Judge Yashwant Verma Impeachment: हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच की प्रक्रिया अब औपचारिक रूप से शुरू हो गई है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को उनके खिलाफ प्राप्त महाभियोग नोटिस को स्वीकार करते हुए जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से नकदी से जुड़े संदेहास्पद साक्ष्य सामने आने के बाद न्यायपालिका और सरकार दोनों ही इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं.
लोकसभा में अपने बयान के दौरान स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि समिति में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीवी आचार्य को शामिल किया गया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समिति की रिपोर्ट आने तक न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की कार्यवाही लंबित रखी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट से झटका, जांच को बताया वैध
गौरतलब है कि 7 अगस्त, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ चली आंतरिक जांच प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी है. जज वर्मा ने इस जांच प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा उनके खिलाफ की गई महाभियोग की सिफारिश को रद्द करने की मांग भी अस्वीकार कर दी थी.
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा विवाद मार्च 2025 में तब शुरू हुआ जब दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास में आग लगने की एक घटना सामने आई. इस दौरान दमकल विभाग को वहां कथित रूप से बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी के अवशेष मिले थे. उस वक्त जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत थे. घटना के समय वे घर पर मौजूद नहीं थे. घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 28 जुलाई को सुनवाई के दौरान कई सवाल उठाए थे और उनकी याचिका पर कठोर रुख अपनाया था.
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