खुल गई चीनी हथियारों की पोल! भारत ने पाकिस्तान में ड्रोन हमलों से तबाह किया HQ-9 डिफेंस सिस्टम

    ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई ने पाकिस्तान की रक्षा तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    India destroyed HQ-9 defense system with drone attacks in Pakistan
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली/इस्लामाबाद: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई ने पाकिस्तान की रक्षा तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. बुधवार सुबह हुई इस कार्रवाई के दौरान भारतीय वायुसेना ने जिन ठिकानों को निशाना बनाया, उनमें पाकिस्तान के संवेदनशील और कड़े सुरक्षा वाले इलाके भी शामिल थे. इन हमलों के दौरान खास चर्चा में रहा पाकिस्तान का चीनी मूल का HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, जो हमलों को रोकने में विफल रहा.

    चीन निर्मित HQ-9 रहा बेअसर

    सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इन हमलों में उन्नत ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे न सिर्फ आतंकी अड्डों को नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली की असल ताकत भी सामने आ गई. HQ-9 डिफेंस सिस्टम, जिसे चीन ने रूस के S-300 और अमेरिका के Patriot सिस्टम की तर्ज पर विकसित किया है, इन हमलों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा.

    HQ-9 को पाकिस्तान ने एक “गेम चेंजर” के रूप में प्रचारित किया था. इसकी तैनाती कराची, रावलपिंडी और ग्वादर जैसे रणनीतिक ठिकानों पर की गई थी. लेकिन जब भारत के ड्रोन हमलों ने इन क्षेत्रों को लक्ष्य बनाया, तब यह एयर डिफेंस सिस्टम केवल मूकदर्शक बनकर रह गया.

    तकनीकी विफलता या रणनीतिक ग़लती?

    इस रक्षा प्रणाली की रेंज 120 से 250 किमी के बीच मानी जाती है और इसमें AESA रडार जैसे एडवांस्ड फीचर्स शामिल हैं. लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि केवल तकनीक ही काफी नहीं, उसके संचालन और रणनीतिक योजना में कुशलता भी आवश्यक होती है — और पाकिस्तान इन दोनों ही स्तरों पर असफल रहा है.

    पाकिस्तान ने 2021 से HQ-9B वर्जन को अपनी वायु रक्षा में शामिल किया था, ताकि वह भारत की तेज़ रफ्तार मिसाइल प्रणालियों और लड़ाकू विमानों जैसे राफेल, ब्रह्मोस और Su-30MKI का मुकाबला कर सके. लेकिन भारत के ताजा ऑपरेशन ने साफ कर दिया कि HQ-9 वास्तविक युद्ध स्थितियों में विश्वसनीय साबित नहीं हुआ.

    पाकिस्तान-चीन रक्षा संबंधों पर असर?

    भारत द्वारा की गई इस कार्रवाई ने सिर्फ पाकिस्तान की सैन्य तैयारी नहीं, बल्कि चीन की रक्षा निर्यात प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. HQ-9 की विफलता बीजिंग के लिए भी शर्मिंदगी का कारण बन सकती है, क्योंकि यह उसका प्रमुख डिफेंस एक्सपोर्ट प्रोडक्ट माना जाता है.

    चीन और पाकिस्तान के रिश्ते "हर मौसम के दोस्त" माने जाते हैं, लेकिन इस दोस्ती की नींव जिस तकनीकी भरोसे पर टिकी थी, वह अब हिलती हुई नजर आ रही है.

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