगाया गया ताकि वास्तव में क्या हुआ तो वो जो उनका पहला बयान था उसको उन्होंने एक तरह से विड्रॉ कर लिया है वो इनफेक्टिव हो गया है और अब उन्होंने इस एक्सपर्ट को लगा दिया है टू हैव हैव एन इंडिपेंडेंट एनालिसिस ऑफ रूट कॉज ऑफ दिस एंटायर सिनेरियो. तो लेट्स सी व्हाट रिपोर्ट कम्स एंड व्हेन इट कम्स.
सवालः जब इतने बड़े पैमाने पर एयर सर्विज बाधित रही उसके बावजूद इंडिगो को इंडिगो को यात्रियों का सामान और उनका पैसा लौटाने में आखिर इतना वक्त क्यों लग गया?
जवाब: इतना चैन रिएक्शन, पैनिकिक अनअकाउंटेबिलिटी जिसे कहना चाहिए. किसी ने ध्यान नहीं दिया. अफरातफरी थी. पायलट्स जो है वह शायद अपना स्कोर सेटल करने में थे और मैनेजमेंट जो है वो होशपच था सारा उनको समझ नहीं आया क्या करें कुल मिला के क्या है कि वही वाली बात है कि मेजर नेग्लिजेंस एडमिनिस्ट्रेटिव फेलर ऑन द पार्ट ऑफ इंडिगो के सामान को लौटाने में इतना टाइम लग गया आप देखिए शादी का सामान था किसी का वो रह गया किसी कपड़े थे किसी का शूट था किसी का होटल में एंट्री करनी थी सारा सामान वहां रह गया इट वाज़ ए जिसे कह किया उस और यह जो है कहते हैं कि देश की सबसे बड़ी जो एयरलाइंस कंपनी इंडिगो उसके जीवन में यह भी लिखा था कि जो एयर ट्रेवल है उसको उसमें कन्वर्ट कर देगी एक दिन में. एंड एक्सक्टली दिस हैपेंड दिस टाइम.
सवालः कई लोगों का यह मानना है कि इंडिगो क्राइसिस इज़ अ क्लासिक केस ऑफ़ कॉर्पोरेट नेगिजेंस. आप इस पूरे आकलन को कैसे?
जवाब: अब्सोलुटली करेक्ट. सारा देश मानता है. सारी इंडस्ट्री मानती है. कोई इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि मौसम खराब था, कम्युनिकेशन गैप था. हम सूचना नहीं दे पाए. बेसिक सवाल लोगों ने उठाया कि पायलट सारे तो नहीं चले गए थे ना. डीजीसी ने यह तो नहीं कहा था सारे पायलट बंद कर दो. कुछ एक पायलट थे कहा था एक्स्ट्रा चल गए हैं छोड़ दो. बाकी पायलट तो आ सकते थे लेकिन नहीं है. किसी ने कोई प्रयास नहीं किया. एफर्ट ही नहीं हुआ. दैट वे जो है तो ये तो नेचुरली जैसे अभी अगर ग्लोबल लेवल पे देखा जाएगा कॉर्पोरेट फेलर गवर्नेंस का जो है तो इंडिगो केस विल बी अ केस स्टडी. ऐसा मेरा मानना है.
सवालः मैंने यह महसूस किया है कि जब एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चेक के बाद पैसेंजर बोर्डिंग एरिया में पहुंचता है तो एयरलाइंस के स्टाफ के साथ उसका कनेक्ट नहीं रहता है. अब सभी एयरलाइंस के सिस्टेटिक फेलियर को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: यू आर अब्सोलुटली करेक्ट. मैं तो रोज देखता हूं. कि जैसे ही सिक्योरिटी हुई और आप उस बाड़े में आए वेटिंग बाड़ा. जहां सारे लोग खड़े रहते हैं. बोर्ड लगा रहता है फ्लाइट्स का जाने आने का. फिर आपका कोई धनी दोरी नहीं है. आप केवल उस बोर्ड पर डिपेंड हैं. और आमतौर पे ऐसा होता है फ्लाइट अगर आधा घंटा लेट है तो आधे घंटे तक तो सूचना ही नहीं आएगी. आधे घंटे के बाद फिर आएगी कि एक घंटा लेट है, 40 मिनट लेट है. टिल देन यू आर कंप्लीटली डिस्कनेक्टेड एंड इन डार्क. तो सिस्टम आपको बनाना पड़ेगा एयरलाइंस को कि आपका जो पैसेंजर है ही बिलोंग्स टू यू. ठीक है ना? यू ओन समथिंग टू हिम. जब तक प्लेन में बैठ नहीं जाए, बस में बैठ नहीं जाए या प्लेन में घुस नहीं जाए तब तक एयरलाइंस की एक मोरल रेसोंसिबिलिटी होनी चाहिए. तो इसमें सिस्टम एक बनाने की सख्त आवश्यकता है. ऐसा मेरा मानना है.
सवालः इंडिगो में पायलट्स की कमी को देखते हुए उड्डयन मंत्रालय ने 10% उड़ान संख्या में कमी की. अब इसके क्या-क्या साइड इफेक्ट्स आप देख रहे हैं?
जवाब: देखो रियली अनफॉर्चूनेट बट देयर आर नो अदर ऑप्शंस इज अंडर प्रेशर जिसे कहना चाहिए और कोई उपाय इसका है नहीं आप कह सकते हैं इट इज़ ए कास्परेसी ऑफ़ सरकमस्ट्ससेस आप ये कह सकते हैं और रही बात इसकी और इसीलिए लोगों ने कुछ ने सुझाव दिया था इसमें जो रेबोरेटरी अथॉरिटी है उसने ये कहा था कि 5% रखिए सरकार ने कहा 10% रखो पनिश करना है फिर कुछ लोगों ने कहा नहीं 25% होना चाहिए तो पनिश करना चाहिए वो तो एक बात है तो 10% पे बात बनी, सहमति बनी. लेकिन आपने कहा कि इसके इंप्लिकेशन क्या होंगे? इट विल हैव फार रीचिंग इंप्लिकेशंस. इट विल अल्टीमेटली हिट द कनेक्टिविटी एयर सर्विसेस एंड द पैसेंजर एट लास्ट. आप आज का ही देखिए. आज जयपुर से ही मैंने देखा कि चार फ्लाइटें काट दी गई. ठीक है? हैदराबाद, बोर, कोलकाता एंड दिल्ली. तो यह लॉस किसका है? अल्टीमेट कौन हिट है? एज अ ट्रेवलर आई एम हिट. एज अ पैसेंजर आई एम अ लूजर. तो इट इज़ अ सीरियस इशू. लेट्स सी आफ्टर 10थ व्हाट हैप्स?
सवालः इससे जुड़ा एक और सवाल मेरा है कि जो 10% शेयर की कटौती की गई है. सरकार किन-किन एयरलाइंस उसको देंगी और क्या वो सभी एयरलाइंस कंपनियां 10 फरवरी तक नई सेवाओं को चालू कर पाएंगी?
जवाब: देखो इसमें ऐसा है कि अभी तो मैंने सुना नहीं पढ़ा नहीं. नहीं कहेंगे कि सरकार ने कोई फैसला लिया है. फैसला हुआ है. कटौती नेचुरली दूसरों को देंगे. इंडिगो तो 10 फरवरी तक कर नहीं पाएगा उसको. लेकिन सवाल यह है कि एक तो दूसरों को देंगे तो नोटिफिकेशन आएगा उसका. बेसिकली दो ही कंटेंडर है. एयर इंडिया है. SPYZ है. SPYZ में क्या थोड़ा उत्साह है इस समय. वो ये चाहते हैं कि भ थोड़ा काम आगे बढ़े उनका. वो 100 नए रूट बना रहे हैं. कुछ कर रहे हैं. जो है कुछ नए प्लेन भी लाए हैं. जो है कुछ नई सर्विज लाए हैं. तो वो कुछ आगे बढ़ रहे हैं. उनको भी क्या फंड्स की रिक्वायरमेंट है. सरकार को ऐसे समय में चाहिए कि जो रिक्वायर्ड हैं एयरलाइंस जिनको नीडी एयरलाइंस हैं उनको जरूर फंड करना चाहिए ताकि दे कैन कमट विद इंडिगो इन अ डिफरेंट वे जो है. ये मेजर बेनिफिशरी तो मुझे स्पाई जेट ही लगता है. इसके हिसाब से जो है तो अब लेट्स वेट कि गवर्नमेंट किन-किन कंपनियों को 10% कोटा डिस्ट्रीब्यूट करती है.
