चकलाला एयरबेस पर बम मारकर चला गया भारत... पाकिस्‍तानी सीनेटर ने नेशनल असेंबली में शहबाज को कर दिया बेइज्जत

    लाहौर से लेकर रावलपिंडी तक भारत के ड्रोन और मिसाइलों ने पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों की पोल खोल दी, लेकिन हैरानी की बात ये है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इस करारी शिकस्त को जीत बताने में लगे हुए हैं.

    India bombed Chaklala airbase Pakistani senator insulted Shehbaz
    शहबाज शरीफ | Photo: ANI

    इस्लामाबादः जब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के भीतर घुसकर उसके सैन्य ढांचे को हिला डाला, तब पूरी दुनिया ने माना कि भारत ने अपने दुश्मन को करारा जवाब दिया है. लाहौर से लेकर रावलपिंडी तक भारत के ड्रोन और मिसाइलों ने पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों की पोल खोल दी, लेकिन हैरानी की बात ये है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इस करारी शिकस्त को जीत बताने में लगे हुए हैं. उन्होंने तो सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को इस ‘झूठी जीत’ पर फील्ड मार्शल की पदोन्नति तक दे डाली.

    पाकिस्तान में हर कोई इस झूठ को स्वीकारने को तैयार नहीं. खुद एक वरिष्ठ पाकिस्तानी सीनेटर उमर फारूक ने नेशनल असेंबली के भीतर इस झूठ का भंडाफोड़ कर दिया है.

    “हम खुद से सवाल क्यों नहीं करते?” — उमर फारूक का तीखा सवाल

    सीनेटर उमर फारूक ने अपने बेबाक अंदाज़ में पूछा कि जब भारत हमारी सीमाओं को लांघकर एयरबेस पर हमला कर सकता है, तब हम अपनी सैन्य और खुफिया एजेंसियों से सवाल क्यों नहीं कर रहे? उन्होंने चकलाला (नूर खान) एयरबेस पर हुए हमले को लेकर गंभीर चिंता जताई, जो पाकिस्तान की सैन्य राजधानी GHQ से सिर्फ पांच किलोमीटर की दूरी पर है.

    “अगर एक ड्रोन इतनी दूर तक आकर हमला कर सकता है, तो ये हमारी सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी नहीं तो और क्या है?” — फारूक ने सदन में पूछा.

    बलूचिस्तान में सेना की दमनकारी भूमिका पर खुलकर बोले

    उमर फारूक ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के मानवाधिकार हनन का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि सेना वहां अपने ही नागरिकों पर अत्याचार कर रही है, लेकिन जब दुश्मन देश हमला करता है तो वही सेना उसे रोक पाने में नाकाम साबित होती है. फारूक ने कहा कि बलूचिस्तान में हर उस आवाज को कुचल दिया जाता है जो सच बोलने की हिम्मत करती है. उन्होंने महरंग बलूच समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का जिक्र किया जो आज जेल में बंद हैं.

    “सिर्फ जश्न नहीं, जवाबदेही भी जरूरी है”

    सीनेटर फारूक का संदेश साफ था — पाकिस्तान को अब अपनी आंखें खोलनी होंगी. जश्न मनाना आसान है, लेकिन जब देश की हवाई सीमाएं टूटती हैं, एयरबेस पर बम गिरते हैं, तब संसद में आपातकालीन संयुक्त सत्र बुलाकर जवाबदेही तय करनी चाहिए.

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