मॉस्को/नई दिल्ली: भारत की रक्षा क्षमताओं को एक और नई दिशा मिलने जा रही है. भारत और रूस की साझा परियोजना ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम शुरू होने जा रहा है. यह परियोजना दोनों देशों की तकनीकी साझेदारी का अगला महत्वपूर्ण चरण है, जो भारत को हाइपरसोनिक मिसाइलों की सीमित क्लब में शामिल करेगा.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व महानिदेशक अतुल राणे ने रूसी समाचार एजेंसी RT को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि इस प्रोजेक्ट की “नींव रखी जा रही है”, यानी वास्तविक विकास कार्य की शुरुआत हो चुकी है.
तीन स्तरों पर विकसित हो रहा है ब्रह्मोस परिवार
भारत अब ब्रह्मोस के तीन वैरिएंट पर काम कर रहा है:
क्या खास होगा ब्रह्मोस हाइपरसोनिक में?
स्पीड: Mach-5 से अधिक, जिससे किसी भी आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इसका इंटरसेप्शन मुश्किल होगा.
रेंज: संभावित रेंज 1500 किलोमीटर तक, जिससे यह इंटरकॉन्टिनेंटल ऑपरेशन के योग्य बनती है.
इंजन: इस मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन इस्तेमाल होगा, जो वातावरण से ऑक्सीजन लेकर अत्यधिक गति और कुशल उड़ान सुनिश्चित करता है.
लॉन्च प्लेटफॉर्म: इसे हल्के लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकेगा, जैसे कि तेजस, Mirage 2000 और Su-30 MKI.
वजन: करीब 1.3 टन, जिससे यह पोर्टेबल और मल्टी-प्लेटफॉर्म अनुकूल हो सकेगी.
एयर डिफेंस सिस्टम के लिए बड़ी चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी तेज रफ्तार पर चलने वाली मिसाइल को इजरायल का आयरन डोम, रूस का S-500 या अन्य एडवांस सिस्टम भी ट्रैक कर पाना और इंटरसेप्ट करना बेहद कठिन होगा. इसका मतलब यह है कि हाइपरसोनिक ब्रह्मोस न केवल रणनीतिक बढ़त दिलाएगी, बल्कि दुश्मन की वायु रक्षा को भी अप्रभावी बना सकती है.
Zircon से प्रेरणा और तकनीकी चुनौतियाँ
ब्रह्मोस-II की अवधारणा काफी हद तक रूस की Zircon हाइपरसोनिक मिसाइल से प्रेरित है. यह परियोजना पहले भी चर्चा में रही थी लेकिन तकनीकी हस्तांतरण और लागत संबंधी अड़चनों के चलते रुकी हुई थी. अब नई रणनीतिक प्राथमिकताओं के चलते इस पर काम फिर से शुरू हो गया है.
‘मिनी ब्रह्मोस’: पोर्टेबिलिटी और लचीलापन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत एक हल्की, कॉम्पैक्ट ‘मिनी ब्रह्मोस’ पर भी काम कर रहा है, जिसे खासतौर पर फाइटर जेट्स और मोबाइल लॉन्च सिस्टम के लिए तैयार किया जाएगा. यह भारतीय वायुसेना की गहरी मारक क्षमताओं को और सशक्त बनाएगा.
वैश्विक हाइपरसोनिक रेस में भारत की एंट्री
इस परियोजना की शुरुआत भारत को उन चुनिंदा देशों की पंक्ति में खड़ा कर देगी जो हाइपरसोनिक हथियारों की तकनीक पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, जैसे अमेरिका, रूस और चीन. हाइपरसोनिक मिसाइलें भविष्य की युद्ध रणनीति को पूरी तरह बदल सकती हैं, और भारत के पास यह क्षमता विकसित करना उसकी रणनीतिक स्वतंत्रता और निवारक शक्ति को मजबूत करेगा.
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