सवालः इसी से जुड़ा एक सवाल है कि कुछ लोगों को यह आशंका है कि अगर दूसरी एयरलाइंस इसे ऑपरेट नहीं कर पाती यानी कि 10% कटौती हो तो क्या एयर कनेक्टिविटी विस्तार योजनाओं के लिए ये बड़ा धक्का है?
जवाब: ऑफकोर्स इट विल बी डेथ ऑफ ए ड्रीम. प्राइम मिनिस्टर का ड्रीम था 2017 में शायद कहा था हवाई चप्पल वाले आदमी को मैं हवाई जहाज में बैठाऊंगा. बैठा दिया उन्होंने. इंडिगो प्लेड ए मेजर रोल इन फुलफिलिंग दैट ड्रीम ऑफ द प्राइम मिनिस्टर एट दैट टाइम विद 65% शेयर और ये और आज देखते हैं एयर कनेक्टिविटी कहां-कहां है. यह सब नरेंद्र मोदी की देन है. छोटे-छोटे शहर जो है ना एयर कनेक्टिविटी से जुड़े. अब इस तरह से अगर सर्विज कट जाएंगी. ठीक है? चाहे आपकी कटे, इसकी कटे, उसकी कटें. एट द एंड ऑफ द डे इंडिगो और नो इंडिगो देयर शुड नॉट बी करेलमेंट ऑफ सर्विज इन द लार्जर इंटरेस्ट ऑफ द नेशन इन द लार्जर इंटरेस्ट ऑफ द इकॉनमी कनेक्टिविटी तो बेस है ना सरकार तो एयरपोर्ट्स बनाती चली जा रही है उड़ान प्रधानमंत्री का सपना है और उस सपने को अगर आप तोड़ेंगे तो नरेंद्र मोदी ऐसा कभी नहीं होने देंगे इसलिए पीपल आर नाउ वाचिंग एंड वेटिंग फॉर 10 फरवरी के 10 फरवरी तक क्या होता है वैकल्पिक एयरलाइन वैकल्पिक सेवाएं दे पाती है कि नहीं और इंडिगो का क्या रुख है सॉल्यूशन कैसे निकलते चैलेंज गवर्नमेंट के सामने यह है कि यह जो डिस्कनेक्टेड कनेक्टिविटी है आज 2003 फ्लाइट्स की 223 फ्लाइट्स की इसको रेस्टोर कैसे करें? नरेंद्र मोदी तो गांव-गांव को कस्बे कस्बे को प्लेन से जोड़ना चाहते हैं. आपने देखा है रेलवे स्टेशन को जोड़ना चाहते हैं. अब ये फैसला जो मजबूरी में करना पड़ा है. यह फैसला टेंपरेरी रहे. और 10 फरवरी के बाद में निश्चित तौर पे कोई न कोई सलूशन इसका लार्जर एक प्लान के तहत बनना चाहिए. ताकि जो अल्टीमेट टारगेट है गवर्नमेंट का जो सपना है इकोनमिक डेवलपमेंट का वाया एयर ट्रैवल या जो बात है वो सपना खंडित नहीं हो उससे और हमारा जो मेन टारगेट ये है कि कनेक्टिविटी से आम आदमी का संपर्क बढ़े बिजनेस बढ़े व्यापार बढ़े इकॉनमी बढ़े हम तीसरी अर्थव्यवस्था बने उसके लिए जरूरी है कि ट्रांसपोर्ट ट्रांसपोर्ट क्या है किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में रगों में बहता हुआ खून होता है अगर वो बंद हो जाएगा तो फ्रीज़ हो जाएगा आपका ब्लड जिसे कहते हैं तो ये बहुत बड़ा चैलेंज है जो इंडिगो के इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम के कारण जो है ना दिस चैलेंज हैज़ कम बिफोर द गवर्नमेंट बिफोर द एयरलाइंस कि बिना कनेक्टिविटी को काटे हुए अर्थात कनेक्टिविटी को बढ़ाने के साथ हम काटने की बात तो दूर है बढ़ाना है उसको सो दिस इज द चैलेंज बिफोर द गवर्नमेंट बिफोर द एयरलाइंस बिफोर द मिनिस्टर बिफोर द सिविलाइजेशन सेक्टर सो लेट्स सी.
सवालः तो क्या यह माना जाए कि अब इंडिगो सिर्फ प्रॉफिटेबल रूट्स पर ही उड़ान भरेगी?
जवाब: देखो हो सकता है स्वाभाविक है अगर आपने उसके रूट काट दिए हैं और उसको 200 सर्विसेस को डिस्कंटिन्यू करना है तो कहां छोटे-छोटे काटेगी वह मैं राजस्थान की बात कहता हूं जयपुर उदयपुर काट देगी जयपुर जोधपुर काट देगी जयपुर इंदौर काट देगी ऐसे नॉर्थ ईस्ट की सर्विज कम हो जाएंगी दिल्ली शिमला काट देगी और जो नरेंद्र मोदी ने छोटे-छोटे शहरों को कनेक्ट किया था एयरपोर्ट्स को और एयरपोर्ट्स बनाए थे जिस सपने के साथ वो सब डिस्कनेक्ट हो जाएंगे दैट विल जो है तो लेट्स सी कि इसका कैसे क्या असर होता है और कैसे होता?
सवालः जिस ड्रीम का आप जिक्र कर रहे हैं. पिछले 11 सालों में नरेंद्र मोदी ने उड़ान करके इतनी महत्वाकांक्षी चीज जो मतलब योजना थी उनकी जो उनका सपना था उसको लागू किया और ये कहा जाता है कि 100 से ज्यादा एयरपोर्ट्स बने और चाहे टेंपल टूरिज्म हो या ऐसी जगह डिस्टेंट जगहों पर भी एयरपोर्ट्स बनाए गए. अब जब दूसरी तरफ देखा जाता है ये इंडिगो क्राइसिस यानी लॉजिस्टिकली अभी तैयारी है नहीं. तो आप उस सपने को कैसे देखते हैं? ये कहां पहुंचेगा?
जवाब: बिल्कुल सपना पूरा होगा. आप जानते हैं प्रधानमंत्री ठान लेते हैं उस काम को करते हैं. उस दिन पुतिन में व्यस्त थे. ज्यादा ध्यान इस तरह से नहीं हुआ मीटिंगों में. अब पुतिन की व्यवस्था के बावजूद उन्होंने इंटरवीन किया. इस टेंपरेरी क्राइसिस को तो सॉर्ट आउट हो गया. ये अब रेगुलर लेवल पर उनको देखना होगा. एयरपोर्ट्स तो उन्होंने बनाए हैं. और आज आप देखिए 160 एयरपोर्ट्स जो है ना ऑपरेशनल है. 620 जो है ना नई सेवाएं चालू हो गई हैं. वहां पे जो है 88 नए रूट्स चालू हो गए हैं. तो मिरेकल हैज़ टेकन प्लेस. और एयरपोर्ट की संख्या इतनी बढ़ गई है और आप देखिए कितने बड़े-बड़े एयरपोर्ट्स आ रहे हैं. अपार्ट फ्रॉम द स्मॉल लिंकिंग एयरपोर्ट्स जो हैं. आप देखिए यह नोएडा का एयरपोर्ट जेवर आ रहा है जो मुंबई में देखिए आप जो है न्यू मुंबई आ रहा है. गोवा में देखिए नॉर्थ का एक नया नॉर्थ गोवा के लिए एक नया एयरपोर्ट बन गया है. ऑल सुपरहिट. तो ये क्या हुआ? इस इंडिगो का जो क्राइसिस वैसे एक बेसिक क्वेश्चन सरकार के सामने आ गया है जिसको देखना पड़ेगा सॉल्व करना पड़ेगा कि एयरलाइंस की जो लिमिटेड कैपेसिटी है लार्जर इशू ये है इंडिगो का सवाल नहीं है एयरलाइंस की जो लिमिटेड कैपेसिटी है उसको देखते हुए हम उड़ान का सपना है जो कनेक्टिविटी का सपना है आगे एक्सटेंशन का सपना है नए एयरपोर्ट बनाने का सपना है उसको कैसे एग्जीक्यूट करें लिमिटेड कैपेसिटी देखते हुए. इसीलिए तो फिर कुछ करना पड़ेगा इसमें नए सिरे से कुछ जैसे कहते हैं ना आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग करना पड़ेगा सरकार को.
