ऑफिस बाद में पहले जान बचाओ, भारत के हमले से कांपने लगे थे पाकिस्तान के बड़े सैन्य अधिकारी

    22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने जो कार्रवाई की, वह इतिहास के पन्नों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से दर्ज हो चुकी है. ये कोई साधारण जवाबी हमला नहीं था, बल्कि एक ऐसा सटीक और रणनीतिक प्रहार था जिसने न केवल पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को चकनाचूर कर दिया,

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    Image Source: ANI

    22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने जो कार्रवाई की, वह इतिहास के पन्नों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से दर्ज हो चुकी है. ये कोई साधारण जवाबी हमला नहीं था, बल्कि एक ऐसा सटीक और रणनीतिक प्रहार था जिसने न केवल पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को चकनाचूर कर दिया, बल्कि उसकी सेना के भीतर भी अफरातफरी फैला दी.

    सूत्रों के अनुसार, भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा इंटरसेप्ट की गई बातचीत से ये साफ़ हुआ कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में तैनात 75वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड के अधिकारी तक हमले की दहशत से पोस्ट छोड़कर भाग निकले. कमांडर ने खुद अपने मातहत अफसरों से कहा— “ऑफिस बाद में खोलेंगे, पहले जान बचाओ.”

    लॉन्च पैड तबाह, आतंकी ढांचे को भारी नुकसान

    सेना ने PoK के सवाई नाला और सैयदना बिलाल जैसे बड़े आतंकी कैंपों पर बेहद सटीक हवाई हमले किए. परिणामस्वरूप 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए और दो अहम लॉन्च पैड्स पूरी तरह नष्ट हो गए. ये ठिकाने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की निगरानी में संचालित हो रहे थे.

    “नमाज़ पढ़ रहे हैं, अभी वापस नहीं आएंगे”

    एक अन्य इंटरसेप्टेड रेडियो कम्युनिकेशन में पाकिस्तानी सेना के जूनियर अधिकारी यह कहते सुने गए कि उनके सीनियर “मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे हैं और तभी लौटेंगे जब हालात सामान्य होंगे.” यह बयान उस मनोवैज्ञानिक दबाव को बयां करता है जो भारतीय हमले ने पाकिस्तानी रैंकों में पैदा कर दिया.

    पाक सेना को भारी नुकसान, सेना के भीतर घबराहट

    भारतीय अधिकारियों का अनुमान है कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी सेना के कम से कम 64 जवान मारे गए और 96 से ज्यादा घायल हुए. इन मृतकों में 16वीं बलूच रेजिमेंट के कैप्टन हसनैन शाह भी शामिल थे, जिनका शव बाद में एबटाबाद लाया गया.

    सिर्फ आतंकी ठिकानों पर हमला, नागरिकों को बख्शा

    भारतीय सेना ने इस अभियान में खास ध्यान रखा कि कोई भी नागरिक या गैर-सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रभावित न हो. ऑपरेशन का लक्ष्य सिर्फ आतंकवाद और उन्हें पनाह देने वाले स्ट्रक्चर थे.

    पृष्ठभूमि: पहलगाम का हमला और भारत की प्रतिक्रिया

    22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे. इसके बाद भारत ने आतंक के स्रोत को जड़ से खत्म करने का निर्णय लिया. नतीजा ऑपरेशन सिंदूर, जिसने न सिर्फ प्रतिशोध लिया बल्कि सीमा पार आतंक के नेटवर्क को हिला कर रख दिया.

    अब हर वार का जवाब मिलेगा दोगुना तेज़

    ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की नई सैन्य और कूटनीतिक नीति का प्रतीक है. चुप नहीं बैठेंगे, चोट का जवाब निर्णायक वार से देंगे.

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