Himachal Lottery: हिमाचल प्रदेश की आर्थिक हालत इस वक्त गंभीर मोड़ पर खड़ी है. कर्ज़ के बोझ से दबे राज्य की सरकार अब एक पुराने, लेकिन संभावित रूप से फायदेमंद रास्ते की ओर लॉटरी सिस्टम लौट रहा है. 1999 में बंद की गई सरकारी लॉटरी को फिर से शुरू करने का फैसला 31 जुलाई को राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. उम्मीद की जा रही है कि यह कदम राज्य को राहत की कुछ सांसें देगा.
हर साल 100 करोड़ तक की कमाई का अनुमान
राज्य सरकार का अनुमान है कि लॉटरी टिकटों की बिक्री से हर साल 50 से 100 करोड़ रुपये तक की कमाई हो सकती है. मौजूदा समय में राज्य पर 1 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का कर्ज है और प्रति व्यक्ति कर्ज़ 1.17 लाख रुपये पहुंच चुका है. सरकार की कैबिनेट उप-समिति ने राजस्व बढ़ाने के लिए यह सिफारिश की थी, जिसे अब हरी झंडी दे दी गई है.
केरल से सीखा फॉर्मूला, पंजाब और सिक्किम भी कमा रहे हैं अच्छा पैसा
इस फैसले के पीछे दूसरे राज्यों की सफल मिसालें हैं. उदाहरण के तौर पर, केरल ने 2023-24 में लॉटरी से 13,582 करोड़ रुपये की कमाई की है. पंजाब ने इसी अवधि में 235 करोड़ और सिक्किम ने लगभग 30 करोड़ रुपये कमाए. हिमाचल सरकार अब उसी मॉडल को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के अनुसार, लॉटरी संचालन के लिए पारदर्शी टेंडर प्रणाली अपनाई जाएगी, जिसमें निजी कंपनियों को आमंत्रित किया जाएगा.
राज्य सरकार पर बढ़ा बोझ
हिमाचल की वित्तीय परेशानियों में केंद्र सरकार से मिलने वाली मदद में कटौती ने भी इजाफा किया है. 2024 में जहां राज्य को राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर 6,258 करोड़ रुपये मिले थे, वहीं 2025 में यह घटकर 3,257 करोड़ रुपये रह गया. इसके अलावा, जीएसटी मुआवजा भी बंद कर दिया गया है, जिससे बजट घाटा और बढ़ने की आशंका है.
1999 में क्यों बंद हुई थी लॉटरी?
हिमाचल में सरकारी और निजी लॉटरी दोनों पर 1999 में प्रतिबंध लगा दिया गया था. उस समय मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल थे. तब यह कदम सामाजिक प्रभाव और विवादों को देखते हुए लिया गया था. अब सरकार नए सिरे से लॉटरी को एक राजस्व स्रोत के रूप में देख रही है, खासकर तब जब प्राकृतिक आपदाओं से उबरने के लिए फंड की सख्त जरूरत है.
ये भी पढ़ें: फिर शुरू होगा लॉटरी सिस्टम, बस सेवा में मिलेगी छूट... हिमाचल कैबिनेट मीटिंग में लिए गए ये बड़े फैसले