भारत ने फिर निभाई दोस्‍ती, रूस को भेजा जंग और विस्फोटक का यह सामान, क्या भड़केगा अमेरिका?

    भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने और भरोसे पर टिके हुए हैं. बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच, जहां एक ओर पश्चिमी देश रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का दबाव बना रहे हैं, वहीं भारत ने हमेशा अपने स्वतंत्र विदेश नीति दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी है.

    India sent this material of war and explosives to Russia
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने और भरोसे पर टिके हुए हैं. बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच, जहां एक ओर पश्चिमी देश रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का दबाव बना रहे हैं, वहीं भारत ने हमेशा अपने स्वतंत्र विदेश नीति दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी है. इसी कड़ी में अब भारत द्वारा रूस को कथित रूप से विस्फोटक सामग्री HMX (Octogen) भेजे जाने की खबर ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है.

    भारत से रूस को HMX की आपूर्ति

    रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सीमा शुल्क के डेटा के आधार पर यह दावा किया गया है कि दिसंबर 2024 में एक भारतीय कंपनी ने रूस को लगभग 1.4 मिलियन डॉलर मूल्य का HMX भेजा. HMX एक उन्नत विस्फोटक पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल मिसाइल, टॉरपीडो, रॉकेट मोटर्स और अन्य सैन्य प्रणालियों में होता है.

    इस सप्लाई को प्राप्त करने वाली रूसी कंपनी का नाम Promsintez बताया गया है, जो रूस की सेना के लिए हथियार निर्माण में सक्रिय बताई जाती है.

    अमेरिका की आपत्ति और चेतावनी

    अमेरिकी रक्षा विभाग पहले ही HMX को 'रूस के युद्ध प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण' करार दे चुका है. अमेरिका ने वित्तीय संस्थानों और व्यापारिक संगठनों को चेतावनी दी है कि वे इस तरह की सामग्रियों की रूस को आपूर्ति में किसी भी तरह की भागीदारी से बचें.

    तीन स्वतंत्र जानकारों का कहना है कि अमेरिका का वित्त विभाग (U.S. Treasury) इस सप्लाई को देखते हुए प्रतिबंधों की दिशा में कदम उठा सकता है, हालांकि अभी तक भारत सरकार या संबंधित भारतीय कंपनियों के खिलाफ किसी तरह के उल्लंघन का सीधा आरोप सामने नहीं आया है.

    भारत की तटस्थ नीति पर बना भरोसा

    भारत ने शुरू से ही रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक तटस्थ और संतुलित रुख अपनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार सार्वजनिक मंचों से यह दोहरा चुके हैं कि “यह युद्ध का नहीं, संवाद का समय है.” भारत का यह रुख संयुक्त राष्ट्र से लेकर G20 तक हर मंच पर साफ झलका है.

    ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि भारतीय कंपनी की यह व्यापारिक डील भारत सरकार की मंजूरी या नीति से मेल खाती है या नहीं. लेकिन यह ज़रूर तय है कि भारत अभी भी अपने रणनीतिक साझेदार रूस से रिश्ते निभाने की नीति पर कायम है—चाहे वह तेल खरीद, रक्षा सौदे, या अब यह कथित रासायनिक सप्लाई हो.

    अमेरिकी राजनीति में हलचल संभव

    अमेरिका में अगर डोनाल्ड ट्रंप की वापसी होती है, तो भारत को इस डील के चलते अधिक कड़े रुख का सामना करना पड़ सकता है. ट्रंप प्रशासन ने पूर्व में भी भारत पर कुछ सौदों को लेकर दबाव बनाया था.

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