पाकिस्तान की लुटिया डुबोएंगे मुनीर! चीन की भी बढ़ सकती है मुसीबत; जानें कैसे

    धार्मिक उन्माद, आतंकवाद को शह, और युवाओं को भटकाने की साजिश—पाकिस्तान ने इन सबके सहारे एक ऐसे रास्ते को चुना, जिसने उसकी आर्थिक रीढ़ तोड़ दी है. जिस सोच ने कभी उसे भारत के खिलाफ खड़ा किया, अब वही सोच उसे खुद ही कंगाली और अस्थिरता की तरफ धकेल रही है.

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    धार्मिक उन्माद, आतंकवाद को शह, और युवाओं को भटकाने की साजिश—पाकिस्तान ने इन सबके सहारे एक ऐसे रास्ते को चुना, जिसने उसकी आर्थिक रीढ़ तोड़ दी है. जिस सोच ने कभी उसे भारत के खिलाफ खड़ा किया, अब वही सोच उसे खुद ही कंगाली और अस्थिरता की तरफ धकेल रही है.

    इस बर्बादी के पीछे कोई और नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व और राजनीतिक तंत्र ही है, जो खुद को महाशक्ति बनाने के सपने देखते रहे, लेकिन हकीकत में अपने ही देश को आंतरिक संकटों में धकेल बैठे.

    आतंकवाद को पालना बना आत्मघाती कदम

    पाकिस्तान ने दशकों तक आतंकवादी संगठनों को पनाह दी, उन्हें रणनीतिक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया. लेकिन अब यही मोहरे उसके अपने खिलाफ बगावत बनकर खड़े हो चुके हैं. भीतर ही भीतर देश असुरक्षा, चरमपंथ और अव्यवस्था से घिर गया है. जिस हथियार से उसने दूसरों को डराना चाहा, अब वही हथियार उसके सीने पर वार कर रहा है.

    अमेरिका और पाकिस्तान: रिश्तों में नई गरमाहट

    हाल के महीनों में पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में अचानक गर्मजोशी देखने को मिली है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर दो बार अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं. कई विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका, भारत से नाराजगी के चलते पाकिस्तान को फिर से रणनीतिक तौर पर उपयोगी बना रहा है. इस समीकरण में पाकिस्तान को नई ताकत मिल सकती है—और भारत को सावधान रहने की जरूरत है.

    आर्थिक हालात बेहद खराब, फिर भी भटकाव जारी

    पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से जूझ रही है. बेरोजगारी, महंगाई और निवेश का अभाव—तीनों मिलकर आम आदमी की कमर तोड़ चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद सरकार और सेना का ध्यान विकास पर नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ बयानबाजी और साजिशों पर लगा है. जनरल मुनीर के भाषणों में भारत-विरोध की तल्खी उनके असली एजेंडे को उजागर करती है. इन भाषणों से पाकिस्तान के युवाओं का ध्यान रोजगार और शिक्षा से हटकर कट्टरपंथ की ओर मोड़ा जा रहा है.

    चीन का साथ और रणनीतिक खतरे

    चीन-पाकिस्तान की नजदीकी किसी से छिपी नहीं है. हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी की पाकिस्तान यात्रा इस गठजोड़ को और पुख्ता कर गई है. दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने का ऐलान किया है. चीन का सहयोग, अमेरिका की नर्मी और आतंकी नेटवर्क ये तीनों मिलकर भारत के लिए नए सुरक्षा खतरे पैदा कर सकते हैं.

    भारत के लिए अलर्ट का समय

    भारत को पाकिस्तान की चालों और उसकी अंतरराष्ट्रीय जुगलबंदी पर कड़ी नजर रखनी होगी. आतंकवाद के समर्थन और द्विपक्षीय तनाव को भड़काने की उसकी रणनीति अभी खत्म नहीं हुई है. हालात यही संकेत दे रहे हैं कि पाकिस्तान खुद बर्बाद हो रहा है, लेकिन उस बर्बादी में भी वो भारत को नुकसान पहुंचाने की फिराक में है.

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