सवालः टू अंडरस्टैंड इट बेटर द इंडिगो क्राइसिस वाज़ इट अ सडन डेवलपमेंट और सेल्फ क्रिएटेड एंड इंजीनियर्ड सिनेरियो और इट वाज़ अ ट्रबल बाय द कंपनी.
जवाब: देखो यहां तक मेरा सवाल है जितना मैं इंडिगो को जानता हूं एस अ ट्रेवलर और जो रेपुटेशन है कंपनी की आई डोंट थिंक दे कैन बी अ पार्ट ऑफ दिस डर्टी गेम और देयर मे बी मेलाफाइट बट एंड बट जो एविडेंस है दैट सजेस्ट समथिंग डिफरेंट कंट्री टू माय परसेप्शन सबसे पहला सवाल तो यही है कि आपने ओन सिस्टम को उस दिन अलर्ट क्यों नहीं किया कि फ्लाइट्स हैव कैंसिल्ड रात को 12:00 बजे मैसेज क्यों नहीं गया मोबाइल पे सबको वी डोंट कम टू एयरपोर्ट फ्लाइट इज कैंसिल्ड कितना क्रिमिनल ऑफेंस है और ये ऐसे हो गया ये हो नहीं सकता बिल्कुल हो नहीं सकता तो पता कैसे लगे ये तो एक थ्योरी है ना कास्परेसी की दूसरी थ्योरी मैंने आपसे कहा जैसा कि उनके जो है चेयरमैन है मिस्टर मेहता उन्होंने 7 मिनट का एक वीडियो जारी किया माफी मांगी देश से और ये कहा कि लेकिन यह आरोप निराधार है कि हमने स्वेच्छा से इसको बंद किया हुई है लेकिन देश के एक बड़े हिस्से में देश के एक बड़े जनसंख्या में ये लोगों को शक है और मान्यता है कि यार इंडिगो ने जानबूझ के किया है एक वीवो इस तरह का. तो इस इंप्रेशन को दूर करने के लिए सच्चाई का पता लगाने के लिए आई थिंक देयर शुड बी अ फॉर्मल एफआईआर अगेंस्ट अननोन पीपल ऑफ द क्राइसिस एंड देयर शुड बी कस्टोडियल इंटेरोगेशन ऑफ़ सम पीपल हु कैन लीड यू टू द ट्रुथ फाइंडिंग ऑफ द ट्रुथ कि असलियत में क्या हुआ? और जो सारे देश में एक शक का माहौल पैदा हो गया है. ठीक है ना? तो एप्रोप्रियट टाइम पर इंडिगो को कॉन्फिडेंस में लेके एक क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन इस केस में होना चाहिए ताकि सच्चाई देश को पता लगे. इंडिगो पे जो आरोप लगता है इंडिगो उस आरोप से मुक्त हो और सारे राष्ट्र को मालूम पड़े कि सच्चाई क्या थी? वाज़ इट इंसिडेंटल वाज़ इट सडन और वाज़ इट वाज़ इंजीनियर्ड? दिस इज़ टू बी सीन.
सवालः क्या ये सच है कि वर्तमान में डीजीसीएम में सीरियस मैन पावर क्राइसिस है और 49% पद अभी भी खाली है. इसको लेकर क्या कहना है?
जवाब: सरकार में होता ही है जितनी रिक्वायरमेंट होती है उतना बजट नहीं मिल पाता है लेकिन फिर भी काम होता है इंस्पाइट ऑफ द लिमिटेड स्टाफ डीजीसी हैज़ डन गुड जॉब इन अ वे और अबकि मामला सबके प्रकाश में आ गया है डीजीसी हाईलाइटेड हो गया है तो सरकार दे देगी पैसा और भी दे देगी बट सो फार दे हैव एक्सेप्ट दिस क्राइसिस व्हिच इज़ डिबेटेबल दे हैव एक्टेड वेल.
सवालः इस पूरे क्राइसिस में इंडिगो क्राइसिस में क्या आप नहीं देखते डीजीसीए के सुपरवाइज़री फेलियर सुपरवाइज़री फेलर तो मानते हैं?
जवाब: खुद ही वो फॉर देर फेलर टू ओवरसी द कंप्लायंस ऑफ सेफ्टी एंड ऑपरेशनल रिक्वायरमेंट्स ऑफ इंडिगो और इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है वो कि जो सडन शार्प फॉल हुआ पायलट्स में क्रू के अंदर वो सरकार को बता नहीं पाए टाइम से इससे क्राइसिस पैदा हुआ लेकिन मेन कल्पित इंडिगो ही है इट यू कैन से ए को एक्यूज़ टू सम एक्सटेंट बल्कि को एक्यूज़ भी नहीं बनता मतलब थोड़ा सा एडमिनिस्ट्रेटिव लापरवाही हो सकती है इट इज़ नॉट मेलाफाइट इट इज़ इज़ नॉट पार्ट ऑफ अ क्रिमिनल कास्परेसी और ये अलर्ट है फ्यूचर के लिए. तो आई थिंक कोई ऐसा मेजर उनका फेलर जो है इस तरह का वो नहीं था. सप्लीमेंट्री फेलर आप कह सकते हैं. उसको उन्होंने खुद माना. क्राइसिस इंजीनियर हुआ. वो कहां से हुआ? वो उस सुबह से हुआ. तीन तारीख को सुबह जबकि ड्यूटी स्टाफ को कुछ पता नहीं था. वो बोर्डिंग पास देते चले गए. लगे लेते चले गए. बस वहीं से सब कुछ हो गया. जो है तो इंडिगो इज द मेन रिस्पांसिबल कैरेक्टर फॉर यू कैन से.
सवालः इस पूरे क्राइसिस में आप इंडिगो के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का क्या रोल देखते हैं?
जवाब: देखो वैसे तो क्या बोर्ड डायरेक्टर्स एक सेरेमोनियल सा होता है हम लेकिन जब कोई क्रिमिनल केस होता है एफआईआर होती है तो उनके भी नाम साथ में होते हैं हम टू दैट एक्सटेंट तो है रेस्पोंसिबिलिटी तो आमतौर पे तो नहीं है लेकिन क्या है कि अबकि ये घटना हो गई है इसके बाद में उनको एक्टिव रोल करना चाहिए और भविष्य के लिए इंश्योर करना चाहिए. एक तो इसमें देखना चाहिए इसके रूट कॉज क्या थे एंड दे शुड फिक्स द रेस्पोंसिबिलिटी ऑफ द पीपल और भविष्य के लिए कुछ ऐसी स्थिति बनाएं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति नहीं हो. लेकिन एट द मोमेंट जो है मतलब दे आल्सो फील लेट डाउन और यू कैन से ए मोमेंट ऑफ डिसअपॉइंटमेंट हैज़ आल्सो कम इन द कंट्री अबाउट द बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स आल्सो चाहे वो कितने बड़े लोग हो, कितने प्रभावशाली लोग हो. लेकिन इसमें जो अपयश मिला है इंडिगो को इसमें एक हिस्सा उनके नाम भी गया है.
सवालः आज की डेट में जो एयरलाइन सेक्टर है उसके 65 से 70% जो मार्केट शेयर हैं वो इंडिगो के पास है. यानी कि इंडिगो की पूरी तरीके से मोनोपोली वहां नजर आती है. ऐसे में से सवाल ये उठता है कि नागरिक उयन जैसा इंपॉर्टेंट और सेंसिटिव सेक्टर क्या आपको लगता है कि जो प्राइवेट प्लेयर्स हैं उनके भरोसे छोड़ा जा सकता है?
