अगर ट्रंप को कुछ हुआ तो क्या JD वेंस बनेंगे राष्ट्रपति, क्यों उठे ऐसे सवाल? जानें अमेरिका का सिस्टम

    अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि ट्रंप को कुछ हो जाता है, तो वे राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

    If something happens to Trump will JD Vance become president
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    डोनाल्ड ट्रंप, जो अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, हाल में अपने स्वास्थ्य को लेकर चर्चा में रहे हैं. उनके हाथ पर एक बड़ा नीला निशान देखा गया, जिससे उनके स्वास्थ्य पर सवाल उठने लगे हैं. इस बीच, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि ट्रंप को कुछ हो जाता है, तो वे राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. इस बयान ने लोगों के बीच यह सवाल उठाया है कि अगर ट्रंप को कुछ हो जाता है तो क्या जेडी वेंस राष्ट्रपति बन सकते हैं? और क्या अमेरिका में राष्ट्रपति पद की व्यवस्था भारत की तरह है? आइए, इस सवाल का उत्तर विस्तार से जानते हैं.

    अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने हाल ही में यूएसए टुडे को दिए एक साक्षात्कार में डोनाल्ड ट्रंप के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यदि ट्रंप को कुछ हो जाता है, तो वे पूरी तरह से तैयार हैं राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के लिए. यह बयान इस समय आया जब ट्रंप के हाथ पर एक बड़ा नीला निशान देखा गया, जिसके बाद उनकी सेहत को लेकर चर्चा तेज हो गई. इस बयान को ट्रंप के स्वास्थ्य से जुड़ी चिंता के रूप में देखा जा रहा है. खासकर, जब ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में वेंस को अपने MAGA आंदोलन का संभावित उत्तराधिकारी बताया था, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो गया.

    जेडी वेंस का बयान इस संदर्भ में आता है कि अगर राष्ट्रपति की स्थिति गंभीर हो जाती है, तो उपराष्ट्रपति को सत्ता का हस्तांतरण तुरंत हो जाता है. वेंस का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा और भी गहरी हो गई है. लेकिन क्या वेंस वास्तव में राष्ट्रपति बन सकते हैं, और क्या अमेरिका का संविधान ऐसी स्थितियों में व्यवस्था प्रदान करता है?

    अमेरिका में राष्ट्रपति पद का उत्तराधिकार

    अमेरिकी संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति देश का सबसे बड़ा कार्यकारी और संवैधानिक प्रमुख होता है. अगर किसी कारणवश राष्ट्रपति की स्थिति में कोई गड़बड़ी आती है, जैसे कि उनकी मृत्यु, गंभीर बीमारी, या कार्य करने में असमर्थता, तो उपराष्ट्रपति तुरंत राष्ट्रपति का पद संभालने के लिए तैयार होते हैं. इसका मतलब है कि उपराष्ट्रपति केवल अस्थायी रूप से नहीं, बल्कि पूरी तरह से राष्ट्रपति का पद संभालते हैं, जब तक कि नया राष्ट्रपति चुना न जाए.

    इस व्यवस्था को संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. यदि राष्ट्रपति पद खाली हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति इसे पूरा करते हैं. यदि उपराष्ट्रपति भी किसी कारण से उपलब्ध नहीं होते, तो अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उत्तराधिकार का एक तय क्रम होता है, जिसे Line of Succession कहा जाता है. यह क्रम निम्नलिखित है:

    • हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के स्पीकर - अगर उपराष्ट्रपति उपलब्ध नहीं हैं, तो स्पीकर को राष्ट्रपति नियुक्त किया जाता है.
    • सीनेट के प्रेजिडेंट प्रो टेम्पोर - यदि स्पीकर भी उपलब्ध नहीं होते, तो सीनेट के प्रेजिडेंट प्रो टेम्पोर को राष्ट्रपति के पद का कार्यभार सौंपा जाता है.
    • कैबिनेट के सदस्य - इसके बाद कैबिनेट के प्रमुख मंत्रालयों के प्रमुखों का नंबर आता है. सबसे पहले विदेश मंत्री को प्राथमिकता दी जाती है, उसके बाद अन्य मंत्रालयों के प्रमुख आते हैं.

    यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति का पद कभी भी खाली न रहे और सत्ता का हस्तांतरण तुरंत और व्यवस्थित तरीके से हो सके. इसलिए, अगर ट्रंप को कुछ होता है, तो उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के पास राष्ट्रपति बनने का पूरा कानूनी अधिकार होगा.

    भारत में राष्ट्रपति पद का उत्तराधिकार

    भारत में राष्ट्रपति पद की व्यवस्था भी काफी हद तक अमेरिका से मिलती-जुलती है, हालांकि कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं. भारत में राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक प्रमुख होता है, और यदि राष्ट्रपति का निधन हो जाए, इस्तीफा दे दें या किसी अन्य कारण से पद खाली हो जाए, तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 65 के तहत उपराष्ट्रपति को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया जाता है.

    अगर उपराष्ट्रपति भी उपलब्ध नहीं होते, तो यह जिम्मेदारी सीधे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को मिल जाती है. हालांकि, यह स्थिति अस्थायी होती है, क्योंकि भारत में नए राष्ट्रपति का चुनाव छह महीने के भीतर कराना अनिवार्य होता है.

    भारत में प्रधानमंत्री के पद की स्थिति थोड़ी अलग है. अगर प्रधानमंत्री का निधन हो जाता है, तो उनका पद तुरंत खाली हो जाता है. इस स्थिति में राष्ट्रपति सरकार को चलाने के लिए कैबिनेट के किसी वरिष्ठ मंत्री को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त कर देते हैं. फिर, सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन अपने सांसदों की बैठक बुलाकर नया नेता चुनते हैं, और जिस नेता को बहुमत का समर्थन मिलता है, उसे राष्ट्रपति स्थायी प्रधानमंत्री नियुक्त कर देते हैं.

    अमेरिका और भारत के संविधान में अंतर

    अमेरिका और भारत दोनों ही देशों के संविधान में राष्ट्रपति के उत्तराधिकार की व्यवस्था है, लेकिन दोनों देशों के नियमों में कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं. अमेरिका में उपराष्ट्रपति के अलावा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के स्पीकर, सीनेट के प्रेजिडेंट प्रो टेम्पोर, और कैबिनेट के सदस्य भी राष्ट्रपति बनने की कतार में आते हैं. वहीं, भारत में उपराष्ट्रपति के बाद अगर कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो यह जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंप दी जाती है.

    इसके अतिरिक्त, भारत में प्रधानमंत्री के पद का उत्तराधिकार एक अलग प्रक्रिया से होता है, जबकि अमेरिका में राष्ट्रपति का उत्तराधिकार पूरी तरह से संविधान द्वारा निर्धारित होता है और इसमें उपराष्ट्रपति का स्थान केंद्रीय होता है.

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