भारत कर रहा 'फ्यूचर वॉर' की तैयारी, करेगा 30000 करोड़ की डिफेंस डील, MALE ड्रोन बनाने पर होगा फोकस

    भारत ने एक बार फिर अपनी रक्षा नीति में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए आने वाले युद्धों की बदलती प्रकृति को ध्यान में रखते हुए 'फ्यूचर वॉर' यानी भविष्य के युद्धों की व्यापक योजना पर काम शुरू कर दिया है.

    India is preparing for Future War and making MALE drones
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    भारत ने एक बार फिर अपनी रक्षा नीति में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए आने वाले युद्धों की बदलती प्रकृति को ध्यान में रखते हुए 'फ्यूचर वॉर' यानी भविष्य के युद्धों की व्यापक योजना पर काम शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार अब आधुनिकतम हथियारों, विशेष रूप से ड्रोन टेक्नोलॉजी, में निवेश कर रही है, जिसकी कुल लागत लगभग ₹30,000 करोड़ तक आंकी जा रही है.

    यह पहल न केवल भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता (self-reliance) को गति देगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि अगली पीढ़ी की जंग में भारत पूरी तैयारी के साथ उतरे — वह भी बिना ज्यादा जनहानि के.

    ड्रोन युग: क्यों है यह समय की सबसे बड़ी जरूरत?

    आज की वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर मध्य-पूर्व तक, आधुनिक युद्धों में ड्रोन का उपयोग एक निर्णायक फैक्टर बन चुका है. ये हथियार न केवल दुश्मन पर सटीक हमला करने में सक्षम हैं, बल्कि उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनका संचालन बिना पायलट के किया जा सकता है, जिससे सैनिकों की जान जोखिम में नहीं पड़ती.

    भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए एक नई योजना तैयार की है जिसके तहत भारत जल्द ही MALE क्लास ड्रोन (Medium Altitude Long Endurance drones) के निर्माण और संचालन के लिए ₹30,000 करोड़ रुपये की बड़ी परियोजना को मंजूरी देने जा रहा है.

    ड्रोन और राफेल-ब्रह्मोस: कौन ज़्यादा प्रभावी?

    जहाँ राफेल फाइटर जेट और ब्रह्मोस मिसाइल आज भारतीय वायुसेना की ताकत हैं, वहीं आने वाले समय में आधुनिक ड्रोन सिस्टम इन हथियारों का बेहतरीन तकनीकी पूरक बन सकते हैं.

    ड्रोन का उपयोग निम्नलिखित कारणों से विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है:

    • ये कम लागत में ज्यादा प्रभावी होते हैं
    • इन्हें रिमोटली ऑपरेट किया जा सकता है
    • मानव जीवन को खतरे में डाले बिना दुश्मन पर सटीक प्रहार किया जा सकता है
    • फाइटर जेट्स और एयर डिफेंस सिस्टम के साथ इन्हें जोड़कर नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर को अंजाम दिया जा सकता है
    • डिफेंस सेक्रेटरी आर. के. सिंह के अनुसार, यह निवेश भारत को आने वाले वर्षों में युद्ध की नई परिभाषा के लिए तैयार करेगा.

    ड्रोन विकास: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

    भारत सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेशी रक्षा उद्योग के साथ मिलकर विकसित करने की योजना बना रही है. यानी यह केवल एक रक्षा योजना नहीं है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' अभियान को मजबूत करने वाला प्रमुख रक्षा प्रोग्राम भी है.

    • इस प्रोजेक्ट में सरकारी और निजी कंपनियों दोनों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा
    • स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी फर्म्स के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जाएंगी
    • सरकार इन कंपनियों को कम से कम पांच साल तक खरीद गारंटी भी देने पर विचार कर रही है
    • यह सब मिलकर भारत को एक मजबूत सैन्य-औद्योगिक इकोसिस्टम की दिशा में अग्रसर करेगा.

    डिफेंस सेक्रेटरी ने क्या कहा?

    डिफेंस सेक्रेटरी आर.के. सिंह ने यह स्पष्ट किया कि, "आधुनिक युद्धों से यह स्पष्ट हो गया है कि मिसाइल और ड्रोन टेक्नोलॉजी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. हमें भविष्य की जरूरतों के अनुसार पर्याप्त स्टॉकपाइल, उत्पादन क्षमता और रणनीतिक तैयारी रखनी होगी."

    उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले वर्षों में भारत सालाना 25 से 30 अरब डॉलर का रक्षा पूंजीगत खर्च बनाए रखने की दिशा में काम कर रहा है, जिसमें 75% खर्च घरेलू उद्योगों पर केंद्रित रहेगा.

    फाइटर जेट्स, AMCA और साझेदारियों पर योजना

    जहाँ एक ओर भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (5th Gen Fighters) की दिशा में अग्रसर है, वहीं डिफेंस सेक्रेटरी ने स्वीकार किया कि इन विमानों को विकसित होने में समय लगेगा. तब तक:

    • 4th और 4.5th जेनरेशन के फाइटर जेट्स की संख्या बढ़ाई जाएगी
    • उन्हें एडवांस वेपन्स सिस्टम के साथ अपग्रेड किया जाएगा
    • स्वदेशी AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) परियोजना पूरी होने तक इस अंतर को पाटा जाएगा

    उन्होंने यह भी बताया कि भारत की आने वाली रणनीतिक साझेदारियाँ केवल राजनीतिक नहीं बल्कि तकनीकी और ऑपरेशनल ज़रूरतों पर आधारित होंगी, जिसमें अमेरिका, रूस जैसे देशों के साथ सहयोग की संभावना खुली रहेगी.

    1.5 लाख करोड़ के रक्षा अनुबंधों की तैयारी

    रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत निकट भविष्य में लगभग ₹1.5 लाख करोड़ के डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स पर हस्ताक्षर करने वाला है. इसके अलावा ₹75,000 करोड़ के नए प्रस्ताव अभी विचाराधीन हैं.

    पिछले साल, भारत ने ₹2.09 लाख करोड़ रुपये के रक्षा सौदे किए थे और इस वर्ष सरकार का इरादा इस आंकड़े को पार करने का है. ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता घटाकर, आत्मनिर्भरता और तकनीकी श्रेष्ठता की ओर बढ़ रहा है.

    भविष्य की तकनीकी क्षमता का निर्माण

    इस पूरी रणनीति का मकसद सिर्फ हथियार खरीदना नहीं है, बल्कि:

    • स्वदेशी अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा देना
    • डिफेंस स्टार्टअप इकोसिस्टम को खड़ा करना
    • सैटेलाइट इमेजिंग, प्रिसिशन म्यूनिशन, अंडरवॉटर सिस्टम्स जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनना
    • और सबसे अहम, एक दीर्घकालिक तकनीकी क्षमता का निर्माण करना है.

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