जवाब: आई कंप्लीटली एग्री विद यू नहीं छोड़ा जा सकता. हम बट व्हाट इज द सिल्वर लाइन? व्हाट इज द लाइन फॉर अ रेगुलेटर? कहां पे रुके और कहां मोनोपोली माने? कहां पे वो माने कि ये मार्केट शेयर है. कहां पे वो माने कि मार्केट पावर है और यह मोनोपोली है. ठीक? तो यह उनकी लिमिटेशन है. अब आप देखिए इसके अंदर मोनोपोली में कि खुद मोनोपोली कमीशन ने जो है इसका कॉग्निजेंस लिया है और इंक्वायरी कर रहा है इसके ऊपर जो है उनका कहना यह देखने का है कि कहीं जो मोनोपोली है उसका दुरुपयोग तो नहीं किया है और सेक्शन फोर जो है उस एक्ट का वो यह क्लियर यह प्रावधान करता है कि यू मे बी द लार्जेस्ट कंपनी नथिंग इज बैड इन इट. लेकिन अगर आप अपनी मसल पावर से बारगेन पावर से आपका जो मार्केट शेयर है उसको अगर आप मिसयटिलाइज करके या उसको बारगेन रख के उसको ब्लैकमेल करके अगर आप अनुचित लाभ कमाते हैं पैसेंजर से या फिर कंपटीशन को रोकते हैं कंपटीशन को अवॉइड करते हैं मार्केट में आने से तो केस आप पे बनता है. तो मोनोपोली का जो चार्ज है यह रह सकता है. एक आदमी ने यह भी लिखा है कि इंडिगो की मोनोपोली ने देश को बंधक बना दिया. इंडिगो की मोनोपोली ने सारे देश को हिला के रख दिया. तो घटना कुछ ऐसी हुई कि घटना तो एक एयरलाइन की है लेकिन सारा राष्ट्र वास्तव में हिला. तभी प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा. तो मोनोपोली है तो लेट्स सी कि कमीशन जो है उसमें आगे किस दिशा में काम करता है.
सवालः हमारे यहां कंपटीशन कमीशन भी है सीसीआई. उनके रोल को आप कैसे देखते हैं इस पूरे क्राइसिस में?
जवाब: नहीं उनका रोल अच्छा है. उनका रोल तो उन्होंने कॉग्निस ले लिया है खुद ही इस बार जो है और आगे बढ़ के ले लिया है. एंड दे आर कॉन्फिडेंट और उनका उत्साह ऐसा लगता है कि वो कुछ ना कुछ करेंगे इसमें. दे विल गो डीप इंटू द डिटेल्स और ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि ये घटना जो है उनके लिए एक इंस्पायरिंग मोमेंट होगा इस केस को एज ए केस स्टडी बनाने का ताकि दूसरी कोई एयरलाइन कंपनी या दूसरा कोई सेक्टर जो है वो मोनोपोलिस्टिक टेंडेंसीज को आगे डेवलप नहीं कर सके. तो वी हैव हाई होप्स फ्रॉम दिस कमीशन.
सवाल: इंडिगो क्राइसिस का आपको क्या लगता है शेयर मार्केट पर किस तरह का असर पड़ा है और इस पूरे क्राइसिस से किस दूसरे एयरलाइंस को सबसे ज्यादा लाभ मिला?
जवाब: शेयर मार्केट का सवाल है तो मार्केट पे तो ओवरऑल असर नहीं पड़ा लेकिन खुद जो इंडिगो का शेयर है ऑफ कोर्स लोगों को शक हो गया इसका भविष्य क्या है गिरना ही था वो और 2025% गिरा आज से एक साल पहले वो 2000 था एक साल में अच्छे दिन थे 6000 हो गया अब वो 4800 4700 ऐसा कुछ था फ्राइडे को आई एम टोल्ड तो 202% का शेयर उनका गिर गया. लेकिन क्योंकि ऑपरेशंस नॉर्मल हो जाएंगे और हो गए हैं तो इट विल रिक्यूप इन द कमिंग डज़. लेकिन ओवरऑल शेयर मार्केट पे इसका असर नहीं था. केवल इस पे था. आपने कहा बेनिफिशरी ऑब्वियसली स्पाइस जेट है. वो नो नए 100 जो है नए रूट बना रहे हैं. कुछ नए विमान भी ला रहे हैं. और उनकी जो लीडरशिप है अजय सिंह एंड जीपी गुप्ता एंड ऑल वो थोड़ा प्रगमेटिक लीडरशिप है. और वो एयरलाइन भी इंडिगो की तरह बजट एयरलाइन है. किराया उनके भी सस्ते हैं. विनम्र है. तो ऐसा लगता है कि SPIJet विल बी मेजर बेनिफिशरी एंड द गवर्नमेंट शुड आल्सो प्रमोट द एयरलाइंस.
सवालः कुछ लोगों को आशंका यह भी है कि इस क्राइसिस के कारण इंडिगो के कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ गया है. तो क्या आने वाले समय में इंडिगो के वर्किंग तरीके में किसी तरीके का कोई नेगेटिव इंपैक्ट भी देखने को मिलेगा?
जवाब: देखो ये तो बात होती है आम धारणा है भारत में जहां सरकारी अफसर घुस गए. सरकारी सिस्टम गया तो रेड टेप आ जाता है. एक धारणा है. लेट्स होप कि यह इंडिगो वाला केस उसका एक्सेप्शन रहे. इस धारणा और आशंका को देखते हुए एक बड़े पत्रकार ने लिखा है कि लेट्स नॉट किल द सुपर सक्सेस स्टोरी ऑफ इंडिगो केवल इनहीं कानून कायदे के चक्कर में ये है. दूसरे आदमी ने लिखा है कि नो इंडिगो इज कॉन्फिडेंट इट इज कैपेबल. इट विल कंटिन्यू टू कॉल द शॉट्स जो है. तो ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार का जो अभी जो हस्तक्षेप हुआ है या जो इंक्वायरीज चल रही हैं ये रीज़नेबल टाइम में बाहर हो जानी चाहिए. इन अ रीज़नेबल टाइम एक्सेप्ट ए रेगुलर मॉनिटरिंग गवर्नमेंट शुड कम आउट ऑफ दिस इशू सो दैट दे हैव दे फ्री हैंडलिंग बट टिल देन गवर्नमेंट विल गो इनू द डिटेल्स बट इवन आफ्टर दैट गवर्नमेंट विल हैव अ रेगुलर मॉनिटरिंग नो मोर इंटरफेरेंस इन देयर वर्किंग ऑफ एयरलाइंस.
सवालः जैसे आप तो खुद बीते 10 से 15 सालों से इंडिगो के फ्रीक्वेंट फ्लायर हैं. ऐसे में आपका ओवरऑल असेसमेंट इस एयरलाइन को लेकर कैसा है?
जवाब: देखो एज ए ट्रेवलर इंडिगो इज माय फर्स्ट लव. आई एम इंडिगो मैन. लेकिन इस बार जो कुछ उन्होंने किया है, गुनाह किया है देश के साथ उसके लिए उनको माफ नहीं किया जा सकता. बाकी इंडिगो में पिछले 5 सात वर्षों में जिसे कहना चाहिए एक्सेप्शनल चेंजेस आए हैं. खास करके उनकी टाइम पंक्चुअलिटी है. बिफोर टाइम आना 18 मिनट में नई फ्लाइट का बोर्ड हो जाना. बाकी फ्लाइट्स में देखता हूं आधा घंटा 35 मिनट तक एक फ्लाइट रुकी सवारी उतरी दूसरे लोग आए उसको आधा घंटा लगता है. ये 18 मिनट में उसको कंप्लीट कर देते हैं. दूसरा मेजर चेंज क्या हुआ इसके अंदर कि पहले जो एयर इंडिया क्रू था जो एयर होस्टेस थी 1 साल 1ढ़ साल पहले तक जो है वह कैबिनेट पुलिसिंग किया करती थी स्लाइटली मिस बिहेव पुलिस की भाषा एक तरह से थानेदार की भाषा होती है जैसे ऐसे रहती थी जो है ये और बड़ा लोग त्रस्त रहते थे उससे जो है ये अब वो सी चेंज आ गया एक डेढ़ साल से वो इतनी विनम्र आ गई कि देश में उनसे विनम्र कोई क्रू है ही नहीं आज और विनम्रता यहां तक आ गई है अब आपका सामान भी अगर है तो अपने हाथ से उठा के ऊपर रख देंगी पहले तो ऐसी अकड़ और धस रहती थी कि नहीं नहीं आप खुद रखिए अपने हाथ से चाहे वो सीनियर सिटीजन हो यंग बूढ़ा कैसा व्यक्ति हो मतलब कहने का ओवर हो लेकिन वो ये ऐसा एटीट्यूड रहता था अब तो क्या आगे से आगे बढ़ के लोग कोपरेट करती हैं वहां पे जो है मैंने देखा है टू एवरीबॉडी नॉट एग्जैक्टली टू वीआईपी ट्रेवलर्स जो है और उसके बाद क्या है जब फ्लाइट लैंड होने वाली होती है तो एक बार फिर आती हैं कि हाउ वास् योर एक्सपीरियंस मिरेकल ये इंडिगो कर रहा है इंडिगो में हो रही मिनिस्टर खुद कहता है इंडिगो इज़ वन द बेस्ट एयरलाइंस ऑफ़ द कंट्री फॉर लास्ट 20 इयर्स. इंडिगो इज़ कैपेबल. मैं कहता हूं नॉट इंडिया. इंडिगो इज़ वन ऑफ़ द मोस्ट इफेक्टिव एफिशिएंट एयरलाइन ऑफ द वर्ल्ड ऑफ द ग्लोब. लेकिन ये जो दाग लगा है जो कॉनस्परेसी का कहो या इनफिशिएंसी कहो फेलियर कर रहा है. इसको धोने में बहुत वक्त लगेगा उनको. तो मेरी सारी प्रशंसा इंडिगो के लिए है. दैट इज़ सब्जेक्ट टू विद अ नेगेटिव रिमार्क ऑन दिस फेलर.
