नई दिल्ली: भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी ऊर्जा नीति और रूस से तेल आयात को लेकर उठे विवादों का स्पष्ट और मजबूत जवाब दिया है. भारत सरकार ने यह दो टूक कहा है कि उसने तेल व्यापार में कोई अंतरराष्ट्रीय नियम नहीं तोड़ा और जो भी निर्णय लिए गए हैं, वे वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और मूल्य स्थिरता को ध्यान में रखते हुए लिए गए.
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक विस्तृत लेख में यह बताया कि भारत की नीति पारदर्शी, नियम आधारित और वैश्विक हित में रही है. उन्होंने विशेष रूप से जोर दिया कि भारत ने G7 के प्राइस कैप फ्रेमवर्क का पालन किया है और इससे विश्व को 200 डॉलर प्रति बैरल की संभावित कीमतों से बचाया.
भारत की स्थिति: ऊर्जा सुरक्षा और भू-राजनीति
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों या नियमों का उल्लंघन नहीं किया है. उन्होंने लिखा कि भारत ने G7 द्वारा निर्धारित मूल्य सीमा के तहत ही रूसी तेल का आयात किया है. यह सीमा इसलिए तय की गई थी ताकि रूस की कमाई सीमित रहे, लेकिन वैश्विक आपूर्ति में कोई बाधा न आए.
तेल की वैश्विक कीमतों को गिरने से बचाया
पुरी ने यह भी कहा कि भारत ने अगर रूस से तेल नहीं खरीदा होता, तो बाजार में भारी अस्थिरता होती और तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती थीं. इस नीति से केवल भारत ही नहीं, बल्कि विकासशील और निर्धन देशों को भी महंगे कच्चे तेल से राहत मिली.
भारत ने दिया अमेरिकी आरोपों का जवाब
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने हाल ही में भारत पर रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड करने का आरोप लगाया था. नवारो ने भारत पर यह भी आरोप लगाया कि वह रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है और ऊंचे दामों पर वैश्विक बाजार में बेचता है.
उनके अनुसार, इससे रूस को जंग के लिए आर्थिक सहायता मिलती है और भारत एक तरह से "डुअल गेम" खेल रहा है. हालांकि भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और इसे राजनीतिक बयानबाजी करार दिया.
भारत-रूस तेल व्यापार के आंकड़े-
भारत अब चीन के बाद रूस से तेल आयात करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है. कुछ प्रमुख आंकड़े इस प्रकार हैं:
पिछले दो वर्षों में भारत ने हर साल 130 अरब डॉलर (लगभग ₹11.33 लाख करोड़) से अधिक का रूसी तेल खरीदा है.
सस्ता तेल और भारतीय कंपनियों की बढ़ती कमाई
रूस से सस्ते दर पर मिलने वाले तेल ने भारत की सरकारी तेल कंपनियों (PSUs) के मुनाफे को भी बढ़ाया है.
इसका साफ मतलब है कि सस्ते तेल ने न केवल आम भारतीय उपभोक्ताओं को राहत दी, बल्कि सरकारी खजाने को भी मजबूत किया.
भारत की ऊर्जा रणनीति
भारत का स्पष्ट मानना है कि ऊर्जा सुरक्षा किसी भी देश की आर्थिक संप्रभुता और राष्ट्रीय हित से जुड़ा विषय है. ऐसे में भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसे कम कीमत पर भरोसेमंद आपूर्ति मिलती रहे, भले ही इसके लिए वैकल्पिक रास्ते खोजने पड़ें.
भारत न केवल घरेलू जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा संतुलन बनाए रखने में भी योगदान दे रहा है.
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