गाजा की जंग थमी नहीं है, सिर्फ रूप बदल चुकी है. सीजफायर के बाद इजरायल को लगा था कि अब बड़ी लड़ाई खत्म हो चुकी है और अगला निशाना सिर्फ हमास और हिजबुल्लाह की रीढ़ तोड़ना होगा. लेकिन, जो इजरायली फौज ने सोचा था, उससे उलटा हो रहा है. मलबे में दबे शहरों से फिर से आवाजें उठने लगी हैं, बारूद की, गोलियों की, और बगावत की. हमास अब भी ज़िंदा है. और पहले से ज़्यादा आक्रामक दिख रहा है.
जहां इजरायल ने "जीत" का दावा किया...
गाजा के उत्तरी हिस्से बेत हनून और दक्षिण के खान यूनिस में फिर से भारी लड़ाई शुरू हो गई है. दोनों ही इलाके ऐसे हैं जिन्हें इजरायली सेना पहले पूरी तरह साफ कर चुकी थी. सितंबर और फिर दिसंबर 2024 में बेत हनून को खाली कराया गया था. वहां सिर्फ खंडहर बचे थे. लेकिन अब उन्हीं खंडहरों से हमास के लड़ाके बाहर आकर गोलियां चला रहे हैं, घात लगाकर हमला कर रहे हैं, और इजरायल को बता रहे हैं—युद्ध खत्म नहीं हुआ.
बेत हनून में घात लगाकर किए गए हमले में इजरायल के पांच सैनिक मारे गए और 14 घायल हो गए. जवाबी कार्रवाई में IDF ने भारी बमबारी की, लेकिन हमास के लड़ाके घंटों तक मोर्चे पर टिके रहे. इस पूरे ऑपरेशन में साफ हुआ कि हमले को पहले से योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था. हमास ने सुरंगों से निकलकर सैनिकों पर हमला किया, विस्फोटकों का इस्तेमाल किया, और सीधे सशस्त्र भिड़ंत की.
बेत हनून: जहां लड़ाई खत्म समझी गई थी...
IDF ने माना है कि बेत हनून में अभी भी सैकड़ों सुरंगें बाकी हैं जो तबाह नहीं की जा सकीं. यह कस्बा इजरायल सीमा से सिर्फ एक मील दूर है और लंबे समय से आतंकियों का ठिकाना रहा है. इस बार के ऑपरेशन में 97वीं बटालियन, उत्तरी गाजा ब्रिगेड और गिवती ब्रिगेड की यूनिट्स को झोंका गया. लेकिन बावजूद इसके, हमास ने जिस तरह से घात लगाकर हमला किया, उससे इजरायली सेना को पीछे हटना पड़ा.
खान यूनिस में फिर से हमला
दूसरा बड़ा हमला हुआ खान यूनिस में. अप्रैल 2024 में इजरायली सेना ने इसे पूरी तरह अपने नियंत्रण में लिया था. लेकिन जैसे ही IDF की यूनिट इस इलाके से गुजर रही थी, छिपे हुए हमास के लड़ाके अचानक बाहर निकले और फायरिंग शुरू कर दी. गोलीबारी इतनी तीव्र थी कि एक इजरायली सैनिक का अपहरण करने की कोशिश तक हुई. हालांकि उस सैनिक ने बहादुरी से मुकाबला किया और फिर हमास के हमलावरों ने उसे गोली मार दी.
इजरायली सेना ने इसके बाद जवाबी हमला किया, जिसमें कई हमास लड़ाके मारे गए. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. इस हमले ने ये साफ कर दिया कि हमास ने पिछले साल के भीतर बड़ी संख्या में लड़ाकों की भर्ती की थी और अब वो नई रणनीति के साथ मैदान में लौट चुके हैं.
मलबा सिर्फ खंडहर नहीं, हमास की ताकत बन गया है
गाजा का 65 प्रतिशत हिस्सा अब खंडहर है—ध्वस्त इमारतें, जली हुई सड़कें, और टूटी हुई ज़िंदगी, लेकिन ये मलबा अब हमास के लिए कवच बन चुका है. आतंकवादी इन खंडहरों में छिपते हैं, सुरंगों से बाहर आते हैं और फिर से हमले करते हैं. इजरायली सेना जमीन पर मौजूद है, एयरफोर्स भी हरकत में है, लेकिन अब ये युद्ध सामान्य नहीं रहा. ये मलबे के बीच छुपा हुआ, थका देने वाला और घातक संघर्ष बन चुका है.
क्या इजरायल को इस युद्ध का अंत नजर आ रहा है?
नेतन्याहू ने एलान किया था कि अगला फोकस हमास और हिजबुल्लाह को जड़ से मिटाना है, लेकिन मौजूदा हालात को देखें तो इजरायल को एक बार फिर वही लड़ाई दोहरानी पड़ रही है, जो वह पहले जीत चुका मान बैठा था. ये जंग अब सीधी रेखा में नहीं चल रही. ये अब धूल, ध्वंस और दुश्मन के अंधेरे में छिपे चेहरे के खिलाफ लड़ी जा रही है.
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