सवालः तो अब क्या हालात हैं इंडिगो के? डू यू थिंक द सिचुएशन इज़ बैक टू नार्मल?
जवाब: हां सिचुएशन इज बैक टू नॉर्मल. देखिए 2000 फ्लाइट्स आ गई हैं. परसों 1950 थी. आज मैंने देखा 2000 आ गई हैं. और एक बात तो मानना पड़ेगा कि इंडिगो जो है ना इफेक्टिव तो है उसका एडमिनिस्ट्रेशन. इस एक घटना को ये तो घटना एक्सेप्शन है उसकी जो है और बिल्कुल सब नॉर्मल हो गया है. सब लोगों का सामान चला गया है. पैसा रिफंड हो गया है. होटल में से वो वहां चले गए हैं. आप देखिए और कुल मिला के क्या है कि सिचुएशन अब नॉर्मल है. बस उनके मन में एक चिंता है. हाउ टू फेस इन्वेस्टिगेशन ऑफ द गवर्नमेंट? हाउ टू फेस इंक्वायरी ऑफ़ द गवर्नमेंट. और कहीं वास्तव में किसी लेवल पे अगर कास्परेसी थी तो फिर जेल जाएंगे. फिर कोई नहीं बचा सकता. गोवा में आग लगने पर दो आदमियों को पकड़ के कहां से लाया जा सकता है? और यह मनमोहन सिंह की सरकार नहीं नरेंद्र मोदी की सरकार है. लो ऑफ द लैंड विल टेक इट्स कोर्स इफ फाउंड गिल्टी प्रवन गिल्टी. तो लेट्स सी आई विश कि इंडिगो के लोग इस का्ससी में शामिल नहीं हो. एंड इट रिमेंस लिमिटेड टू ओनली एडमिनिस्ट्रेटिव नेगिजेंस. लेट्स सी.
सवालः कुछ लोगों का यह कहना है कि इंडिगो के टिकट कैंसिलेशन और रिफंड के पीछे कोई दूसरा खेल चलता है. आपको क्या लगता है? आप क्या कहेंगे इस बार?
जवाब: हां ये गसिप मैंने भी सुनी है इस तरह की गसिप है और कुछ सच्चाई भी होती है कि इंडिगो जो है ना खास तरह का एक व्यापारी भी है जिसे कहते हैं कि बनिया है तो हर चीज से वो कमाता है पैसे पानी की बोतल भी देंगे खैर बाकी एयरलाइंस देती है कि नहीं पता नहीं उस इंडिगो का ये है कि हम हर चीज का चार्ज करते हैं तो उसकी जो गसिप है बाजार में वो ये है कि पहले आपको मैसेज आएगा इंडिगो के फ्लाइट का दो घंटे पहले कि ऑन टाइम आप चल देंगे एयरपोर्ट पहुंच जाएंगे ये उन केसेस में जो फ्लाइट लेट सो रही है जो लेट हो जाती है फ्लाइट जो है फिर फिर मैसेज आएगा दो घंटे बाद चार घंटे का तो पहले दो घंटे में क्या नाश्ता नहीं देना पड़ा फिर चार घंटे बाद आया मैसेज तो उनको खाना नहीं देना पड़ा होटल का रहने का नहीं देना पड़ा और फिर क्या आप कह देंगे टिकट कैंसिल करो तो टिकट कैंसिल में क्या इंडिगो खुद करें ना कैंसिल तो हम कैंसिल करते हैं अगर ट्रेवलर कैंसिल करता है तो चार्जेस कटते हैं उसके तो इसमें पैसा बनाती है कंपनी शायद सभी कंपनियों का यह हाल है इसलिए लोगों ने कह दिया कि इसमें एक अच्छा खेल चलता है.
सवालः इंडिगो ने अंतत संकट का शिकार हुए यात्रियों को ₹15,000 का एक डायरेक्ट रिलीफ पैकेज जारी किया. इसको आप कैसे देखते हैं?
जवाब: आई एप्रिशिएट इंडिगो जेस्चर बट एस अ मैटर ऑफ़ फैक्ट यह इंडिगो का प्रायश्चित है. उन यात्रियों के दुख के प्रति उनके पीड़ा के प्रति जिसे कहना चाहिए. और मैंने कहा ना सिस्टम उनका बहुत इफेक्टिव है और इसमें सरकार की मॉनिटरिंग इतनी अच्छी है मिनिस्ट्री की और डीजीसीए की कि जो सरकार ने जैसे ही इंडिगो ने जैसे ही घोषणा की ₹10,000 तो हम यह देंगे विशेष परिस्थिति में मतलब विशेष जो ज्यादा परेशान हुआ है यात्री अब उसकी परिभाषा थी नहीं कि ज्यादा परेशान कौन है लेकिन मान लिया ज्यादा परेशान वो ₹100 और ₹5000 जो है डीजी से अगर फ्लाइट कैंसिल हो गई तो ₹5000 आपको मिलेंगे तो जिस तरह से बिहार के अंदर ₹10 का वो महिलाओं को गया अनुदान या एक महिला कल्याण के लिए या रोजगार के लिए ऐसे इंडिगो ने किसी प्रकार का एक अनुदान या क्षतिपूर्ति कहो वो सब कस्टमर्स को कर दिया है टू बाय पीस जिसे कहते हैं ना गुडविल जेस्चर जो है और इफेक्टिव उनका सिस्टम इतना है कि आज मैंने देखा मोबाइल में कल तो मेरे ट्रेवल एजेंट का मैसेज आया हुआ था एक नोटिस लगा हुआ था कि आपको ₹10 दिए जाते हैं हम ठीक तो मैंने कहा मुझे क्यों दे रहे हो तो उन्होंने कहा कि आप बहुत परेशान हुए हमने कहां परेशान हुए तो उन्होंने कहा आप गोवा गए थे उस दिन एक तारीख को आपकी फ्लाइट थी 8:30 बजे तो फ्लाइट आप पहुंचे तो उन्होंने कहा 10:00 बजे जाएगी आप बैठ गए फिर कहा 2:00 बजे जाएगी फिर कहा शाम को जाएगी तो आप परेशान हैं तो मैंने कहा हां मुझे तो याद है पर मैं तो 2:00 बजे की फ्लाइट से एयर इंडिया पकड़ के आ गया जयपुर वापस जो है तो उन्होंने कहा नहीं आप विशेष परेशान हुए हैं तो ₹100 दिए जाते हैं तो ₹100 हमने सैर स्वीकार की है इस मानसिक पीड़ा के साथ कि ये अनुदान लेने में मजा नहीं आ रहा क्योंकि जिसे कहते हैं ना कि भाई आपके हाथ जो है ना वो वो साफ नहीं है यार 10,000 जिनके हाथों से दे रहे हो अभी संदेह है उन हाथों पे उन उंगलियों पे संदेह है अभी जिसे है तो आया पैसा लेकिन यहां बात रेलेवेंट ये है कि इंडिगो का एडमिनिस्ट्रेशन कितना इफेक्टिव है मैं जो कहना चाहता हूं इमीडिएट पैसा गया सब लोगों को.
