Janmashtami 2025: हर साल जब भादों की अंधेरी रातें अपने शबाब पर होती हैं और चंद्रमा की हल्की रोशनी धरती पर उतरती है, तब एक ऐसी पावन घड़ी आती है जब पूरा ब्रह्मांड कान्हा के जन्म की प्रतीक्षा करता है. यह वही समय होता है जब भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी का पावन पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन अगर कहीं इस दिन की असली रौनक और भक्तिभाव को महसूस करना हो, तो एक बार मथुरा-वृंदावन जरूर जाइए. यहां की हर गली, हर मोड़, हर मंदिर इस दिन कृष्णमय हो जाता है.
इस वर्ष श्रीबांके बिहारी मंदिर, वृंदावन में जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा. इस दिन मंदिर परिसर को अद्भुत सजावट से संवारा जाएगा, जहां रंग-बिरंगे फूल, जगमगाते दीपक और महीन पर्दे एक दिव्य लोक का आभास देंगे. रात मध्यरात्रि को बिहारीजी का अभिषेक किया जाएगा, जिसमें उन्हें दूध, दही, घी, शहद और जल से स्नान कराया जाएगा. इसके बाद उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाकर सोलह श्रृंगार से सजाया जाएगा. हालांकि यह पूजन आम भक्तों के लिए नहीं होता—यह सिर्फ अंतरात्मा से जुड़कर महसूस किया जा सकता है.
मंगला आरती साल में एक बार
जन्माष्टमी की रात करीब 2 बजे से भक्तों के दर्शन शुरू हो जाते हैं, जो सुबह 6 बजे तक चलते हैं. इस दौरान सुबह 3:30 बजे श्रीबांके बिहारी जी की मंगला आरती होती है. यह आरती पूरे साल में केवल एक बार, जन्माष्टमी पर ही होती है. आरती के बाद सुबह 5 बजे बिहारीजी को भोग अर्पित किया जाता है. 6 बजे के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं.
बिहारीजी और भक्तों का मधुर बंधन
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में एक अनोखी परंपरा है, दर्शन के दौरान भगवान के सामने पर्दा डाला जाता है. कहते हैं, बिहारीजी का बालरूप इतना मोहक है कि भक्त उन्हें देखकर आत्मविभोर हो जाते हैं. वहीं कान्हा भी अपने भक्तों से बंध जाते हैं. इसलिए यह पर्दा दोनों के बीच की भक्ति की लाज है, एक अनोखा मधुर बंधन.
कृष्ण जन्म के बाद का उल्लास
जन्माष्टमी के अगले दिन, यानी भाद्रपद कृष्ण नवमी को, नंदोत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष यह उत्सव 17 अगस्त, रविवार को होगा. इस दिन श्रीबांके बिहारी मंदिर सहित पूरे नंदगांव में खुशियां लुटाई जाती हैं, भक्तों को मिठाइयाँ, खिलौने, सिक्के, और फल वितरित किए जाते हैं. मंदिरों में राजभोग आरती तक उल्लास का माहौल बना रहता है और चारों ओर सिर्फ एक ही नाम गूंजता है,"नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की!"