पाकिस्तान अभी ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़े-बड़े दावे कर रहा है, लेकिन असली ताकत भारत के हाइपरसोनिक और एडवांस्ड हथियार में छिपी है. अब देश सिर्फ पारंपरिक मिसाइलों पर निर्भर नहीं है, बल्कि वह भविष्य की लड़ाइयों को ध्यान में रखकर विकसित तकनीकों पर काम कर रहा है जो दुश्मन की रडार को चकमा देकर क्षणों में जवाब देने में सक्षम हैं. इन्हीं प्रणालियों की बदौलत भारत अब प्रतिक्रिया से आगे बढ़कर रणनीतिक बढ़त हासिल कर रहा है.
1. HSTDV: स्वदेशी 'स्क्रमजेट' की उड़ान
Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) भारत का पहला स्वदेशी स्क्रमजेट प्रोजेक्ट है, जिसे DRDO ने डिजाइन किया है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हवा से ऑक्सीजन प्राप्त करके उड़ता है, यानी टैंक में ऑक्सीजन भरे बिना ही तेज गति से उड़ान भरता है.
2020 में इसने Mach 6 (ध्वनि की छह गुणा गति) पर लगभग 20 सेकंड तक सफल उड़ान भरी. फिलहाल इसे मिसाइल प्लेटफॉर्म में बदलने की तैयारी चल रही है और संभावना है कि 2026 तक India के पास अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल होगी.
2. BrahMos-II: अगली पीढ़ी की शक्तिशाली मिसाइल
BrahMos-II, सुपरसोनिक ब्रह्मोस का हाइपरसोनिक अवतार, Mach 7 तक गति के लक्ष्य पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस मिसाइल को ज़मीन, पानी और हवा. तीन प्लेटफार्म से लॉन्च करने की क्षमता मिलेगी. इसका विकास DRDO और रूस की NPOM कंपनी की साझेदारी में ब्रह्मोस एयरोस्पेस कर रही है. तकनीकी चुनौतियाँ अभी भी हैं, लेकिन तेज़ प्रगति जारी है और 2026 तक इसके परीक्षण उड़ान संभव है.
3. SFDR: वायुसेना को देने वाली नई धार
Solid Fuel Ducted Ramjet (SFDR) तकनीक वायुसेना की क्षमता को Mach 4.5–6 की गति देने में अहम रोल निभाएगी. यह ठोस ईंधन आधारित है, जिसका मतलब है. कम रख-रखाव और ऑपरेशनल आसानी. DRDO ने इसे विशेष रूप से Astra Mk3 जैसी लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों के लिए तैयार किया है. 2018 से इस तकनीक के सफल परीक्षण हुए और अब weaponisation की अंतिम स्टेज पर है. माना जा रहा है कि 2025–26 तक यह संचालन में आ सकती है.
4. Shaurya: मिसाइल का तेज़ और खतरनाक अवतार
भारत की शौर्य मिसाइल पहले से तैनात है, लेकिन अब इसका हाइपरसोनिक संस्करण विकसित हो रहा है. यह जमीन से लॉन्च होकर वायुमंडल की ऊपरी परत में ग्लाइड करती है, जिससे टक्कर का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. इसकी रफ्तार Mach 7.5 तक पहुँचती है, जिससे यह भारत की रणनीतिक ताकत में एक बड़ा इज़ाफ़ा करती है. फिलहाल सीमित संख्या में मौजूद है, लेकिन आने वाला हाइपरसोनिक वर्जन इसे और भी घातक बना देगा.
5. HGV: देश की सबसे खामोश लेकिन खतरनाक प्रणाली
सबसे ज़्यादा चर्चा में ना रहने के बावजूद, Hypersonic Glide Vehicle (HGV) प्रोजेक्ट सबसे खतरनाक साबित हो सकता है. मिसाइल से लॉन्च हो कर यह Mach 10 से उड़ान भरता हुआ लक्ष्य को तड़क-भड़क के भेद सकता है. इसकी जानकारी अभी गोपनीय है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली भारत को अमेरिका और चीन जैसे महाशक्तियों के बराबर खड़ा कर सकती है. उम्मीद की जा रही है कि इसे 2028–2030 के बीच weaponised रूप में पेश किया जा सकता है.
DRDO का बजट और भविष्य की दृष्टि
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन का वार्षिक बजट ₹23,000–₹25,000 करोड़ के बीच है, जिसमें से ₹3,000–₹5,000 करोड़ हाइपरसोनिक व मिसाइल तकनीकों पर खर्च किया जा रहा है. इन दिशाओं में उठाए गए कदम दर्शाते हैं कि भारत अब केवल रक्षा का ख़रीदार नहीं, बल्कि एक आत्मनिर्भर रक्षा निर्माता के रूप में जल्द संपूर्ण रूप से उभरने की दिशा में अग्रसर है.
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