सवालः इस पूरे संकट के दौरान इंडिगो की प्रतिष्ठा को भी भारी धक्का लगा है. अब आपको क्या लगता है कब उभर पाएगी इंडिगो इस ब्रांडिंग लॉस से?
जवाब: आई एग्री विद यू दे लॉस्ट द ट्रस्ट एंड कॉन्फिडेंस ऑफ द पीपल ऑफ द ट्रेवलर्स ऑफ द कम्युनिटी ऑफ द इंडस्ट्री और आपने कहा कब टाइम लगेगा इज डिफिकल्ट जिसे कहते हैं टाइम इज अ हीलर इट विल टेक इट्स ओन टाइम सब लोग हैरान होते हैं कि हुआ क्या ये एकदम से धक्का लगा जो है कैसे कोलैप्स हो गई इस तरह से कैसे ब्रांड टूट गया जिस ब्रांड के साथ लोग खड़े थे उनको बड़ी निराशा हुई तो इट विल टेक टाइम आई थिंक मिनिमम ए ईयर और सो ऐसा मुझे लगता है.
सवालः लेकिन तुर्की के साथ जो इंडिगो का समझौता हुआ अब उसका भविष्य आपको क्या नजर आता है
जवाब: वो तो एक इंडिगो के लिए जिसे कहना चाहिए कि एक बूम आ गया एक जिसे कहते हैं कि एक मौका आ गया उल्टा इस क्राइसिस का एक पॉजिटिव लिमिटेड आस्पेक्ट उनका था कि उनका जो कॉन्ट्रैक्ट था वो रिन्यूल था गवर्नमेंट ने बढ़ा दिया पहले अगस्त तक था वो फिर छ महीने के लिए बढ़ा दिया अब फरवरी तक बढ़ा दिया है तो उसमें क्या है कि जो टर्किश विमान हैं, वह मुंबई और दिल्ली से जो है ना इस्तांबुल जाते हैं, आगे जाते रहेंगे. इट इज़ द लार्जर इंटरेस्ट ऑफ़ द ट्रैवलर. इसलिए इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. पिछले दिनों वेट इसलिए थी, बंद इसलिए हो गया था कि टर्की और भारत के संबंध थोड़ा तनावपूर्ण हो गए थे. टर्की पाकिस्तान के साथ चला गया था. उसका समर्थन कर रहा था. फैसला रुक गया था. अब समझ में थोड़ा ठीक हो रहे हैं और इंडिगो का इतना सब ये हो रहा है तो एज अ जेस्चर आई थिंक और एज अ रिक्वायरमेंट ऑफ ट्रेवलर्स जो है इसको छ महीने बढ़ा दिया गया है इट इज़ अ वेलकम मूव ये रेगुलर होने चाहिए ऐसे बात बेसिक बात ये है हमारा एक ही टारगेट है कनेक्टिविटी को बढ़ाना बढ़ाना बढ़ाना दैट्स ऑल जी
सवालः एयर सेफ्टी रूल्स से जुड़े हुए ऑर्डर को स्थगित करने के फैसले का देश में और विदेश में कुछ लोग विरोध कर रहे हैं. इस विरोध को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: कुछ लोग बहुत एक्स्ट्रा वैल्यू सिस्टम में बिलीव करते हैं. वह भारत जैसे लोकतंत्र में नहीं रहते हैं. जहां जनता की भावनाओं का सम्मान करना होता है. राष्ट्र उद्वूलित था उस दिन. पूरे राष्ट्र में एक तूफान था. मामला तो केवल इंडिगो तक था. लेकिन न जाने इतना वाइड रेंज में उसका इफेक्ट हुआ कि सरकार को दबाव में आकर के आप ये कहिए उन कानूनों को स्थगित करना पड़ा टू बाय पीस एटलीस्ट फॉर सम टाइम. और वो टेंपरेरी अरेंजमेंट है. परमानेंट थोड़ी है. जो लोग हमें भाषण दे रहे हैं पश्चिम राष्ट्रों के उस पे कि लोकतंत्र की मर्यादा है और यह सब रहना चाहिए. तो भाई देखो तुम इंडिया में आके शासन करो रूल करो तो मालूम पड़ेगा कि किस तरह के हालात होते हैं. यहां का लोकतंत्र डिफरेंट है. नॉन अमेरिकन लोकतंत्र जो है यहां जन भावना सर्वोपरि है. और प्राइम मिनिस्टर के लिए तो और भी सर्वोपरि जन भावना. पहले दिन ही कह दिया था कि कानून वो बनाओ. जनता को सुविधा हो. जनता को परेशानी हो कानून मत बनाना. दैट वे जो है तो ठीक है कोई खास बात नहीं है. मतलब नो नीड टू गेट एक्स्ट्रा वरीड ऑन दिस रिएक्शन.
सवालः यह पूरा क्राइसिस एक हफ्ते तक चला. आपको क्या लगता है? कितना नुकसान हुआ होगा इंडिगो और एलाइड सेक्टर्स को?
जवाब: बहुत नुकसान होगा. इंडिगो तो बर्बाद हो ही गई. अब आप देखिए ना 610 करोड़ या उससे ज्यादा पैसा तो रिफंड में जा चुका. ठीक है? 500 करोड़ वो कहते हैं यह 15,000 का अनुदान या जो है यह क्षतिपूर्ति है जो है यह इसमें चला जाएगा. हम 500 करोड़ का फाइन भी और लग सकता है. दो 400 करोड़ और लग गए होंगे इधर होटल होटल इधर-उधर इंडस्ट्री ट्रेवल एजेंट कुल मिलाके इंडिगो लगता है 2000 करोड़ के नीचे आ गया एक तरह से और बाजार देश का जो है मैं समझता हूं कम से कम 30-400 करोड़ के नीचे आ गया सारे फंक्शन रुक गए टूरिज्म प्रभावित हो गया उससे आप रेस्टोरेंट का बुकिंग कैंसिल हो गया रिसोर्ट थे वो कैंसिल हो गए शादी ब्याह में हजारों शादियां थी इन दिनों में वो सब रुक गया व्यवसाय अकेले दिल्ली में कहते हैं कि भ एक हफ्ते में जो फुटफॉल वह जो है कहते हैं कि 25% डाउन हो गया तो मिनिमम नहीं करते-करते 202000 करोड़ का नुकसान तो हमें भी हो गया. दैट अनफॉर्चूनेट
सवालः एक्सपर्ट्स का ये मानना है कि जो अधिकांश एयरलाइंस का जो ये बिनेस है ये बहुत लॉस मेकिंग बिज़नेस है. प्रॉफिट नहीं है. आपको इस आकलन में आप कैसे देखते हैं?
जवाब: अब्सोलुटली यू आर करेक्ट. लाइक न्यूज़ चैनल्स एयरलाइंस इज़ आल्सो अ लॉस मेकिंग बिज़नेस. ठीक? और आप यह देखिए एक अखबार ने ठीक लिखा है कि जो एिएशन इंडस्ट्री है एक बारूद के ढेर पर बैठी हुई है. कोई भी गलती और कोई भी घटना जो है उसको चिंगारी काम करके बर्बाद कर सकती है. कुछ लोग यह भी कहते हैं इंडियन स्काई आर द मोस्ट डेंजरस स्काई इन द वर्ल्ड. खैर यहां तो घाटे की बात है. तो घाटे का मेन कारण यह है कि जो फ्यूल है बहुत महंगा है. जीएसटी है नहीं. तो 50% जो आपका बजट है वो तो इसी में निकल गया. बाकी फिर क्या बैंक का ब्याज है और चीजें हैं, सैलरी है. फिर क्या कमाओगे? तो इसीलिए क्या हुआ कि नो एयरलाइंस आई थी बड़े उम्मीद उत्साह के साथ और चली भी कुछ बहुत अच्छा थी. लेकिन समय के साथ-साथ बंद हो गई जिसे कहते हैं वो जो पंख थे उड़ान भरने वाले जो हैं वो पंख धरती पर वापस आ गए जिसे कहते हैं. सितारे जमीन पे था ऐसे. तो पंख जमीन पे दैट जो है ना आ गए इनके. आप देखिए. कौन-कौन सी एयरलाइन बंद हुई लीडिंग किंगफिशर. सुपरहिट एयरलाइन थी. ठीक है? वर्ल्ड क्लास एयरलाइन थी. जेट एयरवेज सुपर एयरलाइन सहारा एयर ढक्कन हम एक कोई एक आध हो रहे हैं इस तरह से जो है वो सब बंद हो गई. नो एयरलाइन बंद होंगी. 25 वर्षों में नो एयरलाइन बंद हो गई है जो है. तो सारे सेक्टर पे विचार करने की आवश्यकता है. लॉस मेकिंग तो है ही ये. लेकिन फिर भी लोग पैसा कमाते हैं. अब इंडिगो देखो 8000 करोड़ कमाए हैं ना. इट डिपेंड्स हाउ यू रन द एडमिनिस्ट्रेशन. अगर आप गलत फैसले लेंगे ठीक है ना? फाइनेंसियल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव तो घाटा आएगा. तो इंडिगो इज अ लेसन टू लॉस मेकिंग अंडरटेिंग्स. के देखो हम तो पैसा कमाते हैं. तुम भी करो. तो इंडिगो इज़ अ रे ऑफ़ होप एस फ एस प्रॉफिट ऑफ एयरलाइंस इज़ कंसर्न. सो लेट्स सी हाउ मेनी एयरलाइंस नाउ फॉलो इंडिगोज़ रूट एक्सेप्ट दिस डिजास्टर.
