Union Territory Government Amendment Bill: अगर कोई मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री या राज्य मंत्री गंभीर अपराध में गिरफ्तार होता है, तो अब वो अपनी कुर्सी नहीं बचा पाएगा. केंद्र सरकार एक अहम विधेयक लोकसभा में पेश करने जा रही है, जिसके बाद नेताओं के लिए गिरफ्तारी के बावजूद पद पर बने रहना आसान नहीं रहेगा. यह कानून खासतौर पर उन मामलों को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है, जिनमें जेल में होने के बावजूद नेताओं ने पद नहीं छोड़ा.
हाल के वर्षों में कई बड़े नेता जांच एजेंसियों के निशाने पर आए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया, लेकिन उन्होंने जेल से ही पद पर बने रहकर एक नई बहस को जन्म दे दिया. इसके उलट झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया था. इन विरोधाभासों के बीच सरकार अब कानूनी रूप से साफ करना चाहती है कि गिरफ्तारी का मतलब होगा पद से विदाई.
क्या कहता है प्रस्तावित कानून?
बुधवार, 20 अगस्त को केंद्र सरकार तीन महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पेश करेगी. इन विधेयकों में सबसे चर्चित है, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, जिसमें नेताओं की गिरफ्तारी की स्थिति में पद त्याग अनिवार्य किए जाने का प्रावधान है. इसके अलावा सरकार संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 भी संसद में लाने जा रही है. गृह मंत्री अमित शाह इन विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का प्रस्ताव भी लोकसभा में पेश करेंगे.
अब तक क्या हुआ है मानसून सत्र में?
बिल्स ऑफ लेडिंग बिल, 2025
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025
नेशनल एंटी-डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025
माइन्स एंड मिनरल्स (संशोधन) बिल, 2025
इंडियन पोर्ट्स बिल, 2025
इनकम टैक्स बिल, 2025
इन सबके बीच नेताओं की गिरफ्तारी और पद पर बने रहने से जुड़ा यह नया विधेयक राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
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