बोरिंग मैच में भी दिखा T20 वाला रोमांच, भारत ने हारा हुआ मैनचेस्टर टेस्ट ड्रॉ कराया, जडेजा-सुंदर का शतक

    क्रिकेट में कहा जाता है कि कभी-कभी ड्रॉ भी जीत से कम नहीं होता और मैनचेस्टर का यह टेस्ट उसी कहावत को साकार करता है.

    India draws the lost Manchester Test Century of Jadeja-Sundar
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    मैनचेस्टर: क्रिकेट में कहा जाता है कि कभी-कभी ड्रॉ भी जीत से कम नहीं होता और मैनचेस्टर का यह टेस्ट उसी कहावत को साकार करता है. पांचवें टेस्ट की चौथी भिड़ंत में, जहां एक समय पर भारत की हार लगभग तय मानी जा रही थी, वहां टीम इंडिया ने न सिर्फ हार को रोका बल्कि इंग्लैंड को मानसिक रूप से पस्त कर डाला. पहली पारी में 311 रनों से पिछड़ने के बावजूद भारतीय बल्लेबाजों ने न सिर्फ बल्ले से जवाब दिया, बल्कि मैच को उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जहां इंग्लैंड के चेहरे पर शिकस्त की झुंझलाहट साफ देखी जा सकती थी.

    जब इंग्लैंड ने पहली पारी में 669 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया, तो मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में मौजूद दर्शकों से लेकर टीवी पर बैठे करोड़ों भारतीय फैन्स तक सभी को लगा कि अब कुछ असंभव ही बचा है. भारत की पहली पारी महज 358 रनों पर सिमट चुकी थी और इंग्लैंड को 311 रनों की बढ़त मिल चुकी थी. ऐसे में यह लगभग तय था कि भारत को फॉलोऑन झेलना पड़ेगा और पांच सेशन में टीम इंडिया को दोबारा ऑलआउट कर इंग्लैंड जीत दर्ज करेगा.

    लेकिन क्रिकेट में सिर्फ स्कोरकार्ड ही नहीं, इरादे और मनोबल भी जीत तय करते हैं और भारत ने यही कर दिखाया.

    शून्य पर दो विकेट, फिर भी डटा भारत

    दूसरी पारी की शुरुआत भारत के लिए सपने नहीं, दु:स्वप्न जैसी रही. पहले ही ओवर में टीम ने दो विकेट गंवा दिए. ऐसा क्षण था जब अनुभवी टीमें भी घुटने टेक देती हैं. लेकिन यहीं से शुरू होती है भारतीय टीम की असली कहानी — संघर्ष की, धैर्य की और क्रिकेट की सबसे अहम खूबी — मनोबल की जीत.

    ओपनिंग के बाद, टीम की जिम्मेदारी ली शुभमन गिल और केएल राहुल ने. दोनों बल्लेबाजों ने तीसरे विकेट के लिए 188 रनों की बेहतरीन साझेदारी की और इंग्लिश खेमे की उम्मीदों को धीमे-धीमे खत्म करना शुरू कर दिया.

    गिल ने अपने टेस्ट करियर का एक और शतक (103 रन) ठोका, वहीं केएल राहुल महज 10 रनों से शतक से चूक गए, लेकिन उनकी 90 रन की पारी ने टीम को स्थिरता दी. जैसे ही इन दोनों के विकेट गिरे, ऐसा लगा कि इंग्लैंड फिर से वापसी करेगा, लेकिन क्रिकेट का रंग तब बदलता है जब आप सोचते हैं कि सब आपके काबू में है.

    सुंदर और जडेजा ने इंग्लैंड को विकेट के लिए तरसाया

    भारत के लिए यह टेस्ट पुनर्जन्म जैसा था और इस नए जन्म के सूत्रधार बने वॉशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा. ऋषभ पंत की गैरमौजूदगी में 5वें नंबर पर उतरे सुंदर ने इंग्लैंड की गेंदबाजी को बड़ी सलीके से जवाब दिया.

    दूसरे सत्र के बाद से लेकर अंतिम घंटे तक, इंग्लिश गेंदबाज विकेट के लिए जूझते रहे, पर कामयाबी दूर रही. सुंदर ने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक जड़ा और पूरी परिपक्वता के साथ बल्लेबाजी की. वहीं रविंद्र जडेजा ने दिखाया कि वो सिर्फ गेंदबाज या फील्डर ही नहीं, एक भरोसेमंद संकटमोचक बल्लेबाज भी हैं.

    जडेजा ने अपने करियर का 5वां टेस्ट शतक पूरा किया और नाबाद 107 रन बनाकर पवेलियन लौटे. वहीं वॉशिंगटन सुंदर 101 रन पर नाबाद रहे. दोनों के बीच 203 रनों की नाबाद साझेदारी ने इंग्लैंड की हर रणनीति को विफल कर दिया.

    2-1 की बढ़त के बावजूद इंग्लैंड को लगा झटका

    सीरीज में इंग्लैंड भले ही 2-1 की बढ़त बनाए हुए है, लेकिन मैनचेस्टर का यह मुकाबला मानसिक स्तर पर भारत के पक्ष में गया है. पांचवें दिन के तीसरे सत्र में जब मैच ड्रॉ घोषित किया गया, उस समय भारत का स्कोर 4 विकेट पर 425 रन था — और इंग्लैंड की गेंदबाजी थकी हुई, टूटी हुई और विकल्पहीन दिख रही थी.

    इस मुकाबले से भारत को सिर्फ एक पॉइंट या सम्मानजनक स्कोर ही नहीं मिला — उसे मानसिक बढ़त मिली है, जिसका असर अगले टेस्ट पर पड़ेगा. इंग्लैंड की मीडिया और फैन्स में भी टीम की बॉलिंग यूनिट को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं.

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