सवालः उड्डयन मंत्री नायडू की तरफ से यह भी कहा गया है कि अभी देश में पांच नई एयरलाइंस की जरूरत है. मार्केट कंडीशंस को देखते हुए आपको लगता है यह संभव हो पाएगा?
जवाब: अबब्सोलटली ए डायनेमिक मिनिस्टर तो उन्होंने कहा कि लुकिंग टू द साइज एंड डिमांड जो है ऑफ द कंट्री ऑफ एयर ट्रेवल देयर इज एल अपॉर्चुनिटी फॉर एटलीस्ट न्यू फाइव बिग एयरलाइंस और तीन के लाइसेंस उन्होंने दे दिए हैं. दो के लाइसेंस और देने वाले हैं. और फिर कह रहे हैं कि मैं इसको हब बनाऊंगा जो है पेरिस और उसके सिंगापुर की तरह जो है वो यह भी कहते हैं कि विमान जो है हमें बनाने का काम भारत में शुरू करना चाहिए देखना चाहिए ही इज़ अ प्रगमेटिक मैन एंड आई वुड सर्टेनली सैल्यूट नरेंद्र मोदी फॉर गिविंग दिस इंपॉर्टेंट चार्ट टू दिस यंग मिनिस्टर पहली बार मंत्री बने हैं. कोटा से बने अलग बात है. कोटा में आना तो उनका अधिकार है. मंत्रालय देना प्राइम मिनिस्टर का अधिकार है. तो प्राइम मिनिस्टर ने मंत्रालय दिया इतना महत्वपूर्ण एंड ही हैज़ परफॉर्म वेल. आई थिंक इस हिसाब से जो है और इसीलिए चंद्रबाबू नायडू ने भी कहा है कि जिस गंभीरता और शालीनता के साथ में और बिना विचलित हुए इन्होंने क्राइसिस को हैंडल किया है. मैं उसकी प्रशंसा करता हूं. तो मिनिस्टर यंग है, एनर्जेटिक है, होपफुल है. और उन्होंने अगर यह बात कही कि तीन का लाइसेंस दे दिया है, तो आई थिंक वि द ब्लेसिंग्स ऑफ़ द प्राइम मिनिस्टर आई थिंक ही माइट सक्सीड इन ह मिशन.
सवालः इंडिगो का पायलट क्राइसिस है क्या? और इंडिगो इतनी जल्दी से पायलट्स की संख्या क्यों नहीं बढ़ा सकती?
जवाब: बड़ा मुश्किल काम है पायलट की संख्या बढ़ाना. एक साल का नोटिस पीरियड है. कहीं से आप लाएंगे तोड़ के भी करेंगे तो छ महीने का को पायलट का है. फिर ट्रेनिंग देनी पड़ती है. फिर डीजीसी कहता है इतने घंटे आपने उड़ाए कि नहीं उड़ाए. बहुत लंबा प्रोसेस है जिसे है पायलट्स का और पायलट्स की हालत यह मैं आज पढ़ रहा था कि 2184 रिक्वायरमेंट है 2184 और है कितने 1948 1948 तो 20020 पायलट का अभी भी गैप है इनके पास में 5 साल बाद कहते हैं 5000 पायलट की कमी रहेगी और एक जगह पढ़ा मैंने 10 साल बाद जो है 11,000 पायलट की कमी रहेगी. मैंने तो पहली बार आदित्य यह महसूस किया कि पायलट्स की इतनी इतनी मांग है कि यार पायलट बन जाए. मतलब कुछ लोग जो आजकल बेरोजगारी बेचारे अन्ब्रेड लोग आते हैं हमें कहना चाहिए पायलट बनो. साल भर का कोर्स है. ऐसा क्या है? बहुत एक एक इस सारे क्राइसिस से एक नए अपॉर्चुनिटी के द्वार खुले हैं देश में यंग जनरेशन के लिए. पायलट बनो. दैट वे जो है सिक्यर्ड जॉब है. हाईली पेड जॉब है. तो क्राइसिस है अभी तो लेट्स सी विदेशों से लाते हैं, कहां से लाते हैं, नहीं लाते हैं. इज टू बी सीन. लेकिन चैलेंज वही है पायलट और नो पायलट कनेक्टिविटी विल नॉट सफर
सवालः डीजीसीए ने उड़ान के निर्धारित समय में 15 मिनट की देरी पर होने पर देरी जैसे होती है उस पर उन्होंने सीधे इंक्वायरी करने की बात कही है इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: देखो क्या होता है कि जो रेड टेप की बात मैं आपसे कह रहा था ना पहले सरकार में कभी-कभी ऐसा होता है फिर सब दौड़ते हैं बिना सोचे समझे और एक जो अरे 15 मिनट क्या होता है बताओ कम से कम आधा घंटा तो होना चाहिए 15 मिनट तो मैं ट्रेवल करता हूं तो मैं 80% फ्लाइट्स को अपने जो देखता हूं वहां पे जो है तो वह चल देती है वहां से रनवे भी लग जाते हैं उनको 15 मिनट 20 मिनट कई दफा जो है क्योंकि एटीसी क्लीयरेंस नहीं है क्योंकि कंजेशन है कभी कभी आगे वेदर वहां क्लियर नहीं है तो ये फैसला 15 मिनट का है ना प्रैक्टिकल नहीं है आई वेलकम आई एप्रिशिएट देयर कंसर्न कि वो छोटी-छोटी बात को मॉनिटर करना चाहते हैं करो बट बी प्रैक्टिकल वरना कागज का काम बढ़ाओगे मॉनिटरिंग बढ़ाओगे परिणाम कोई निकलेगा नहीं तो आधा घंटा कम से कम इसको रखो जिससे लगे आधा घंटा फ्लाइट लेट हो गई तो आप जिम्मेदारी फिक्स कर सकते हो. 15 मिनट में तो क्या हुआ? 80% तो कहेंगे सब साहब 80 ने आने नहीं दिया. इधर था मौसम खराब हो गया. ये है वो है. ठीक है? स्टिल इसकी भावना अच्छी है. और इट इज़ इन द इंटरेस्ट ऑफ़ कंज्यूमर. इट इंटरेस्ट ऑफ़ ट्रेवलर्स कि सरकार 15 मिनट और कम से कम एक वर्ड ऑफ़ क्वेश्चन तो हो गया ना एयरलाइंस के लिए भी कि सरकार देख रही है. कोई देख रहा है हमको तो उम्मीद की जानी चाहिए. इंडिगो तो वैसे ही टाइम पे है. और भी उम्मीद की जानी चाहिए लोगों की एयरलाइंस की. कि कम से कम सरकार के इस का हवाला देकर जो है ना आगे बढ़े और फ्लाइट्स को रेगुलर टाइम पर टेक ऑफ करें. रेगुलर टाइम पर लैंड करें.
सवालः मैंने सुना है कि इस संकट का लाभ उठाकर कुछ एयरपोर्ट ऑपरेटर्स भी इंडिगो से क्षतिपूर्ति की मांग कर सकती हैं. क्या इसकी संभावनाएं हैं?
