Sanchar Saathi App: भारत में बढ़ते हुए ऑनलाइन और टेलीकॉम फ्रॉड के मामलों को देखते हुए, सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. Sanchar Saathi नामक ऐप और प्लेटफॉर्म के जरिए अब यूजर्स मोबाइल सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्क हो सकते हैं. यह प्लेटफॉर्म न केवल टेलीकॉम धोखाधड़ी से निपटने का एक कारगर तरीका है, बल्कि यह स्मार्टफोन चोरी और फर्जी सिम के मामलों में भी मदद करता है.
Sanchar Saathi App: क्या है और यह कैसे काम करता है?
Sanchar Saathi ऐप को भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने लॉन्च किया है, और इसमें CEIR और TAFCOP जैसे प्रमुख मॉड्यूल शामिल हैं. CEIR (Central Equipment Identity Register) की मदद से चुराए गए या गुम हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक किया जा सकता है, ताकि उनका दुरुपयोग न हो. वहीं, TAFCOP (Telecom Analytics for Fraud Management and Consumer Protection) फीचर से यूजर्स यह चेक कर सकते हैं कि उनके नाम पर कितने मोबाइल नंबर जारी हैं, और अगर इनमें से कोई नंबर फर्जी पाया जाता है तो उसे रिपोर्ट कर सकते हैं.
यह ऐप मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन चुका है, जिससे वे टेलीकॉम से जुड़ी धोखाधड़ी, फोन चोरी, और पहचान की चोरी से बच सकते हैं. यूजर्स इसे गूगल प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं और जल्द ही यह फोन में प्री-इंस्टॉल भी मिलेगा.
Sanchar Saathi से क्या मदद मिलती है?
Sanchar Saathi प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल मोबाइल धोखाधड़ी, फर्जी सिम, फ्रॉड कॉल्स, KYC स्कैम, और बैंकिंग ठगी की शिकायत करने के लिए किया जा सकता है. अगर किसी ने आपके डॉक्यूमेंट का गलत इस्तेमाल करके सिम निकाल ली हो, तो आप TAFCOP के जरिए इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं. इसके अलावा, यदि आपका फोन चोरी हो जाए या उसका IMEI नंबर बदलकर दुरुपयोग हो, तो आप CEIR के जरिए मदद ले सकते हैं. यह शिकायतें सीधे सरकार की टीम तक पहुंच जाती हैं, जो कार्रवाई करती है.
फ्रॉड की रिपोर्ट कैसे करें?
Sanchar Saathi प्लेटफॉर्म पर फ्रॉड रिपोर्ट करना बहुत आसान है. सबसे पहले यूजर्स को ऐप या वेबसाइट पर Fraud Management सेक्शन में जाकर "Report Fraud" का विकल्प चुनना होता है. इसके बाद उन्हें अपनी पहचान और फ्रॉड से जुड़ी डिटेल्स भरनी होती है. शिकायत सबमिट करने के बाद, एक रेफरेंस ID मिलती है, जिसका इस्तेमाल करके आप अपनी शिकायत का स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं.
शिकायत के बाद की कार्रवाई
फ्रॉड की शिकायत मिलने के बाद, DoT की टीम तुरंत टेलीकॉम ऑपरेटरों से जानकारी जुटाकर जांच शुरू करती है. यदि मामला फर्जी सिम या पहचान चोरी का होता है, तो संबंधित सिम को तुरंत ब्लॉक कर दिया जाता है. अगर चोरी हुआ फोन है, तो उसका IMEI ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है, ताकि उसे किसी भी नेटवर्क में इस्तेमाल न किया जा सके. पुलिस और साइबर सेल भी यूजर से संपर्क कर सकते हैं, अगर जरूरत पड़ी तो.
कैसे वापस मिल सकता है आपका पैसा?
जब कोई फ्रॉड रिपोर्ट की जाती है, तो संचार साथी प्लेटफॉर्म सबसे पहले संबंधित नंबर या डिवाइस को ब्लॉक कर देता है, ताकि कोई और लेन-देन न हो सके. इसके बाद, शिकायत अपने-आप साइबर क्राइम पोर्टल (I4C) और संबंधित राज्य साइबर पुलिस के पास भेज दी जाती है. पुलिस और बैंक तुरंत अलर्ट होते हैं, और अगर पैसा अभी भी होल्ड किया जा सकता है तो बैंक उसे रोक लेते हैं. जांच में यह पुष्टि होने के बाद कि लेन-देन धोखाधड़ी था, तो बैंक पीड़ित को रिफंड कर देता है. हालांकि, रिफंड का समय केस की गंभीरता पर निर्भर करता है.
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