कौन होगा बिग-बॉस कंटेस्टेंट, कैसे होता है सिलेक्शन? मेकर्स ने रिवील किया सीक्रेट!

    टीवी की दुनिया का सबसे चर्चित और विवादित शो ‘बिग बॉस’ हर सीजन के साथ एक नई बहस को जन्म देता है. कभी कंटेस्टेंट्स के झगड़े सुर्खियों में रहते हैं तो कभी शो की स्क्रिप्ट और विजेता को लेकर उठते सवाल.

    How Bigg Boss contestants get selected makers reveal casting
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    टीवी की दुनिया का सबसे चर्चित और विवादित शो ‘बिग बॉस’ हर सीजन के साथ एक नई बहस को जन्म देता है. कभी कंटेस्टेंट्स के झगड़े सुर्खियों में रहते हैं तो कभी शो की स्क्रिप्ट और विजेता को लेकर उठते सवाल. फैन्स का एक वर्ग हर साल यही आरोप लगाता है कि शो में सबकुछ पहले से तय होता है, यहां तक कि कुछ प्रतिभागियों के लिए “फिक्स्ड कॉन्ट्रैक्ट” की बात भी सामने आती है. लेकिन इस बार शो के निर्माता ऋषि नेगी ने खुलकर इन तमाम अटकलों पर जवाब दिया है.

    ‘बिग बॉस 19’ के निर्माता ऋषि नेगी ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में साफ कहा कि शो में किसी भी कंटेस्टेंट को किसी तरह की मिनिमम गारंटी (MG) नहीं दी जाती. उन्होंने कहा “हमारे शो में हर वीक कंटेस्टेंट्स को उनके प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जाता है. अगर किसी को गारंटी मिल जाए, तो वो ये सोचकर घर में बैठेगा कि उसे कुछ करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वो सेफ है. ऐसे में शो का असली रोमांच खत्म हो जाएगा.” ऋषि ने बताया कि शो के सफल होने की पूरी ज़िम्मेदारी टीम पर होती है, इसलिए वे कास्टिंग को लेकर बेहद गंभीर रहते हैं. “हम जानते हैं कि ‘बिग बॉस’ भारत का सबसे ज़्यादा देखा जाने वाला शो है. लगभग 105 दिनों तक दर्शकों को बांधे रखना आसान नहीं है. इसलिए हम छह महीने पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं और इस बार तो टीम करीब 500 लोगों से मिली, तब जाकर फाइनल लिस्ट बनी,” उन्होंने बताया.

    किरदार नहीं, कहानी ढूंढती है टीम

    प्रोड्यूसर के अनुसार, टीम किसी बड़े नाम के पीछे नहीं भागती, बल्कि ऐसे लोगों की तलाश करती है जिनका व्यक्तित्व दिलचस्प हो और जो घर के माहौल में विविधता ला सकें. “लोग समझते हैं कि हम विवाद पैदा करने के लिए लोगों को चुनते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. इस सीजन में कोई भी कंटेस्टेंट कॉन्ट्रोवर्शियल नहीं है. सभी की पर्सनैलिटी, सोच और जीवन अलग हैं  और यही इस शो की असली खूबसूरती है. जब अलग स्वभाव के लोग एक ही छत के नीचे रहते हैं, तो कहानियां अपने आप बन जाती हैं,” ऋषि ने कहा.

    कास्टिंग की प्रक्रिया कैसी होती है

    ‘बिग बॉस’ के लिए चयन प्रक्रिया काफ़ी लंबी और सटीक होती है. शो की टीम पहले प्रतिभागी से मुलाकात करती है या वीडियो कॉल के ज़रिए इंटरव्यू लेती है. फिर 2-3 चरणों की स्क्रीनिंग होती है जिसमें यह देखा जाता है कि कौन सा व्यक्ति शो के फॉर्मैट के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा.ऋषि ने बताया  “ये कोई एक्टिंग ऑडिशन नहीं होता. हम यह परखते हैं कि कोई व्यक्ति किसी परिस्थिति में कैसे रिएक्ट करता है. कई लोग खुद को शांत बताते हैं, लेकिन हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि अगर माहौल तनावपूर्ण हो जाए तो उनका असली स्वभाव कैसा होगा. शो रियल पर्सनैलिटी दिखाने का मंच है, नकली ड्रामा नहीं.”

    क्या शो में पर्सनल लाइफ का इस्तेमाल होता है?

    हर सीजन ‘बिग बॉस’ में यह सवाल जरूर उठता है कि क्या शो जानबूझकर किसी कंटेस्टेंट की निजी ज़िंदगी को भुनाता है? इस पर ऋषि ने साफ किया कि ऐसा कोई एजेंडा नहीं होता. “लोग सोचते हैं कि हम पुराने रिश्तों या विवादों को जानबूझकर शो में लाते हैं, लेकिन ये सच नहीं है. पिछले कुछ सीजन में ऐसा एक-दो बार हुआ, जैसे मुनव्वर फारूकी और आयशा खान के मामले में, लेकिन वो भी एक चलती खबर के चलते हुआ था, कोई सोची-समझी रणनीति नहीं थी,” उन्होंने कहा.

    उन्होंने यह भी बताया कि कई बार शो शुरू होने के बाद कास्टिंग एजेंट्स संपर्क करते हैं और बताते हैं कि किसी कंटेस्टेंट की पर्सनल लाइफ में क्या चल रहा था, पर टीम का ध्यान सिर्फ शो के नैरेटिव पर रहता है. “अगर हम सबकुछ पहले से ही बता देंगे, तो फिर दर्शक क्या देखेंगे?” ऋषि ने मुस्कराते हुए कहा.

    पिछले सीजन का अपवाद

    प्रोड्यूसर ने स्वीकार किया कि सीजन 17 में जरूर ऐसा देखने को मिला था जब कुछ रिश्ते और विवाद शो के केंद्र में रहे  जैसे ईशा मालवीय, समर्थ जुरैल और अभिषेक कुमार की कहानी. “लेकिन वो एकमात्र सीजन था. बाकी किसी भी सीजन में हमने कभी किसी की निजी ज़िंदगी को मुद्दा नहीं बनाया,” उन्होंने जोड़ा.

    शो की लोकप्रियता बरकरार

    ‘बिग बॉस 19’ फिलहाल जियो सिनेमा पर रात 9 बजे प्रसारित किया जा रहा है, जबकि टीवी दर्शक इसे कलर्स चैनल पर रात 10:30 बजे देख सकते हैं. लगातार बढ़ती टीआरपी यह साबित करती है कि तमाम आलोचनाओं और विवादों के बावजूद, ‘बिग बॉस’ आज भी दर्शकों की पहली पसंद बना हुआ है.

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