भारत भेज रहा ऐसा केमिकल जिससे बढ़ रही है रूसी लड़ाकू विमानों की ताकत, जानें क्या है यह चमत्कारी चीज?

    भारत से रूस को भेजे जा रहे कुछ विशेष प्रकार के केमिकल्स को लेकर एक यूरोपीय रिपोर्ट के सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है.

    Indian chemicals are increasing the strength of Russian fighter jets
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    नई दिल्ली: भारत से रूस को भेजे जा रहे कुछ विशेष प्रकार के केमिकल्स को लेकर एक यूरोपीय रिपोर्ट के सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है. ये रासायनिक यौगिक, जिन्हें फ्यूल एडिटिव्स यानी ईंधन योजक कहा जाता है, कथित रूप से रूस के लड़ाकू विमानों में उपयोग हो रहे हैं और इनका उपयोग यूक्रेन युद्ध में आगे की सैन्य कार्रवाई में किया जा रहा है.

    हालांकि भारत सरकार या किसी भी भारतीय कंपनी पर किसी तरह के गैरकानूनी गतिविधियों का आरोप नहीं लगा है, लेकिन रिपोर्ट के सामने आने के बाद इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि कैसे भारत के औद्योगिक उत्पाद वैश्विक संघर्षों में अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभा सकते हैं.

    ईंधन योजक क्या होते हैं?

    ईंधन योजक एक प्रकार के रासायनिक यौगिक होते हैं जिन्हें विमान ईंधन में मिलाया जाता है ताकि इंजन की क्षमता बढ़ाई जा सके और घिसाव या खराबी को कम किया जा सके. इनका उपयोग मूलतः तकनीकी और इंजीनियरिंग आवश्यकताओं के लिए होता है, न कि किसी विशुद्ध सैन्य उद्देश्य से.
    यह केमिकल्स:

    • विमान के इंजन की परफॉर्मेंस को सुधारते हैं,
    • उच्च तापमान या बेहद कम तापमान में ईंधन की गुणवत्ता को बनाए रखते हैं,
    • और ईंधन के जलने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं.

    भारत वर्षों से ऐसे उत्पादों का निर्यात करता रहा है (अमेरिका, यूरोपीय देशों और कई एशियाई देशों को भी) और इन्हें आमतौर पर वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग के लिए भेजा जाता है.

    रूस-यूक्रेन युद्ध में कैसे जुड़ा भारत?

    ब्रिटिश अखबार द इंडिपेंडेंट और कीव स्थित थिंक टैंक इकोनॉमिक सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ यूक्रेन (ESCU) की साझा रिपोर्ट के अनुसार, भारत से रूस को भेजे गए फ्यूल एडिटिव्स का उपयोग रूसी वायुसेना के कुछ प्रमुख लड़ाकू विमानों जैसे Su-34 और Su-35S में किया गया है.

    ये वही विमान हैं जिनका उपयोग यूक्रेन के खिलाफ क्रूज मिसाइल, गाइडेड बम और अन्य उन्नत हथियारों के साथ हमलों के लिए किया गया है.

    रिपोर्ट के अनुसार:

    • 2024 में रूस द्वारा आयातित कुल ईंधन एडिटिव्स का लगभग 50% हिस्सा भारत से गया.
    • भारत से करीब 2,456 टन योजक उत्पाद रूस को भेजे गए, जिनकी कुल कीमत लगभग 1.3 करोड़ डॉलर (लगभग 108 करोड़ रुपये) थी.

    कौन-कौन सी भारतीय कंपनियां जुड़ी हैं?

    परफेक्ट ट्रेडर्स एंड मोल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड (Perfect Traders and Moulders Pvt. Ltd.): यह कंपनी पेट्रोकेमिकल उत्पादों और विमान उपकरणों की आपूर्तिकर्ता है. इसने रूस को करीब 1,885 टन ईंधन योजक भेजे.

    थर्मैक्स लिमिटेड (Thermax Ltd.): भारत की जानी-मानी रासायनिक और इंजीनियरिंग कंपनी, जिसने 287 टन एडिटिव्स का उत्पादन किया और रूसी कंपनी Kopron LLC को 13 लाख डॉलर में बेचा.
    थर्मैक्स के अनुसार, उसने जो केमिकल भेजा वह एक pour point depressant था, जो विशेष रूप से तेल क्षेत्रों और रिफाइनरियों में उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है.

    थर्मैक्स ने यह भी स्पष्ट किया कि उसे उत्पाद की उपयोगिता की पुष्टि आयातक कंपनी द्वारा लिखित रूप में दी गई थी.

    क्या भारत पर कोई आरोप है?

    • रिपोर्ट में कहीं भी यह दावा नहीं किया गया है कि भारत या भारतीय कंपनियों ने जानबूझकर रूस को सैन्य सहायता दी है.
    • भारत एक गैर-पक्षीय नीति का पालन करता है और किसी भी सैन्य गठबंधन का सीधा हिस्सा नहीं है.
    • भारत का यह रुख रहा है कि वह रूस और यूक्रेन दोनों से कूटनीतिक संबंध बनाए हुए है और संघर्ष को बातचीत से सुलझाने का पक्षधर है.

    ईंधन योजक का सैन्य उपयोग संभावित है, लेकिन इसे प्रमाणित नहीं किया गया है कि भेजे गए एडिटिव्स केवल सैन्य मकसद के लिए ही उपयोग किए गए हों.

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