ग्रीस की सैन्य ताकत बढ़ाएगा भारत, घबरा रहा पाकिस्तान का दोस्त तुर्किए

    तुर्किए द्वारा पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करना भारत के लिए एक सीधी चुनौती बन गया है. अब भारत इस चुनौती का जवाब उसी अंदाज में देने की तैयारी कर रहा है. भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्शी ने साफ कर दिया है कि तुर्किए को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

    India Helping greece strong their defence system
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    तुर्किए द्वारा पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करना भारत के लिए एक सीधी चुनौती बन गया है. अब भारत इस चुनौती का जवाब उसी अंदाज में देने की तैयारी कर रहा है. भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्शी ने साफ कर दिया है कि तुर्किए को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा. भारत अब तुर्किए के सबसे बड़े दुश्मन ग्रीस के साथ सैन्य संबंध मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है.

    भारत-ग्रीस सैन्य सहयोग तुर्किए के लिए नई चुनौती

    एक इंटरव्यू में ग्रीक वेबसाइट Directus से बातचीत करते हुए मेजर जनरल बख्शी ने कहा कि भारत ग्रीस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, आकाश एयर डिफेंस सिस्टम और पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर जैसे अत्याधुनिक हथियार बेचने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि ये हथियार युद्ध के मैदान में अपनी शक्ति पहले ही साबित कर चुके हैं. खासकर ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया में 'अपराजेय' माना जाता है क्योंकि इसे इंटरसेप्ट कर पाना लगभग नामुमकिन है.

    तुर्किए की 'पाकिस्तान नीति' का भारत देगा मुंहतोड़ जवाब

    जनरल बख्शी ने स्पष्ट रूप से कहा कि तुर्किए ने पाकिस्तान को जिस तरह ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और मोबाइल कमांड यूनिट्स की आपूर्ति की, वह भारत के लिए सीधी सैन्य चुनौती थी. लेकिन भारत ने न केवल पाकिस्तान के इन हथियारों को ध्वस्त किया, बल्कि नूर खान एयरबेस को भी नेस्तनाबूद कर दिया.

    अब जब तुर्किए पाकिस्तान को जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें बेचने की योजना बना रहा है, भारत उसका जवाब ग्रीस और साइप्रस को मजबूत कर के देगा. जनरल बख्शी ने कहा कि यदि तुर्किए का ग्रीस या साइप्रस के साथ कोई संघर्ष होता है, तो भारतीय हथियारों से लैस ये देश तुर्किए को करारा जवाब दे सकते हैं.

    एर्दोगन के ‘खलीफा’ बनने के सपने पर भारत की कड़ी नजर

    जनरल बख्शी ने तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन की मंशाओं पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि एर्दोगन मुस्लिम वर्ल्ड में खुद को नया खलीफा साबित करना चाहते हैं और ऑटोमन साम्राज्य को फिर से स्थापित करने के सपने देख रहे हैं. लेकिन तुर्किए की आर्थिक हालत पहले से ही डगमगा रही है और घरेलू राजनीति में भी एर्दोगन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. बख्शी का मानना है कि एर्दोगन अब सऊदी अरब को पीछे छोड़कर मुस्लिम जगत की अगुवाई करने की कोशिश में हैं, लेकिन भारत उनके इस एजेंडे पर कड़ी नजर रखे हुए है.

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