जवाब: हां बिल्कुल है. क्यों नहीं कर सकते? बहती गंगा महत कौन नहीं धोता? और जेन्युइन उनके विचारों की तकलीफ है. पैसा लगा है उनका. उनकी अपॉर्चुनिटी खराब हुई है तो बिल्कुल मांग कर सकते हैं. इंडिओ ने मन बना रखा है ऑलरेडी इस बात के लिए कि सब पैसा जगह बांटना है. अब ये तो एक होगी ना कि सब जगह पैसा बांट रहे हैं. इन्हें भी कस्टमर को बांट दिया, इसको बांट दिया, ऑपरेटर को बांट दिया तो और बहुत से सप्लायर्स उनके जो पेंडिंग चल रहे थे उनकी पेमेंट पेंडिंग हुई वो सब आ खड़े होंगे उनको बांट दिया. तो ये तो क्या है कि एक फाइनेंशियल एक क्या कहना चाहिए कि एक मतलब जो है ना एक एक बुरा संदेश फाइनेंसियल जो है कंपनी के लिए आया और ये जो आप कह रहे हैं पैसे मांगेंगे तो जरूर मांग लेंगे और आपका शो देखने के बाद तो जरूर ही मांग लेंगे.
सवालः क्या इंडिगो के रिफंड के बाद में बड़े एयरपोर्ट्स को भी रुपए चुकाने होंगे?
जवाब: बिल्कुल उनका वाजिब है कहना कि 5000 फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं. तो भाई उनकी क्षतिपूर्ति कहां है? उनकी फीस कहां है हमारे एयरपोर्ट की जाने आने की वो तो आपको देनी पड़ेगी वाजिब है. तो मैंने कहा ना इंडिगो मैंने कहा था 2000 करोड़ के नीचे आई पर ये बातें सुनके आपके लगता है मुझे कि वो शायद 34000 करोड़ के नीचे आ सकते हैं. नो इशू पार्ट ऑफ बिनेस ये मान लो कि एक साल का प्रॉफिट हमने 50% राइट ऑफ कर दिया और क्या फिर कमाएंगे?
सवालः इंडिगो क्राइसिस को हल करने में रेलवे की कोई मदद आपको दिखाई देती है?
जवाब: रेलवे की मदद बिल्कुल है. उन्होंने सात तो स्पेशल ट्रेन चालू करी हैं और 37 ट्रेन में जो है ना नई बोगीज़ जो नए जो है वह लगाए हैं. उन्होंने और यह क्या है ना सारा का सारा इट डिपेंड्स ऑन हाउ द मिनिस्टर इज़ विजिलेंट हाउ इज़ कंसर्न अश्विन वैष्णव इज़ अ स्मार्ट मिनिस्टर अलर्ट मिनिस्टर और जहां भी अपॉर्चुनिटी होती है मदद करने की तो कूद के आगे आते हैं चाहे वो मेले का वक्त हो कुछ और वक्त हो जहां कहीं एक्स्ट्रा गाड़ियां लगानी हो कि आपका छठ का मेला हो वो इनिशिएटिव लेते हैं. तो उन्हीं का इनिशिएटिव था यह कि चलो जितनी मदद कर सकते हैं वह तो करें. दे डिर्व अ वोट ऑफ़ थैंक्स.
सवालः आखिर इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार क्यों कर दिया और इस समय दिल्ली हाई कोर्ट में क्या कुछ चल रहा है?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट ने इंकार करना तो इट अगेन शोज़ द क्रेडिबिलिटी ऑफ़ नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट. उन्होंने साफ कहा कि सरकार ने संज्ञान ले लिया है. सरकार कर रही है. दैट्स ऑल. इशू इज डिसॉल्वड. हाई कोर्ट की बात है. अब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है तो हाई कोर्ट का वैसे ही मोर और लेस इनफेक्च हो जाएगा. लेकिन फिर भी हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया था उस समय देश में माहौल ऐसा था. जी तो उन्होंने कहा था कि 4000 टिकट 400 में कैसे बेचे ये तो बताओ दैट विल नोटिस नोटिस इशू किए हैं. तो ठीक है रूटीन में लिटिगेशन चलेगा. लेकिन जो इशू था वो सॉर्ट आउट हो प्राइम मिनिस्टर के इंटरवेंशन से अमित शाह के एक्टिव रोल से और मिनिस्टर जो है, नायडू उसका जो इन्वॉल्वमेंट हुआ है ग्रास रूट लेवल पे इस सारे इशू में जो है उससे काफी हद तक इशू सॉर्ट आउट हो गया सिचुएशन नॉर्मल तब लिटिगेशन की कोई ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.
सवालः इस सारे क्राइसिस में आप एयरपोर्ट पर जो सीआईएसएफ है उसका रोल कैसे देखते हैं?
जवाब: इट्स फाइन. इट इज़ अलर्ट फ़ संख्या भी काफी बढ़ गई है. और प्रवीण रंजन नए डीजी आए हैं इसके. मैंने देखा है, सुना है फोर्स में काफी पॉपुलर हैं. तो सीआईएसएफ बहुत अलर्ट थी एयरपोर्ट्स पे. मैं तो जाता आता हूं एयरपोर्ट पे देखता हूं. इस क्राइसिस में जो है उनका रोल कोऑपरेटिव था, कंस्ट्रक्टिव था और हेल्पिंग था. गुड फोर्स, गुड पीपल और खुद सीएसएफ ने कोई कंट्रोवर्सी खड़ी नहीं की. सबसे बड़ी बात ये है. आमतौर पे पुलिस वाले होते हैं. कोई ना कोई धक्कामुक्की हो ही जाती है किसी ना किसी से. फिर एक इशू बन जाता है. फिर हड़ताल हो जाती है. कुछ और हो जाता है. यह मैंने खासकर नोट किया पिछले दो-ती सालों में और खासकर रिसेंटली कि सीएसएफ ने उनके जवानों ने उनके लोगों ने कोई कंट्रोवर्सी क्रिएट नहीं की. दे आर वेरी पोलाइट विद द कस्टमर. आप सिक्योरिटी पे जाते हैं आजकल आप देखिए. तो आई डोंट फाइंड एनी एस के भी कोई लड़ाई झगड़ा हो गया, कुछ खासनी हो गई हो इन दिनों. ये घटनाएं बिल्कुल ज़ीरो हुई. आई थिंक द क्रेडिट गोज़ टू द लीडरशिप इन सीएसएफ जो है और टॉप लेवल पे जाए तो इट इज़ कंट्रोल बाय अमित शाह नाउ होम मिनिस्ट्री दैट इज़ उसका भी इंपैक्ट है आप मानिए बट सीएसएफ इज़ इन वेल डिसिप्लिंड इफेक्टिव रिजल्ट ओरिएंटेड फोर्स और उसका रोल जो है सारे क्राइसिस में सपोर्टिव था अच्छा था
सवालः इस अभूतपूर्व इंडिगो क्राइसिस की क्या सीख है? नागरिक उयन मंत्रालय के लिए, इंडिगो के लिए और बाकी एयरलाइंस के लिए भी.
जवाब: मंत्रालय के लिए डीजीसीए के लिए एक ही मैसेज डोंट ट्रस्ट एनीबॉडी स्पेशली इंडिगो नाउ और दूसरा मैसेज जो है एयरलाइंस के लिए मैसेज यह है बी केयरफुल इस बार तो बच गए जरूरी नहीं कि अगली बार बचो. एडमिनिस्ट्रेटिव फेलियर के लिए भी सरकार एफआईआर करती है. आपका कास्परेसी करना जरूरी नहीं है. आपका क्रिमिनल एक्ट में होना जरूरी नहीं है. इट इज़ अ मेजर फेलर जिसे कहते हैं पूरे देश की अर्थव्यवस्था को, पूरे देश की शासन व्यवस्था को एक तरह से ब्लॉक कर देना इस तरह से. तो ये अपराध बहुत संगीन था. तो इंडिगो के लिए यह है कि काइंडली बी केयरफुल ऑफ योर स्टाफ या ऑफ योर प्लानिंग ऑफ योर सुपरविज़न. काइंडली बी केयरफुल एंड हैव मोर रेगुलर एंड टाइट सुपरविजन और योर ऑल ऑपरेशंस. इट इज नॉट योर प्राइवेट एयरलाइन. नाउ इट बिलोंग्स टू इंडिया. इट बिलोंग्स टू नेशन एंड यू आर अकाउंटेबल टू नेशन नाउ. एज यू सेड इट इज़ अ रे ऑफ़ होप एस वेल.
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