नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के उपप्रमुख एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने एक अहम बयान देते हुए कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस बात का उदाहरण है कि रणनीति और एयर पावर के सही इस्तेमाल से कैसे सीमित संसाधनों में भी दुश्मन को घुटनों पर लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन बताता है कि केवल 50 से भी कम हथियारों के इस्तेमाल से पाकिस्तान जैसे देश को बातचीत की मेज पर लाना संभव हुआ.
एयर मार्शल तिवारी ने यह बातें थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज’ (CAPS) और ‘कॉलेज ऑफ एयर वॉरफेयर’ द्वारा आयोजित एक सेमिनार के दौरान कहीं. उन्होंने इस ऑपरेशन को “अध्ययन के योग्य केस स्टडी” बताया और कहा कि आने वाले समय में रक्षा विशेषज्ञों और रणनीतिकारों को इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.
क्या कहा एयर मार्शल तिवारी ने?
उन्होंने कहा, "हम अक्सर एयर पावर को लेकर कॉस्ट-बेनिफिट की बात करते हैं. मेरे ख्याल से ऑपरेशन सिंदूर से बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता. बेहद सीमित सैन्य संसाधनों का इस्तेमाल करके दुश्मन को संप्रभुता और कूटनीति के टेबल पर लाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है."
तिवारी ने यह भी कहा कि अभी भी मैनड (मानव-संचालित) सिस्टम की उपयोगिता और दक्षता अनमैन्ड (ड्रोन/AI आधारित) सिस्टम से ज्यादा है. उनके मुताबिक, "मानव दिमाग की रणनीतिक समझ और जजमेंट का विकल्प कोई तकनीक नहीं ले सकती, खासकर तब जब बात युद्ध के मैदान की हो."
ऑपरेशन सिंदूर – एक रणनीतिक गेमचेंजर
6-7 मई की रात शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक क्षमता का आधुनिक उदाहरण बन चुका है. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. ये हमले न केवल सटीक थे, बल्कि इतने तेज़ और चौंकाने वाले थे कि पाकिस्तान को जवाब देने का मौका भी नहीं मिला.
पाकिस्तान की बौखलाहट और भारत की प्रतिक्रिया
भारत की इस सर्जिकल कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने भी हवाई हमले शुरू किए, लेकिन भारतीय सेना की निगरानी और जवाबी रणनीति पहले से ही तैयार थी. पाकिस्तान की ओर से शुरू की गई जवाबी कार्रवाई को भी ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने तुरंत निष्क्रिय कर दिया.
10 मई की शाम तक हालात शांत हो गए और पाकिस्तान ने खुद पहल करते हुए संघर्षविराम की बात मानी. यानी भारतीय ऑपरेशन ने दुश्मन को न सिर्फ पीछे हटने पर मजबूर किया, बल्कि यह दिखा दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अब सिर्फ चेतावनी नहीं, सीधी कार्रवाई की नीति पर काम कर रहा है.
CDS अनिल चौहान और सैन्य नेतृत्व की मौजूदगी
सेमिनार में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान भी मौजूद थे. उनके साथ भारतीय वायुसेना के कई पूर्व प्रमुख और अन्य देशों के सैन्य अटैचेस भी शामिल हुए. कार्यक्रम में यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय सशस्त्र बल अब केवल प्रतिक्रिया देने वाली नहीं, पहले प्रहार की रणनीति को भी खुले तौर पर स्वीकार कर चुकी है – बशर्ते परिस्थितियाँ उसका औचित्य साबित करें.
ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं, फिलहाल रोका गया है
भारतीय सेना और सरकार का आधिकारिक रुख यही है कि ऑपरेशन सिंदूर को ‘सस्पेंड’ किया गया है, ‘समाप्त’ नहीं. यानी अगर पाकिस्तान या उसकी जमीन से कोई भी आतंकी गतिविधि होती है, तो भारत फिर से कार्रवाई करने का पूरा अधिकार और तैयारी रखता है.
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