नई दिल्ली/हेग – ऑपरेशन सिंदूर की सैन्य सफलता के बाद अब भारत कूटनीतिक मोर्चे पर भी आक्रामक रुख अपनाए हुए है. इसी रणनीति के तहत भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर नीदरलैंड की यात्रा पर पहुंचे हैं, जहां उनका मकसद साफ है — पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति पर सवाल खड़े करना और इस्लामाबाद को मिल रही पश्चिमी सैन्य मदद पर वैश्विक सहमति से अंकुश लगाना.
नीदरलैंड पाकिस्तान के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो उसकी नौसेना और थलसेना को सीधे तौर पर रक्षा उपकरण और युद्धपोत की सप्लाई करता है. 1980 के दशक से चले आ रहे इस रक्षा सहयोग में गश्ती जहाज, माइंसवेपर (बारूदी सुरंगें खोजने वाले पोत), और बख्तरबंद सैन्य वाहन शामिल हैं. पाकिस्तानी नौसेना की मौजूदा क्षमताओं में नीदरलैंड की भूमिका अहम मानी जाती है.
जयशंकर का साफ संदेश — आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों से संबंध नहीं
जयशंकर ने अपने दौरे के दौरान नीदरलैंड की सरकार के समक्ष पाकिस्तान द्वारा सीमापार आतंकवाद को लगातार समर्थन दिए जाने का मुद्दा उठाया. उन्होंने एक स्थानीय अख़बार को दिए इंटरव्यू में स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान की सेना खुद धार्मिक कट्टरपंथ के साये में काम कर रही है और ऐसे में उस देश को सैन्य संसाधन देना पूरे क्षेत्र की शांति के लिए खतरा बन सकता है.
उन्होंने हाल ही में हुए पहलगाम हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत अब केवल जवाब नहीं देगा, बल्कि परिणाम तय करेगा. "यदि पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद से बाज नहीं आता, तो उसे इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे," जयशंकर ने दो टूक शब्दों में कहा.
पहले भी कर चुका है भारत आग्रह, अब टोन हुआ सख्त
यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत ने नीदरलैंड से इस मुद्दे पर आपत्ति जताई हो. मार्च 2024 में हुई द्विपक्षीय बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी यह स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान को हथियार देना भारत की सीमाओं की सुरक्षा के साथ सीधा खिलवाड़ है. उस समय नीदरलैंड की ओर से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई थी, लेकिन अब ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत का रुख ज्यादा दृढ़ और परिणामोन्मुखी हो गया है.
नीदरलैंड के साथ संयुक्त हथियार निर्माण का प्रस्ताव
जयशंकर केवल आपत्ति दर्ज कराने नहीं, बल्कि विकल्प सुझाने भी पहुंचे हैं. भारत ने नीदरलैंड को भारत के $120 अरब डॉलर के रक्षा बाजार में साझेदारी का प्रस्ताव दिया है. प्रस्ताव के तहत भारत और नीदरलैंड मिलकर हथियारों का संयुक्त निर्माण कर सकते हैं, जिससे यूरोपीय राष्ट्र को व्यापारिक लाभ मिलेगा और भारत को रणनीतिक संबल.
पाकिस्तान को होगा बड़ा नुकसान?
अगर नीदरलैंड भारत के प्रस्ताव की ओर सकारात्मक कदम बढ़ाता है तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की नौसेना का एक बड़ा हिस्सा जिन हथियार प्रणालियों पर निर्भर है, वे नीदरलैंड से आती हैं. ऐसे में यह आपूर्ति बाधित होने से न केवल पाकिस्तान की सामरिक ताकत प्रभावित होगी, बल्कि उसकी सैन्य तैयारियों पर भी सीधा असर पड़ेगा.
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