India Philippines Relation: वैश्विक कूटनीति के मंच पर भारत एक बार फिर निर्णायक भूमिका में सामने आया है. इस बार बात हो रही है दक्षिण-पूर्व एशियाई देश फिलीपींस के साथ उसके गहरे होते रणनीतिक रिश्तों की, जिनमें समुद्री सुरक्षा, रक्षा सहयोग और व्यापारिक समझौतों को नई गति मिली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के बीच नई दिल्ली में हुई द्विपक्षीय वार्ता न सिर्फ दोनों देशों के लिए अहम रही, बल्कि इससे पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन की एक नई तस्वीर उभरती दिखाई दी.
भारत और फिलीपींस ने 13 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें तीनों सशस्त्र बलों के बीच सहयोग की रूपरेखा से लेकर फ्री ई-टूरिस्ट वीजा जैसी सुविधाएं शामिल हैं. लेकिन इस मुलाकात का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि भारत अब केवल 'रिएक्ट' नहीं कर रहा, बल्कि 'प्रोएक्टिव' होकर अपनी विदेश नीति चला रहा है.
दक्षिण चीन सागर पर साझा रुख
दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता के जवाब में भारत और फिलीपींस की एकजुटता और स्पष्ट रुख ने बीजिंग के लिए एक स्पष्ट संदेश भेजा है. दोनों देशों ने क्षेत्र में ‘बलपूर्वक और आक्रामक कार्रवाइयों’ पर गहरी चिंता जताई और आत्म-संयम और शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की.
साल 2016 के उस ऐतिहासिक मध्यस्थता निर्णय का समर्थन करके, जिसने दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को खारिज किया था, भारत ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संप्रभुता की बात को मजबूती से रखा है.
रक्षा, व्यापार और दोस्ती
बैठक में कई अहम समझौतों को अंतिम रूप दिया गया:
तीनों सेनाओं के बीच सहयोग की रूपरेखा
आपराधिक मामलों में कानूनी सहायता
2025-2029 के लिए रणनीतिक साझेदारी कार्य योजना
एक साल के लिए फिलीपींस नागरिकों को मुफ्त ई-टूरिस्ट वीजा
भारत-फिलीपींस तरजीही व्यापार समझौते (PTA) पर वार्ता को गति
भारत पहले ही फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति कर रहा है और मनीला की ओर से और अधिक रक्षा उपकरणों की रुचि भी जताई गई है.
भारत की "एक्ट ईस्ट" नीति का विस्तार
पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और फिलीपींस "अपनी मर्जी से दोस्त और नियति से साझेदार" हैं. भारत की "एक्ट ईस्ट" नीति के तहत यह साझेदारी न सिर्फ ASEAN क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव के जवाब में एक वैकल्पिक सुरक्षा व्यवस्था की नींव भी रखती है.
मार्कोस की यह यात्रा खास इसलिए भी रही क्योंकि यह ऐसे समय में हुई है जब भारत और फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में पहली संयुक्त नौसैनिक गश्त शुरू की है — एक कदम जो भले ही चीन को नागवार गुजरे, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज से अत्यंत आवश्यक है.
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