तुर्की के सबसे बड़े दुश्मन के घर पहुंचे भारतीय वायु सेना प्रमुख, पाकिस्तान के दोस्त को घेरने की तैयारी!

    भारतीय वायुसेना के प्रमुख अमर प्रीत सिंह का ग्रीस दौरा इस सहयोग को एक नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है.

    Indian Air Force Chief Ap Singh visits in Greece
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- X

    एथेंस/नई दिल्ली: भारत और ग्रीस के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग अब सिर्फ सामान्य सैन्य अभ्यासों तक सीमित नहीं रहा. भारतीय वायुसेना के प्रमुख अमर प्रीत सिंह का ग्रीस दौरा इस सहयोग को एक नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है. यह दौरा ऐसे वक्त में हुआ है जब भारत ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है—और यह वही पाकिस्तान है जिसे तुर्की खुलकर समर्थन देता रहा है.

    अब सवाल उठ रहा है: क्या भारत, तुर्की को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है?

    तुर्की का समर्थन और भारत की जवाबी रणनीति

    तुर्की बीते कुछ वर्षों से पाकिस्तान का मजबूत रणनीतिक सहयोगी बना हुआ है. संयुक्त राष्ट्र मंच हो या इस्लामिक देशों के समूह—तुर्की ने भारत विरोधी रुख अपनाया है, विशेष रूप से कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर. यही वजह है कि अब भारत, ग्रीस जैसे देशों के साथ सामरिक संबंध मजबूत कर उस परोक्ष मोर्चे पर काम कर रहा है, जहां तुर्की और पाकिस्तान का गठजोड़ सक्रिय है.

    ग्रीस और तुर्की के बीच दशकों पुरानी दुश्मनी और सुरक्षा टकरावों का इतिहास रहा है—चाहे वह एजियन सागर में समुद्री सीमा विवाद हो, साइप्रस पर कब्जा या वायुसीमा उल्लंघन के आरोप. ऐसे में भारत और ग्रीस की सैन्य साझेदारी तुर्की को असहज कर सकती है.

    क्या वायुसेना प्रमुख का दौरा एक संदेश है?

    ग्रीस यात्रा के दौरान एयर चीफ अमरप्रीत सिंह ने हेलेनिक एयर फोर्स (HAF) के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल दिमोस्थेनीस ग्रिगोरियादिस से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच ऑपरेशनल ट्रेनिंग, रणनीति और तकनीकी सहयोग पर विस्तार से बातचीत हुई.

    इसके अलावा उन्होंने HAF के लड़ाकू विंग और तातोई स्थित डेकेलिया एयरबेस और वायुसेना अकादमी का भी दौरा किया. यह दौरा जितना तकनीकी था, उतना ही राजनीतिक और रणनीतिक सन्देशवाहक भी.

    ग्रीस क्या चाहता है भारत से?

    ग्रीस की मीडिया रिपोर्ट्स, खासकर Greek City Times, ने स्पष्ट रूप से बताया है कि ग्रीस की वायुसेना भारतीय ऑपरेशन सिंदूर को एक "क्लासरूम केस स्टडी" के रूप में देख रही है.

    ग्रीस भारतीय वायुसेना से यह जानना चाहता है कि कैसे उसने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर राफेल और सुखोई जैसे फाइटर जेट्स का सटीक उपयोग किया, आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, और फिर सफलतापूर्वक लौट आया.

    ये ऑपरेशन सिर्फ एक सामरिक सफलता नहीं, बल्कि एक नई सोच और योजनाबद्ध जवाब देने वाली नीति का प्रतीक है—जो अब ग्रीस जैसे देशों को भी सीखने के लिए आकर्षित कर रही है.

    क्या यह तुर्की के लिए "कूटनीतिक संदेश" है?

    भारत और ग्रीस के इस बढ़ते सहयोग को महज अभ्यासों की औपचारिकता कहना शायद एकतरफा नजरिया होगा. यह एक कूटनीतिक संतुलन साधने की पहल है, जो उन देशों को साथ लाना चाहती है जो तुर्की की आक्रामक विदेश नीति से असहज हैं.

    ग्रीस के लिए भारत एक मजबूत तकनीकी और रणनीतिक साझेदार है और भारत के लिए ग्रीस एक भौगोलिक रूप से सामरिक स्थिति में स्थित मित्र देश है, जो पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच सेतु बन सकता है.

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