LAC पर और मजबूत होगी इंडियन आर्मी, भारत ने बढ़ाई सड़कों की कनेक्टिविटी, चीन को चेक एंड मेट की तैयारी!

    पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत की सैन्य मौजूदगी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है.

    India enhances connectivity of roads reaching the border
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत की सैन्य मौजूदगी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है. देपसांग प्लेन्स और दौलत बेग ओल्डी (DBO) जैसे संवेदनशील इलाकों तक पहुंच बनाने के लिए एक नई वैकल्पिक सड़क का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है, जो अगले साल के अंत तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा.

    फिलहाल DBO तक पहुंच के लिए दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) मार्ग का इस्तेमाल होता है. अब जो नई सड़क बनाई जा रही है, वह ससोमा-सासेर ला-सासेर ब्रांगसा-गप्शन होकर DBO तक जाएगी. यह सड़क, DSDBO मार्ग के समांतर रहेगी, जिससे सेना को रणनीतिक रूप से एक दूसरा विकल्प मिलेगा — खासकर किसी आपात स्थिति या संचालन के समय.

    नई सड़क की खास बातें:

    • कुल लंबाई: लगभग 130 किलोमीटर
    • ब्रिज की संख्या: 9
    • वर्तमान लोडिंग क्षमता: 40 टन (70 टन में बदले जा रहे हैं)
    • ब्लैक टॉपिंग का कार्य: 70% पूरा, अक्टूबर-नवंबर 2025 तक पूर्ण
    • सासेर ब्रांगसा तक सैन्य वाहनों की आवाजाही शुरू

    इस मार्ग के निर्माण से लेह से DBO की दूरी लगभग 79 किलोमीटर घट जाएगी, जिससे सेना की लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल क्षमता में उल्लेखनीय सुधार आएगा.

    सासेर ला में टनल की योजना

    सासेर ला एक ऊंचा दर्रा है, जहां सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते सड़क संचालन बाधित हो सकता है. ऐसे में टनल निर्माण पर भी विचार हो रहा है. इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार कर ली गई है, जो भविष्य में इस मार्ग को हर मौसम में चालू रखने में मदद करेगी.

    DBO और देपसांग: क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    दौलत बेग ओल्डी (DBO), भारत का सबसे ऊंचा और उत्तर में स्थित एयरबेस है, जो सियाचिन ग्लेशियर से करीब 60 किमी पूरब में मौजूद है. यह क्षेत्र इतना संवेदनशील है कि यहां चीन और पाकिस्तान के बीच संभावित सैन्य सहयोग भारत के लिए खतरा बन सकता है. इसीलिए इसे सब-सेक्टर नॉर्थ (SSN) भी कहा जाता है.

    देपसांग प्लेन्स, जो समुद्र तल से 5,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं, अक्साई चिन का हिस्सा माने जाते हैं. यहां पहले भी भारत-चीन सेना के बीच तनाव पैदा हो चुका है. फिलहाल दोनों पक्ष सीमित गश्त की सहमति पर कायम हैं.

    सेना को मिलेगा नया लॉजिस्टिक लाभ

    इस नई सड़क के तैयार होने से सेना को DBO क्षेत्र में भारी हथियार और सैन्य सामग्री पहुंचाने में और भी तेजी मिलेगी. साथ ही, युद्ध की स्थिति में वैकल्पिक मार्ग होने से भारत की रणनीतिक लचीलापन (strategic flexibility) भी बढ़ेगी.

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