भारत में आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक की दिशा में पहला बड़ा कदम 1983 में उठाया गया, जब एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की गई एक ऐसा हल्का लड़ाकू विमान (LCA) तैयार करना, जो भारतीय वायुसेना के पुराने मिग-21 बेड़े की जगह ले सके. इस परियोजना का उद्देश्य था पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से ऐसा फाइटर जेट बनाना जो न केवल आधुनिक हो, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम भी हो.
शुरुआत में इस विमान की पहली उड़ान 1994 में कराने का लक्ष्य था, लेकिन तकनीकी जटिलताओं, संसाधनों की कमी और संस्थागत अनुभव के अभाव के कारण इसमें लंबा समय लग गया. आखिरकार, वर्ष 2001 में इसका पहला प्रोटोटाइप आकाश में उड़ा.
अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान
वर्ष 2003 में, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस स्वदेशी विमान को एक पहचान दी, उन्होंने इसे "तेजस" नाम दिया, जिसका संस्कृत में अर्थ होता है "तेज", "शक्ति" या "चमक". यह नाम भारतीय विज्ञान, परंपरा और आत्मबल का प्रतीक बन गया.
पहला ऑर्डर और शुरुआती सीमाएं
2006 में भारतीय वायुसेना ने तेजस के पहले 20 जेट विमानों का ऑर्डर दिया, जो एक बड़ा मील का पत्थर था. इसके बाद, 2011 में तेजस को प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (IOC) दी गई, जिससे इसे सीमित युद्धक भूमिका में शामिल किया जा सका.
हालांकि उस समय तेजस की क्षमता सीमित थी यह जटिल युद्धाभ्यास करने में असमर्थ था, इसमें एयर-टु-एयर रिफ्यूलिंग की सुविधा नहीं थी, और हथियारों का सेटअप भी बुनियादी था.
2019: तेजस ने उड़ान को पाया नया विस्तार
साल 2019 में तेजस को Final Operational Clearance (FOC) प्राप्त हुआ, जो इसकी असली क्षमताओं की शुरुआत थी. अब यह विमान न केवल हवा में ईंधन भर सकता था, बल्कि इसमें लंबी दूरी की डर्बी मिसाइल, सटीक निर्देशित बम, और उन्नत नेविगेशन तकनीक भी जुड़ चुकी थीं.
इसके बाद तेजस ने कई परीक्षणों में अपनी युद्धक दक्षता को साबित किया. वर्ष 2023 में इसने स्वदेशी अस्त्र MK-1 मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ भारत की मिसाइल तकनीक में एक और उपलब्धि जोड़ी.
भारतीय वायुसेना में तेजस की तैनाती
अब तक भारतीय वायुसेना को तेजस के कुल 38 विमान प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें से 16 IOC वर्जन, 16 FOC वर्जन और 6 प्रशिक्षक विमान शामिल हैं. दो और FOC विमान जल्द ही वायुसेना को मिलने की संभावना है.
तेजस वर्तमान में भारतीय वायुसेना की दो स्क्वाड्रनों में कार्यरत है:
इन यूनिट्स में तेजस को नियमित गश्त, प्रशिक्षण, सीमांत रक्षा और सटीक हमले जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में प्रयोग किया जा रहा है. 2024 में जैसलमेर में एक दुर्घटना के बाद एक विमान नष्ट हो गया, जिससे फिलहाल 37 तेजस विमान सक्रिय हैं.
युद्धाभ्यास और वास्तविक तैनाती
तेजस को केवल प्रशिक्षण या शो के लिए ही नहीं रखा गया है. इसने ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में वास्तविक तैनाती भी देखी है, जिसमें इसने सीमावर्ती इलाकों में वायु गश्त और क्लोज एयर सपोर्ट उड़ानें भरीं.
तेजस MK-1A: अगली पीढ़ी का अपग्रेड
तेजस का नया संस्करण, MK-1A, भारतीय वायुसेना में जल्द शामिल होने वाला है. इसमें कई आधुनिक तकनीकी सुधार शामिल होंगे:
तेजस MK-1A को और अधिक घातक और बहुउद्देश्यीय बनाया जा रहा है. इसकी डिलीवरी अक्टूबर 2025 से शुरू होने की उम्मीद है.
तेजस MK-2: भविष्य का बहुपरकीय युद्धक विमान
तेजस की उड़ान यहीं नहीं रुकती. अब HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) तेजस MK-2 पर काम कर रहा है, जिसे एक मध्यम वजन वाला लड़ाकू विमान (MWF) के रूप में तैयार किया जा रहा है.
मुख्य विशेषताएँ:
चार प्रोटोटाइप वर्तमान में निर्माण के चरण में हैं, और पहली उड़ान 2027 के लिए लक्षित है. इसके बाद तीन साल तक इसका परीक्षण चलेगा और फिर इसे वायुसेना में शामिल किया जाएगा.
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