भारत खरीदेगा 97 LCA तेजस फाइटर जेट, थर-थर कांपेगा पाकिस्तान!

    ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान मिली करारी हार के बाद पाकिस्तान के लिए एक और चिंता की बात सामने आई है. भारत अब अपनी वायुसेना की शक्ति को और अधिक धार देने जा रहा है. केंद्र सरकार ने भारतीय वायुसेना के लिए 97 और एलसीए तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट्स की खरीद को मंजूरी दे दी है.

    India Buy 97 LCA Tejas Fighter jet 62 thousand deal done
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    ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान मिली करारी हार के बाद पाकिस्तान के लिए एक और चिंता की बात सामने आई है. भारत अब अपनी वायुसेना की शक्ति को और अधिक धार देने जा रहा है. केंद्र सरकार ने भारतीय वायुसेना के लिए 97 और एलसीए तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट्स की खरीद को मंजूरी दे दी है. इस सौदे की कुल लागत लगभग 62,000 करोड़ रुपये होगी.

    इससे पहले भी वायुसेना ने 83 तेजस जेट्स का ऑर्डर दिया था, जिसकी कीमत करीब 48,000 करोड़ रुपये थी. ये सभी लड़ाकू विमान भारत के स्वदेशी रक्षा उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बनाए जाएंगे.

    तेजस Mark-1A: आत्मनिर्भर भारत की नई उड़ान

    HAL द्वारा बनाए जाने वाले LCA Mark-1A फाइटर जेट पूरी तरह आधुनिक तकनीक से लैस होंगे. ये विमान पुराने पड़ चुके मिग-21 की जगह लेंगे, जिन्हें अब भारतीय वायुसेना से चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है. एलसीए मार्क-1ए में पहले के मुकाबले बेहतर एवियोनिक्स सिस्टम, उन्नत रडार, और बेहतर मारक क्षमता होगी. इनमें लगभग 65% से अधिक स्वदेशी उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा, जो 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन को नई ऊंचाई देगा.

    मिग-21 को अंतिम सलाम

    भारतीय वायुसेना की शान रहा मिग-21 अब सेवा से विदा लेने जा रहा है. 19 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ एयरबेस पर एक विशेष समारोह में 23 स्क्वाड्रन (पैंथर्स) द्वारा इसे अंतिम विदाई दी जाएगी. मिग-21 को वर्ष 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था और इसने कई युद्धों में अहम भूमिका निभाई  विशेषकर 1962 और 1971 की लड़ाइयों में. यह विमान भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर था, जिसे सोवियत संघ (अब रूस) से हासिल किया गया था.

    भविष्य की योजना: तेजस के बाद अगली उड़ान

    तेजस Mark-1A के बाद भारत की नजर और आगे है. रिपोर्ट्स के अनुसार, HAL को जल्द ही 200 से अधिक LCA Mark-2 और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस फाइटर जेट्स का ऑर्डर भी मिल सकता है. इसका सीधा फायदा भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को होगा और रक्षा क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित होगा.

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