I-Star Aircraft: पाकिस्तान के खिलाफ जारी ऑपरेशन सिंदूर के बीच भारत की सैन्य रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अब फोकस सिर्फ जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि दुश्मन की गतिविधियों पर पहले से नजर रखने और सटीक हमला करने की ओर बढ़ रहा है. इसी कड़ी में भारत सरकार 10,000 करोड़ रुपये की लागत से तीन हाई-टेक I-STAR जासूसी विमानों को खरीदने की योजना बना रही है. यह प्रोजेक्ट जल्द ही रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा.
क्या है I-STAR प्रणाली?
I-STAR का पूरा नाम है – Intelligence, Surveillance, Target Acquisition and Reconnaissance. यह प्रणाली अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होती है, जो किसी भी युद्ध या टकराव की स्थिति में सेना को दुश्मन की लोकेशन, मूवमेंट और हथियारों की पोजीशन जैसी बेहद अहम जानकारी रियल टाइम में देती है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि वायुसेना को दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करने के लिए क्लियर ‘एयर-टू-ग्राउंड’ इमेज मिलती है.
DRDO की अगुवाई और विदेशी सहयोग
इस जासूसी विमान प्रोजेक्ट को भारत की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) विकसित कर रही है. तीन एयरक्राफ्ट बोइंग और बॉम्बार्डियर जैसे विदेशी कंपनियों से ओपन टेंडर के माध्यम से खरीदे जाएंगे. हालांकि, विमान में जो ऑनबोर्ड सिस्टम लगेंगे, वे पूरी तरह स्वदेशी होंगे और DRDO के सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम्स (CABS) द्वारा विकसित किए गए हैं. DRDO अधिकारियों के मुताबिक, यह सिस्टम पहले ही परीक्षणों में सफल साबित हो चुका है. अब जरूरत है इन्हें उन तीन विमानों में इंस्टॉल करने की, जिन्हें खरीदा और भारत की जरूरतों के अनुसार मॉडिफाई किया जाएगा.
क्यों खास है यह सिस्टम?
I-STAR सिस्टम के आ जाने से भारत उन कुछ गिने-चुने देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिनके पास यह अत्याधुनिक क्षमता है. वर्तमान में अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और कुछ यूरोपीय देशों के पास ही ऐसी टेक्नोलॉजी उपलब्ध है. यह प्रणाली मल्टी-स्पेक्ट्रल सर्विलांस प्रदान करती है, जो दिन-रात, हर मौसम में और स्टैंड-ऑफ रेंज से भी काम कर सकती है. यानी विमान दुश्मन की सीमा में घुसे बिना ही उनके खिलाफ सटीक जानकारी जुटा पाएंगे. यह अनियमित लड़ाकों, आतंकवादी कैंप, मोबाइल लॉन्चर्स और छिपे हुए रडार स्टेशनों की पहचान और ट्रैकिंग में बेहद कारगर साबित होगी.
राष्ट्रीय सुरक्षा की नई दिशा
देश की रक्षा तैयारियों में I-STAR प्रणाली गेम चेंजर साबित हो सकती है. न केवल युद्ध के समय बल्कि सीमावर्ती इलाकों में चल रही संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भी यह प्रणाली बेहद उपयोगी होगी. इससे भारत की ‘इंटेलिजेंस बेस्ड स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ कई गुना बढ़ जाएगी. इस परियोजना को मंजूरी मिलते ही भारत की वायु शक्ति सिर्फ आक्रामक नहीं बल्कि पहले से भी ज्यादा स्मार्ट और रणनीतिक बन जाएगी और यही आधुनिक युद्ध का असली चेहरा है.
ये भी पढ़ें: न सुखोई जला, न S-400 को खरोंच आई.. पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा हुआ धराशायी, सैटेलाइट तस्वीरों से खुली पोल-पट्टी