Pakistan: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी द्वारा भारत के साथ संभावित वार्ता में हाफिज सईद और मसूद अजहर को सौंपने की बात कहना अब विवादों में घिर गया है. इस बयान पर लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद और विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने कड़ी आपत्ति जताई है.
“बिलावल की कोई हैसियत नहीं”
हाफिज सईद के बेटे तल्हा ने एक बयान जारी कर कहा कि बिलावल भुट्टो किस अधिकार से उनके पिता को भारत को सौंपने की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा, बिलावल न तो विदेश नीति में परिपक्व हैं, न ही वे इस्लामी मूल्यों को समझते हैं. यह बयान साबित करता है कि वे जिम्मेदार नेता नहीं हैं. तल्हा ने आगे यह भी आरोप लगाया कि भुट्टो परिवार भारत की नीतियों के प्रति ‘झुकाव’ रखता है और उनकी पार्टी पहले भी पाकिस्तान की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर देश के हितों के खिलाफ बयान देती रही है.
PTI ने भी जताई नाराज़गी, कहा 'राजनीतिक अपरिपक्वता' का उदाहरण बिलावल के बयान को लेकर इमरान खान की पार्टी PTI ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि बिलावल जैसे नेता संवेदनशील कूटनीतिक मुद्दों पर इस तरह के बयान देकर पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को कमजोर कर रहे हैं. यह राजनीतिक अपरिपक्वता की मिसाल है.
बिलावल भुट्टो का बयान क्या था?
दरअसल, हाल ही में अल जज़ीरा को दिए एक इंटरव्यू में बिलावल भुट्टो ने कहा था कि पाकिस्तान, भारत के साथ आतंकवाद समेत तमाम मुद्दों पर संवाद के लिए तैयार है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत विधिक प्रक्रिया का पालन करता है, तो पाकिस्तान हाफिज सईद और मसूद अजहर को भारत को सौंपने पर विचार कर सकता है. उनका कहना था अगर भारत निष्पक्ष अदालती प्रक्रिया का पालन करता है, तो पाकिस्तान को आतंकवादियों को सौंपने में समस्या नहीं होनी चाहिए. हमें क्षेत्रीय शांति के लिए आगे बढ़ना चाहिए.
भारत को इन आतंकियों की लंबे समय से तलाश
भारत 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को लंबे समय से कानून के शिकंजे में लाने की कोशिश कर रहा है. फिलहाल वह पाकिस्तान में टेरर फंडिंग के आरोप में 33 साल की सजा काट रहा है. वहीं, जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर कथित तौर पर पाकिस्तान में ही छिपा हुआ है, लेकिन उसकी सटीक लोकेशन अज्ञात बनी हुई है.
कूटनीतिक स्तर पर नया मोड़
बिलावल का बयान ऐसे समय आया है जब भारत-पाकिस्तान संबंधों में लंबे समय से तनाव बना हुआ है. ऐसे में उनके इस बयान को कुछ विश्लेषक एक डिप्लोमैटिक ओपनिंग के रूप में देख रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे देश के खिलाफ ‘घातक नरम रुख’ बता रहा है.
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