तालिबान की प्रेस-कॉन्फ्रेंस में पहली लाइन में बैठीं महिला पत्रकार, बोले- पिछली बार नहीं बुलाया क्योंकि...

    अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने हाल ही में नई दिल्ली में एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया.

    Female journalist sitting in Taliban press conference
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने हाल ही में नई दिल्ली में एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. यह प्रेस वार्ता कई कारणों से महत्वपूर्ण रही- खासकर इसलिए क्योंकि इसमें महिला पत्रकारों की मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा. पिछली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को शामिल नहीं किए जाने पर उठे विवाद के बाद यह परिवर्तन देखने को मिला.

    इस बार महिला पत्रकारों को न केवल आमंत्रित किया गया, बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल की पहली पंक्ति में बैठाया गया, जो एक स्पष्ट संदेश था कि अफगान सरकार इस मुद्दे पर सफाई देना चाहती है.

    पिछली बार महिलाओं को क्यों नहीं बुलाया?

    इससे पहले शुक्रवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया था, जिससे सवाल खड़े हुए थे और इसकी आलोचना भी हुई थी. इस पर सफाई देते हुए मुत्तकी ने कहा, "पिछली बार समय की कमी के चलते केवल सीमित संख्या में पत्रकारों को बुलाया गया था. एक छोटी सूची तैयार की गई थी जिसमें महिला पत्रकार शामिल नहीं हो सकीं. इसका कोई राजनीतिक या वैचारिक मकसद नहीं था."

    महिला शिक्षा पर तालिबान सरकार की स्थिति

    महिला शिक्षा जैसे संवेदनशील विषय पर भी मुत्तकी ने अपना पक्ष स्पष्ट किया. उन्होंने दावा किया कि:

    • एक करोड़ विद्यार्थी अफगानिस्तान में स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ रहे हैं,
    • इनमें 28 लाख छात्राएं और महिलाएं भी शामिल हैं.
    • धार्मिक मदरसों में भी ग्रेजुएशन स्तर तक की पढ़ाई हो रही है.

    उन्होंने यह भी कहा, "हम शिक्षा के विरोधी नहीं हैं. कुछ क्षेत्रों में कुछ प्रतिबंध जरूर हैं, लेकिन महिला शिक्षा को हराम नहीं माना गया है. यह केवल एक अस्थायी निलंबन है जब तक नई व्यवस्था लागू नहीं होती."

    हालांकि, इन दावों के विपरीत अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्टें बताती हैं कि अफगानिस्तान में महिलाओं को पढ़ाई, नौकरी और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी से लगातार बाहर रखा जा रहा है.

    भारत के साथ संबंध: दूतावास फिर से खोलने की तैयारी

    मुत्तकी की भारत यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था. उनकी भारत के विदेश मंत्री से हुई बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जैसे:

    • भारत का काबुल में दूतावास फिर से खोलना
    • काबुल और दिल्ली के बीच उड़ानों की संख्या बढ़ाना
    • व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना

    अफगानिस्तान ने भारत को विशेष रूप से खनिज, कृषि और खेल क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया है. इसके अलावा चाबहार पोर्ट और वाघा बॉर्डर पर भी बातचीत हुई.

    दानिश सिद्दीकी की मौत पर दुख जताया

    2021 में अफगानिस्तान में मारे गए भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी के मामले पर भी मुत्तकी ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "हम हर मौत का दुख मनाते हैं. दानिश की मौत दुखद थी. पिछले चार वर्षों में अफगानिस्तान में कोई भी पत्रकार घायल नहीं हुआ है. यह हमारे लिए गर्व की बात है."

    पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर टिप्पणी

    मुत्तकी ने पाकिस्तान को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब उर्दू में दिया, और कहा, "पाकिस्तानी अवाम से हमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन कुछ तत्व हैं जो दिक्कतें पैदा कर रहे हैं. अफगानिस्तान की तरफ से जवाबी कार्रवाई की गई थी, जिसे कतर और सऊदी अरब के प्रयासों से रोका गया."

    उन्होंने यह भी कहा कि:

    • पाकिस्तान को अपने आतंकी गुटों पर नियंत्रण रखना होगा.
    • पाकिस्तान तालिबान (TTP) का अफगानिस्तान में कोई ठिकाना नहीं है.

    तालिबान का झंडा दिखाते हुए उन्होंने कहा, "यह हमारा झंडा है. इसके लिए हमने जिहाद लड़ा है."

    तालिबान राज में महिलाओं की स्थिति

    तालिबान के सत्ता में दोबारा आने के बाद, अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं लगातार बढ़ी हैं. संयुक्त राष्ट्र (UN) और कई मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्टों के अनुसार:

    • सातवीं कक्षा के बाद लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध है.
    • कॉलेज और यूनिवर्सिटी में लड़कियों का दाखिला बंद कर दिया गया है.
    • महिलाओं के बिना पुरुष अभिभावक के घर से निकलने पर रोक है.
    • 2023 तक ब्यूटी पार्लर, पार्क, जिम और महिला खेल क्लब भी बंद कर दिए गए.

    इन नीतियों के कारण अफगान महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सहभागिता लगभग समाप्त हो चुकी है.

    शिक्षा से बाहर, बचपन में शादी, बढ़ती आत्महत्याएं

    • करीब 11 लाख लड़कियां स्कूल और कॉलेज से बाहर हो चुकी हैं.
    • 80% से अधिक युवतियां न पढ़ाई कर पा रही हैं, न काम कर रही हैं, न कोई प्रशिक्षण ले रही हैं.
    • कम उम्र में शादियों में 25% की वृद्धि देखी गई है.
    • मातृ मृत्यु दर 50% तक बढ़ गई है.
    • हर दिन 1 से 2 महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं.

    ये आंकड़े अफगानिस्तान में महिलाओं की गंभीर सामाजिक स्थिति को दर्शाते हैं.

    ये भी पढ़ें- 'अब पाकिस्तान-अफगानिस्तान जंग निपटाउंगा, मैं इसमें माहिर...' नोबेल प्राइज नहीं मिलने पर बोले ट्रंप